शब-ए-बारात कब है और इसे क्यों मनाया जाता है-Shab e Barat kab hai 2023

शब-ए-बारात कब है और इसे क्यों मनाया जाता है-Shab e Barat 2023

अस्सलामु अलैकुम मोहतरम अज़ीज़ दोस्तों आज हम शब-ए-बारात की फ़ज़ीलत के बारे में जानेंगे की शब-ए-बारात क्या है शब-ए-बारात किसे कहते हैं इसे क्यों मनाते हैं शब-ए-बारातमें क्या होता है इस रात में हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए आज हम शब-ए-बारात में के बारे में सब कुछ जानेंगे – शब-ए-बारात कब है और इसे क्यों मनाया जाता है-Shab e Barat kab hai 2023

शब-ए-बारात कब है और इसे क्यों मनाया जाता है-Shab e Barat kab hai 2022शब-ए-बारात कब है और इसे क्यों मनाया जाता है-Shab e Barat kab hai 2023

दोस्तों इस्लामी महीना 14 शाबान की दिन गुज़ार कर जो रात आती है उस रात को शब-ए-बारात कहते हैं शब् का मतलब होता है रात और बारात का मतलब होता है निजात या छुटकारा यानी इस रात को जहन्नम से बहोत लोगों को निजात मिलती है उन्हें जहन्नम से निकालकर जन्नत में दाखिल किया जाता है और उनके क़ब्रों से भी अज़ाब हटा दिया जाता है इसी रात को शब-ए-बारात कहते हैं इस रात के और भी नाम है लैलतुल मुबारक यानी बरकतों वाली रात लैलतुल रहमा यानी रहमतों वाली रात.

अल्लाह के नबी हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को शाबान का महीना बहोत पसंद था आप इस महीने में रोज़े रखा करते थे और अल्लाह की इबादत भी ज़्यादा करते थे हज़रत आयशा सिद्दीक़ा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा ने फ़रमाया की मैंने अल्लाह के नबी सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम से पुछा या रसूलल्लाह आप शाबान में हमेशा रोज़ा रखते है बहोत ज़्यादा रोज़ा रखते हैं अल्लाह के नबी ने फ़रमाया ऐ आयशा ये वो महीना है जब मौत का फरिश्ता उन लोगों के नामों की फेहरिशत (लिस्ट) बनाता है जिनकी ये साल ख़त्म होने से पहले रूह क़ब्ज़ यानी उनकी मौत होनी है.

आगे अल्लाह के नबी ने फ़रमाया की मै ये चाहता हूँ की जब मौत के फ़रिश्ते मेरा नाम लिखे तो मै रोज़े से रहूँ दोस्तों ये वो मुबारक रात है जिसमे अल्लाह तआला पूरे साल होने वाले मामलात को लिख देता है यानी किसे कितनी रिज़्क़ मिलेगी, किसे नुकसान होगा किसे फायदा होगा, कौन ज़िंदा रहेगा इसी तरह लोगों के साथ पूरे साल में होने वाले सारे मामलात को अल्लाह तआला लिख देता है.

प्यारे नबी हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया अल्लाह तआला चार रातों में अपनी रहमतो को सबसे ज़्यादा अपने बन्दों पर नाज़िल करता है

  • 1) पहली रात – बकरा ईद की रात
  • 2) दूसरी रात – ईदुल फितर की रात
  • 3) तीसरी रात – 15 वीं शाबान की रात जिसमे अल्लाह तआला लोगों की उम्र और रिज़्क़ को लिख देता है और हज करने वालो के नाम भी लिख देता है
  • 4) चौथी रात – अरफा यानी हज की रात है

इन चारों रातों में अल्लाह तआला की रहमत सुबह फज़र की अज़ान तक बन्दों पर नाज़िल होती रहती है दोस्तों शाबान की 15 वीं रात यानी शब-ए-बारात की रात में अल्लाह तआला बलु क़ल्ब की बकरियों की बाल की तादाद के बराबर में अपने बन्दों को जहन्नम से आज़ाद करता है (सुब्हान अल्लाह) और इसी आज़ादी की बुनियाद पर इस मुबारक रात को लैलतुल बरात भी कहा जाता है.

शब-ए-बारात की रात में क्या करना चाहिए – shab e baraat ki ibaadat

दोस्तों आपको बता दें की शब-ए-बारात फ़ज़ीलत हासिल करने के लिए ज़रूरी है की आप इस मुक़द्दस रात अल्लाह तआला की इबादत करें ज़्यादा से ज़्यादा नफिल नमाज़ पढ़ें, क़ुरआन शरीफ की तिलावत करें, अल्लाह के नबी पर कसरत से दुरूद शरीफ पढ़ें, अपने गुनाहों से तौबा करें और क़ब्रिस्तान पर जाकर हाज़िरी दें दोस्तों आपको बता दें की शब-ए-बारात में क़ब्रिस्तान पर जाना भी एक ख़ास अमल है क़ब्रिस्तान पर हाज़िरी देने की कुछ हिकमत है जिसमे सबसे पहली हिकमत ये है की की शब-ए-बारात की मुक़द्दस रात में सब को बख्शा जाता है.

लेकिन दोस्तों इस रात उन्हें नहीं बख्शा जाता जिन्होंने रिश्तेदारों के साथ बदसुलूकी की या अपने माँ-बाप को नाराज़ किया किसी का दिल दुखाना अल्लाह तआला और उसके प्यारे नबी सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के नज़दीक बहोत बड़ा गुनाह है  इसी लिए शब-ए-बारात में अगर आप नफिल नमाज़ पढ़ते है क़ुरआन शरीफ की तिलावत करते है अल्लाह तआला से अपने गुनाहों के लिए बख्शीश माँगते हैं तो मोहतरम दोस्तों इन सब के अलावा हमें चाहिए की अगर कोई हमसे नाराज़ है तो उसके साथ अपनी नाराज़गी को ख़त्म करे उनसे माफ़ी तालाब करे अगर उसने आपका दिल दुखाया है तो फिर बड़ा दिल करते हुवे उसे माफ़ करें.

दोस्तों माफ़ करना भी प्यारे नबी सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की सुन्नत है इसी लिए हमें चाहिए की अपने दिल को बड़ा करते हुवे अपनों को माफ़ कर देना चाहिए अल्लाह के प्यारे नबी सरवरे आलम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया है की अगर किसी को माफ़ करने से तुम्हारी इज़्ज़त काम होती है कल बरोज़े क़यामत मुझसे ले लेना (सुब्हान अल्लाह).

शब-ए-बारात में जो हमारे रिश्तेदार क़ब्र में हैं हमें चाहिए की हम इस मुबारक रात में उनके क़ब्र पर जाकर दुरूद शरीफ सूरह फातिहा पढ़कर इसाले सवाब करे और अल्लाह तआला से उनके लिए दुआ मांगे की अल्लाह उन्हें जन्नत नसीब करे और उन्हें क़ब्र के अज़ाब से महफूज़ रखे दोस्तों हम इस मुक़द्दस रात में क़ब्रस्तान इस लिए भी जाते हैं ताक़ि हमें हमारी हक़ीक़ी मंज़िल का पता रहे की एक दिन हम सबको इस दुनिया को छोड़कर जाना है हमें याद रहे की हमें भी एक दिन क़ब्र में उतारा जाएगा और हमें इस मंज़िल को पार करना क़ब्र की मंज़िल को पार कर हम आख़िरत की पहली मंज़िल पार करते हैं.

ताकि हमारे दिलों में अल्लाह का दर रहे हम गुनाहो से बचे क़ब्र हम सबको ये सबक़ याद दिलाती है की जितना दुनिया में गुनाह करोगे मरने के बाद उन सभी का अल्लाह तआला की बारगाह में हिसाब देना है इस रात में अल्लाह तआला अपने बन्दों पर खूब अपनी रहमत नाज़िल करता है उनकी सभी नेक दुआओं को क़ुबूल करता है उनकी आने वाली मुश्किलों को आसान कर देता है शब-ए-बारात की रात में सच्चे दिल से मांगी गई दुआ को अल्लाह तआला क़ुबूल करता है.

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मोहतरम अज़ीज़ दोस्तों अल्लाह तआला से दुआ है की अल्लाह तआला हम सभी को शब-ए-बारात की रात ज़्यादा से ज़्यादा नेक अमल करने की तौफ़ीक़ दे और और इस मुबारक रात की नेमतों से हमें मालामाल करे हमारे गुनाहों को माफ़ करे और हमें ज़्यादा से ज़्यादा नेक काम करने की तौफ़ीक़ दे (आमीन)

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