हज़रत ईसा और एक मुर्दा बादशाह का वाक़िआ-Hazrat Isa a.s story in hindi

हज़रत ईसा और एक मुर्दा बादशाह का वाक़िआ-Hazrat Isa a.s story in hindi

हज़रत ईसा और एक मुर्दा बादशाह का वाक़िआ-Hazrat Isa a.s story in hindiहज़रत ईसा और एक मुर्दा बादशाह का वाक़िआ-Hazrat Isa a.s story in hindi

अस्सलामु अलैकुम दोस्तों  इस वाक़्या को ज़रूर पढ़े इससे आपको एक बेहतरीन नसीहत मिलेगी वाक़्या है – हज़रत ईसा और एक मुर्दा बादशाह का वाक़िआ-Hazrat Isa a.s story in hindi

हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम और एक बादशाह की खोपड़ी का वाक़्या-अल्लाह तआला ने इंसानों की रहनुमाई के लिए ज़र्रे-ज़र्रे में निशानियां रख्खी है यहाँ तक की अल्लाह तआला अपने नबियों को वो क़ूवत अता की जिससे वो दुनिया सारे राज़ जान सके अल्लाह तआला ने अपने हर नबी को मुख्तलिफ मोजज़ात से नवाजा ताकि दुनिया उनको देखे और अल्लाह की कुदरत को पहचान सके

आज हम हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम के हयाते मुबारक से एक बहोत बेहतरीन वाक़्या पेश करेंगे जिसमे हमारे लिए गहरी नसीहत मौजूद है जैसा कि हम सभी जानते हैं हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम अल्लाह के हुक्म से मुर्दों को जिंदा कर देते थे फिर क्या हुआ जब उन्होंने एक बादशाह की खोपड़ी को रूह बख्शी की खोपड़ी जिंदा हो कर क्या कहा जानने के लिए वाक़्या को पूरा ज़रूर पढ़ें

इब्ने जूज़ी ने एक रिवायत में बयान किया है एक बार हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम अपने साथियों के साथ जा रहे थे एक मुर्दा खोपड़ी पर नज़र पड़ी खोपड़ी को रास्ते पर पड़ा देखकर हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम को ग़म हुआ तभी हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम के साथी आपसे कहने लगे हज़रत आप अल्लाह तआला से दुआ करें ताकि इस खोपड़ी में जान आ जाये और हम इसके वाक़्यात जान सके और हम नसीहत हासिल कर सके हमें पता चल सके की ये किस ज़माने की है और ये कि उसने अपनी ज़िन्दगी किस तरह से गुज़ारी

ये सुनकर हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम एक तरफ खड़े होकर अल्लाह की बारगाह में दुआ करने लगे ईसा अलैहिस्सलाम ने दुआ की ऐ अल्लाह तू अपनी क़ुदरत से इस खोपड़ी में जान डाल दे ताक़ि हम इससे इसकी ज़िन्दगी के बारे में जान सके अल्लाह तआला ने हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की दुआ क़ुबूल कर ली जिसके बाद खोपड़ी बोलने लगी की ऐ अल्लाह के नबी मुझे अल्लाह ने आपकी बातो का जवाब देने का हुक्म दिया है आप पूछिए क्या पूछना चाहते हो

ईसा अलैहिस्सलाम ने कहा तू मुझे सबसे पहले  ये बता की तो इस दुनिया कौन सी शख्सियत है उस खोपड़ी ने जवाब दिया मै इस दुनिया का बादशाह था ईसा अलैहिस्सलाम सवाल किया तू कितने अर्से तक इस दुनिया में ज़िंदा रहा उसने जवाब दिया मैं 1000 साल तक इस दुनिया में ज़िंदा रहा मुझसे हज़ार औलादे हुई ईसा अलैहिस्सलाम ने फिर सवाल किया की तेरी हुकूमत कैसी थी

उसने जवाब दिया ऐ अल्लाह के नबी मै एक घमंडी बादशाह था मै बड़ा लालची था मुझे दुनिया फतह करने का बहोत लालच था और मैं अपने मकसद में कामयाब रहा मैंने हज़ारों शहर फतह किये हज़ारो जंगे जीती हज़ारो बादशाहों को क़त्ल किया मगर आखिर मौत मुझे भी आ गई मेरे पास इस दुनिया से ले जाने को कुछ ना था जो कुछ मैंने फतह किया इसी दुनिया में रह गया मेरी हज़ार बरस की जिंदगी मेरे कुछ काम ना आ सकी और मुझे ये पता चल गया की ज़ोहदो तक़वा से बढ़कर कोई दौलत नहीं

और लालच में बर्बादी के सिवा कुछ नहीं और ये भी की अल्लाह तआला की तकदीर में राज़ी रहने में सबसे बड़ी इज़्ज़त है क्योकि अल्लाह तआला हर एक को उसकी कोशिशों का फल देते हैं चाहे वो जिस मक़सद में की गई हो मैंने दुनिया फतह करने में अपनी पूरी ज़िन्दगी लगा दी और अल्लाह मुझे कामयाब करता चला गया और मै अपनी कामयाबी के लालच में अपना इस दुनिया में आने का मकसद ही भूल गया उसके बाद वो खोपड़ी खामोश हो गई

ईसा अलैहिस्सलाम और उनके सभी साथी ये सुनकर एक गहरी सोच में पड़ गए ये सच है ये दुनिया दिल लगाने की जगह नहीं है ये तो फानी दुनिया है जो यहाँ आया उसे एक दिन ज़रूर जाना है मगर अफसोस हम सभी लोग इस दुनिया में हमारा आने का मकसद हम भूल जाते हैं हम इस दुनिया में आकर इसी दुनिया के हो जाते हैं जबकि हमको हमेशा याद रखना चाहिए कि आज नहीं तो कल हमें मरना है और हमें इस दुनिया को छोड़कर जाना है

इसी तरह एक और वाक़्या ईसा अलैहिस्सलाम के साथ पेश आया हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम एक दिन रास्ते से जा रहे थे कि आप अलैहिस्सलाम के साथ एक अहमक भी आकर आपके सफर में शामिल हो गया आप दोनों अभी कुछ दूर ही गए थे की रास्ता जंगल के रास्ते में से गुजरने लगा की अचानक रास्ते में एक बड़ा सा गढ़ा दिखा आप दोनों उस गढ़े के क़रीब से गुज़रे उस अहमक ने जैसे ही गढ़े में झाँक कर देखा तो उसमे एक बहोत बड़ा हड्डियों का ढाचा दिखा और कहने लगा ये किसका ढांचा हो सकता है

ईसा अलैहिस्सलाम फरमाने लगे ये मै नहीं जनता उस अहमक ने कहा ऐ अल्लाह के नबी वो कौन सी इस्मे -आज़म है जिसे आप पढ़ कर मुर्दों में जान डाल देते है मुझे भी वो सीखा दीजिये ताकि मै वो पढ़कर इस मुर्दे को ज़िंदा कर सकूँ ईसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया चुप कर ऐ अहमक तू उस इस्मे-आज़म को नहीं पढ़ सकता फिर वो बेवकूफ शख्स कहने लगा ठीक है हज़रत आप खुद ही पढ़ दीजिये और मुर्दे में रूह फूँक दीजिये उसके बाद वो बेवकूफ शख्स फिर से अपनी बात पर ज़िद करने लगा

हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम परेशान हो गये और दिल में सोचे या अल्लाह इस अहमक के इस तरह से ज़िद करने में क्या राज़ छुपा है हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम का इतना कहना था की अल्लाह ने आप पर वही नाज़िल कर दी की इसमें हैरत की बात क्या है हमाक़त को हमाक़त की ही तलाश होती है और बदनसीबी बदनसीबी का ही घर ढूँढती है इतने में उस बेवकूफ ने उन हड्डियों में इस्मे-आज़म पढ़कर फूँकने की कोशिश की

हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम उसे समझाने की कोशिश की तो कहने लगा ऐ रूहुल्लाह अब आप अपना मोजज़ा दिखाने में बुख़्ल करने लगे हैं या शायद आपकी ज़ुबान मुबारक में पहले जैसी तासीर नहीं रही ये बातें आप अलैहिस्सलाम को नागवार गुज़री और आपने उन हड्डियों पर इस्मे-आज़म पढ़ कर फूँक दिया जैसे आपने ऐसा किया उन हड्डियों में हरकत पैदा हो गई और एक बहुत बड़े भयानक शेर में बदल गई उस शेर ने एकदम से उस अहमक पर हमला किया और उसको पल भर में चीर फाड़ कर पास पास कर दिया यहाँ तक की उसके खोपड़ी के दो टुकड़े कर दिए

ये देखकर हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम शेर से मुखातिब हुए और कहा की ऐ जंगल के दरिन्दे तूने इतनी तेज़ी से इस शख्स को क्यों मार दिया शेर कहने लगा ऐ अल्लाह के नबी इसलिए क्यों की इस बेवकूफ ने आपकी शान में गुस्ताखी की और आप से बदकलामी पर उतर आया ये सुनकर हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया तूने इसके टुकड़े कर दिए तूने इसको खाया क्यों नहीं शेर कहने लगा हज़रत मेरा अब इस दुनिया से रिज़्क़ खत्म हो गया है अगर इस दुनिया में अभी तक मेरा दाना पानी होता तो मैं मुर्दों में शुमार नहीं किया जाता

उसके बाद फिर वो एक बार हड्डियों का ढाचा बनकर उसी गढ़े में गिर गया हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम के इस मोजज़े से पता चलता है की अल्लाह दुनिया को हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम के ज़रिये इस दुनिया की हकीकत समझाना चाहते थे जो जिस हाल में है उसी में अल्लाह तआला की कोई ना कोई हिकमत ज़रूर होती है क्या खूब कहा है किसी ने ना उरूज अच्छा है ना ज़वाल अच्छा है मेरा मालिक जिस हाल में रक्खे वही हाल अच्छा है

Hazrat Isa Alaihis Salam Ki Shaitan Se Mulaqat-हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की शैतान से मुलाकात

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