हज़रत सुलेमान और चींटी का वाक़्या-Hazrat suleman aur chunti ka waqia

दोस्तों आज हम हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम और चींटी का वाक़्या जानने वाले हैं और साथ में  चींटी के बारे में कई ऐसी बाते जो हमें नहीं मालूम और हम गलती कर देते हैं. क्या आपके घर में भी चीटियां निकलती रहती है और क्या आप चीटियों को भगाने के लिए नए-नए तरीके इस्तेमाल करते हैं? हमें यकीन है कि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपकी चींटियों के साथ जो दुश्मनी है वो दोस्ती में बदल जाएगी. दुनिया में बहुत से कीड़े मौजूद हैं, चींटी भी उन्हीं में से एक है. इस छोटे से कीड़े का ज़िक्र अल्लाह पाक ने क़ुरआन शरीफ में भी किया है.

इस चींटी के नाम पर अल्लाह पाक ने क़ुरआन शरीफ में एक पूरी सूरत नाज़िल फरमाई. जिस सूरत का नाम सूरत नमल है अरबी में चींटी को नमल  कहा जाता है. आज के इस पोस्ट में हम आपको चींटियों के बारे में हैरान करने वाली बातें बताने वाले हैं दोस्तों जीस घर में चीटियां निकलती है उस घर की हक़ीक़त के बारे में आपको बताते हैं लेकिन उससे पहले एक चींटी और हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम का एक दिलचस्प वाक़्या आपको बताते  हैं.

कीड़े को रिज़्क़ पहुंचाने वाली चींटी का वाक़्या-Hazrat suleman alaihissalam aur chunti ka waqia

कहा जाता है की एक बार हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलामा दरिया के किनारे बैठे हुए अल्लाह पाक की कुदरत के नज़ारे को देख रहे थे तभी उन्होंने देखा कि एक चींटी आई जिसके मुँह में एक दाना था और वो उस दाने को लेकर उस दरिया के किनारे जा रही थी. हज़रत सुलेमान अलेहिस्सलाम उस चींटी को देख रहे थे. उसके बाद वो चींटी हल्की-हल्की चलते दरिया के किनारे पर पहुँच गई. इस दौरान हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम ने एक अजीब वाक़्या देखा.

की जब ये चींटी दरिया के पास पहुंची तो दरिया में से एक मेंढक बाहर आया और उस मेंढक ने अपना मुँह खोला और चींटी उसके मुँह में चली गई और मेंढक वापस दरिया में चला गया. ये सारा मामला हज़रत सुलेमान अलेहिस्सलाम देख रहे थे. कुछ देर बाद वो मेंढक वापस आया उसने फिर मुँह खोला और वो चींटी उसके मुँह से बाहर निकल आई.

हज़रत सुलेमान अलेहिस्सलाम ने ग़ौर किया तो उन्हें एक फर्क महसूस हुआ कि इससे पहले चींटी जब मेंढक के मुँह में गयी थी तो इस चींटी के मुँह में दाना था जो कि अब उसके मुँह में नहीं था. दोस्तों जैसा कि आप जानते हैं हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम अल्लाह की तमाम मख्लूक़ से बात किया करते थे चाहे वो चींटी हो या फिर कोई और जानवर आप सभी मख्लूक़ और जानवरों से बात किया करते थे ये हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम का मोजज़ा था जो अल्लाह पाक ने उनको अता फरमाया था.

सुलेमान अलैहिस्सलाम ने चींटी को बुलाया और पूछा कि यह क्या मामला है? ये तुम क्या कर रही हो? अभी तो मुँह में दाना लेकर मेंढक के मुँह में गयी थी तुम कहाँ गयी थी चींटी कहने लगी की ऐ अल्लाह के नबी समुंदर की गहराई में दूर जाकर एक पत्थर है और वो पत्थर अंदर से खाली है उस पत्थर के अंदर एक कीड़ा रहता है अल्लाह तआला ने इस कीड़े को ऐसे जगह पर पैदा किया कि वो वहाँ से निकल नहीं सकता वहीं उसकी उसकी पूरी दुनिया है.

मुझे अल्लाह तआला ने इस काम पर लगाया है कि मैं उसको खाना लेकर जाऊं और अल्लाह पाक ने ही इस मेंढक को भी इस काम पर लगाया है मेंढक मुझे अपने मुँह में लेकर पानी से होता हुआ उस पत्थर के करीब जाता है. वो मेंढक उस पत्थर के सुराख पर अपना मुँह रख देता है. मैं मेंढक के मुँह से निकलकर उस कीड़े के पास जाती हूँ, जो अनाज मेरे मुँह में होता है, उसके पास रख देती हूँ, ये मेंढक मेरा इंतेज़ार करता रहता है. मैं वापस उसके मुँह में दाखिल हो जाती हूँ. ये पानी में तैरता हुआ मुझे वापस किनारे पर ले आता है.

हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम ने उससे पूछा कि जब तुम उसके लिए खाना लेकर जाती हो तब तुमने उसकी कोई बात सुनी हैं? चींटी कहने लगी हाँ जब मैं उसके लिए खाना लेकर जाती हूँ तो हर रोज़ मैं उसकी बातें सुनती हूँ. हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम ने पुछा या की वो क्या बाते करता हैं? चींटी बोली वो कीड़ा कहता है, ये वो ज़ात है जो समुंद्र की गहराई में इस पत्थर के अंदर भी मुझे नहीं भुला अपनी रहमत को अपने बंदों पर भी मत भूलना.

दोस्तों ये था हज़रत सुलेमान अलेहिस्सलाम और चींटी का अजीबो-गरीब वाक़्या अब हम आपको इस चीटी का एक और दिलचस्प वाक़्या बताएंगे. लेकिन उससे पहले आपको बता दें कि घर से चीटियों को निकालना किस बात की तरफ इशारा है तो ग़ौर से सुन लीजिये दोस्तों बुज़ुर्गों के मुताबिक जीस घर में चीटियां निकलना बंद ना हो तो ये इस बात की निशानी है कि उस घर में रिज़्क़ की बरक़त है यानी उस घर में बहुत रिज़्क़ है.

दोस्तों आप खुद सोच लीजिये की हमारे घर में मौजूद चीटियां हमें किस बारे में बताती है. लेकिन अफसोस कि हम इन्हें भगाने के चक्कर में होते है. हमारे घर के लोग भी अलग-अलग टोटकों की तलाश में लगे रहते हैं, जिनसे चीटियां खत्म हो जाए ऐसा मत कीजिए, अपने घरों से चींटियों को मत निकालिए ये आपके घर में रिज़्क़ की बरक़त की वजह से है और अपने हिस्से के रिज़्क़ के लिए आपके घर में मौजूद होती है. इसलिए चींटियों को मारा न जाए बल्कि ये तो आपकी रिज़्क़ की बरक़त की तरफ इशारा करती है. इनको देखकर इनसे दुश्मनी नहीं करनी चाहिए और इन को मारना भी नहीं चाहिए.

चींटी और हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम का वाक़्या-Chunti aur hazrat suleman A.S ka waqia

दोस्तों आपने चीटियों के बारे में उनकी हक़ीक़त तो जान ली चलिए अब आपको हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम के दौर का एक और चींटी का वाक़्या बताते हैं, जिसका ज़िक्र अल्लाह तआला ने क़ुरआन शरीफ में फरमाया है. रिवायतों में आता है कि हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम जब अपने लश्कर को लेकर चले तो एक जंगल पर से उनका गुज़र हुआ वहाँ पर चीटियों का एक लश्कर यानी (झुण्ड) था. उन चींटीयों के लश्कर ने सुलेमान अलैहिस्सलाम को देखकर एक चींटी ने सभी चीटियों से कहा जाओ अपने सुराखों में चली जाओ, कहीं ऐसा ना हो सुलेमान अपने लश्कर के साथ हमें कुचल डालें और उन्हें पता भी नहीं चलेगा.

हज़रत हसन रज़ियल्लाहु तआला अन्हो फरमाते हैं उस चींटी का नाम हरमस था. ये बनबन के कबीले से थी और ये लंगड़ी थी. इसको खौफ हुआ कि कहीं हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम अपने लश्कर के साथ कुचल ना दे. चींटी की ये बात सुनकर हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम को हँसी आ गई और उसी वक़्त अल्लाह तआला से दुआ किए की मुझे अपनी नेमतों का शुक्र अदा करने का इल्हाम कर जो तुम ने मुझ पर इनाम की है, जैसे, परिंदों और जानवरों की ज़ुबान वगैरह सीखा देना, तुने ये जो नेमतें मेरे वालिदैन पर की है और मुझे नेक़ अमल करने की तौफीक दे जिनसे तू खुश हो और जब मैं इस दुनिया से जाऊँ तो मुझे अपने नेक बंदों और बुलंद रफक़ा में मिला दें, जो तेरे दोस्त है.

हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम जानवरों की बोलियाँ समझते थे उस चींटी की भी बात को समझ गए और उन्हें हँसी आ गयी. दोस्तों अल्लाह तआला को इस चींटी की अदा बहोत पसंद आई और उस चींटी ने अपने क़बीले की बाकी चींटियों की फिक्र की. इसलिए अल्लाह तआला ने उस चींटी का ज़िक्र अपने मुक़द्दस किताब क़ुरआन शरीफ में किया और उस चींटी के नाम की पूरी सूरत क़ुरआन पाक में नाज़िल फरमाई.

दोस्तों हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम के दौर की एक और चींटी का ज़िक्र भी किताबों में मिलता है इब्ने अबी हातिम में है कि एक मर्तबा हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम बारिश ना होने की वजह से नमाज़ पढ़ने के लिए बाहर निकले ताकि अल्लाह तआला बारिश कर दे. दोस्तों ये एक नफिल नमाज़ हैं जो बारिश के लिए पढ़ी जाती है और उसके बाद अल्लाह पाक से दुआ की जाती है.

तब हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम ने देखा कि एक चींटी उलटी लेटी हुई हैं, और वो अपने पैर आसमान की तरफ उठाए हुए दुआ कर रही है की अल्लाह हम भी तेरी मख्लूक़ है, पानी बरसने की मोहताजी हमें भी है. अगर पानी ना बरसा तो हम ख़त्म हो जाएंगे. उस चीटी की ये दुआ सुनकर सुलेमान अलेहिस्सलाम ने लोगों में ऐलान कर दिया लोगों लौट चलो किसी और की दुआ से हमारा काम हो जाएगा और अल्लाह तआला की रहमत से बारिश होगी. दोस्तों इससे ये भी मालूम हुआ कि अल्लाह पाक की तस्बीह और ज़िक्र हर मख्लूक़ करती है.

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और अल्लाह तआला से दुआएं भी माँगती हैं वो अल्लाह को पुकारते हैं लेकिन अफ़सोस की आज हम इंसान गफलत में अपनी ज़िन्दगी गुज़ार रहे हैं अल्लाह की नाफरमानी दिन रात कर रहे हैं और गुनाह में ज़िन्दगी जी रहे हैं और हमें अल्लाह से मांगने का और अल्लाह से बातें करने का वक़्त ही नहीं मिलता अल्लाह तआला से दुआ है की अल्लाह तआला हमें अपनी मोहब्बत में ज़िन्दगी गुजरने की तौफ़ीक़ अता फरमाए और हमें हर बुरे काम से बचाए नेक काम करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए.

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