जश्ने ईद मिलादुन्नबी कब और क्यों मानते है-jashne eid milad un nabi kab aur kyo manate hai

जश्ने ईद मिलादुन्नबी कब और क्यों मानते है-jashne eid milad un nabi kab aur kyo manate hai

जश्ने ईद मिलादुन्नबी कब और क्यों मानते है-jashne eid milad un nabi kab aur kyo manate hai

जश्ने ईद मिलादुन्नबी कब और क्यों मानते है-jashne eid milad un nabi kab aur kyo manate hai

दोस्तो आज हम बात करने वाले हैं ईद-मिलादुन्नबी के बारे में ईद-मिलादुन्नबी कब और क्यों मानते हैं और इस दिन क्या हुआ था तो आप इस बयान को पूरा ज़रूर पढ़ें और मेहरबानी करके अपने दोस्तों में शेयर भी कर दीजिएगा तो चलिए दोस्तों जानते हैं। जश्न ए ईद-मिलादुन्नबी अल्लाह के नबी मोहम्मद सल्लल्लाहो तआला अलैही वसल्लम की पैदाइश का महीना है और अल्लाह तआला ने एक बहुत बड़ा इनाम हमें इस महीने में अता फ़रमाया है और वो इनाम ये है हमारे नबी हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैही वसल्लम की आमद यानी कि पैदाइश का दिन दोस्तों इसी वजह से हर साल  रबीउल अव्वल को ईद मिलादुन्नबी मनाया जाता है।

पूरी दुनिया में ये त्यौहार बहोत धूम-धाम से मनाया जाता है यक़ीनन दोस्तों नबी-ए-करीम सल्लल्लाहो तआला अलैही वसल्लम की विलादत से बढ़कर हमारे लिए और क्या नेमत हो सकती है। लेकिन दोस्तों कुछ बदनसीब लोग ऐसे भी हैं जो मोहम्मद सल्लल्लाहो तआला अलैही वसल्लम की विलादत पर इस खुशी से महरूम होते है और दूसरे मुसलमानों को भी महरूम रखने कोशिश करते हैं।

वो लोग कहते तो हैं कि हम मुसलमान है लेकिन जब हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैही वसल्लम की विलादत की बात  आती है या उनके नाम पर खर्च करने की या उनकी विलादत पर खुशी मनाने की बात आती है तो फतवे लगाना शुरू कर देते है की ये फ़ुज़ूल खर्च है मआज़ अल्लाह ऐसे लोगो से पूछना चाहिए कि तुम अपने बेटे या बेटी की शादी में क्यो घरो को सजाते हो तो उनका जवाब यही होगा कि बेटी या बेटे से मोहब्बत है तो सोचो जिसके सदके में पूरी दुनिया बनी बेटा या बेटी बाद में है सबसे पहले हमारे दिल मे किसी मोहब्बत होगी तो वो अल्लाह और उसके रसूल की होगी।

दोस्तों अल्लाह हम सब को ऐसे लोगो से महफूज़ रखे। दोस्तों इस दिन अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो तआला अलैही वसल्लम की विलादत हुई यानी की पैदाइश हुई 12 रबीउल अव्वल पीर के दिन हमारे नबी हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैही वसल्लम इस दुनिया में तशरीफ़ लाए और ये अल्लाह की मर्ज़ी ही है की 63 साल के बाद आप इसी दिन आप इस दुनिया से पर्दा भी फरमा गए।

दोस्तों अल्लाह तआला ने इरशाद फरमाया है कि ऐ महबूब आप फरमा दीजिए अल्लाह के फ़ज़्ल और उनकी रहमत के मिलने पर लोगों को चाहिए की खुशियां मनाए अपने रब के फ़ज़्ल की खूब चर्चा करें दोस्तो हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हो ने फरमाया है। जिसने ईद मिलादुन्नबी पर 1 दिरहम खर्च किया उसको बदले में 100 नेकी मिलेगी। इसका मतलब ये है कि ईद-मिलादुन्नबी के दिन गरीबों की खूब मदद करनी चाहिए उनको खाना खिलाना चाहिए और बीमारों का इलाज करवाना चाहिए।

जश्ने ईद मिलादुन्नबी कब और क्यों मानते है-jashne eid milad un nabi kab aur kyo manate hai

इसी तरह से हज़रत उमर रज़ियल्लाहु तआला अन्हो ने भी फरमाया है की जिसने ईद मिलादुन्नबी की ताज़ीम की उसने दीन को ज़िंदा कर दिया। इसलिए दोस्तों इस दिन को ज़रूर मनाए और नबी ए करीम सल्लल्लाहो तआला अलैही वसल्लम की आमद की खुशी में ज़्यादा से ज़्यादा नेक काम करे दुरूद ए पाक पढ़े कुरान पाक की तिलावत करें और ज़रुरत मंद की ज़्यादा से ज़्यादा मदद करे यक़ीन माने अल्लाह आपको इसका बहोत बेहतर इनाम देगा।

दोस्तों इसी तरह हज़रत अबू बकर सिद्दीक रज़ियल्लाहु तआला अन्हो ने फरमाया की अगर कोई शख्स हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम की मिलाद पर 1 दिरहम भी खर्च करेगा तो वो शख्स जन्नत में मेरे साथ जाएगा। किताब का नाम है नेमतुल कुबरा ये किताब कोई आज की छपी हुई नही है बल्कि सदियों पुरानी किताब है। जब अल्लाह के नबी हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की विलादत हुई अबू लहब की एक गुलाम जिसका नाम साबिया था उसने अबू लहब से कहा की आपको भतीजा हुआ है इस खुसी में अबू लहब ने उस उस ग़ुलाम को आज़ाद कर दिया

जश्ने ईद मिलादुन्नबी कब और क्यों मानते है-jashne eid milad un nabi kab aur kyo manate hai

दोस्तो उसके कुछ दिनों के बाद अबू लहब का इंतेक़ाल हो गया तो उसके बाद अहले खाना ने उसे ख्वाब में देखा और पूछा के तेरा क्या हाल है तो उसने कहा मेरा बहोत बुरा हाल है मैं अज़ाब में गिरफ्तार हूँ लेकिन मैंने एक ऐसी नेकी दुनिया मे की थी जिसके बदले शहादत की उंगली से पानी नसीब हो जाता है और हर पीर के दिन मेरी अज़ाब में कमी कर दी जाती है वो नेकी थी अल्लाह के नबी की पैदाइश में मैने गुलाम को आज़ाद कर दिया था।

दोस्तों हमे गौर करने की ज़रूरत है कि अबू लहब जैसा काफ़िर शख्स हुज़ूर की पैदाइश में अपनी गुलाम को आज़ाद करता है तो इसके बदले में अल्लाह उसके क़ब्र के अज़ाब को कम कर देता है तो हम तो ईमान वाले है अल्लाह के रसूल से सच्ची मोहब्बत करने वाले है अगर हम मिलाद की खुशी में अल्लाह और उसके रसूल के नाम पर खर्च करते है तो बेशक हमे भी इसका बदला अल्लाह ज़रूर देगा कई हदीस मुबारक से भी साबित है कि मिलादुन्नबी मनाना जाएज़ है और इसकी बहोत सी फ़ज़ीलते है तो आपसे गुज़ारिश है की किसी के बहकावे में ना आए अल्लाह के रसूल की विलादत की खुसी में ज़्यादा से ज़्यादा नेक काम करो और सदक़ा और खैरात करो।

तो दोस्तों आज हमने जाना की – जश्ने ईद मिलादुन्नबी कब और क्यों मानते है-jashne eid milad un nabi kab aur kyo manate hai

Hazrat Mohammed SAW Aur Ek Yateem Bache Ka Waqia-यतीम बच्चे का वाक़्या

अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की बारगाह में दुआ है कि अल्लाह हम सभी को अपने प्यारे नबी सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम की विलादत की खुसी में ज़्यादा से ज़्यादा नेक अमल करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए और इस दिन लोगो के काम आने की अपने घर और मोहल्ले को हुज़ूर की आमद की खुसी में सजाने के तौफ़ीक़ दे अल्लाह इस मुबारक दिन के सदके में हमारी नेक जाएज़ तमन्नाओ को पूरी फरमाए (आमीन)

Hazrat Isa Alaihis Salam Ki Shaitan Se Mulaqat-हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की शैतान से मुलाकात

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