हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम और मछली का वाक़्या-Hazrat yunus alaihis salam aur machli ka waqia

हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम और मछली का वाक़्या-Hazrat yunus alaihis salam aur machli ka waqia

हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम और मछली का वाक़्या-Hazrat yunus alaihis salam aur machli ka waqia

हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम और मछली का वाक़्या-Hazrat yunus alaihis salam aur machli ka waqia

दोस्तो आज हम हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम और मछली का वाक़्या जानने वाले है हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम अल्लाह के नबी है। आप के नाम पर कुराने पाक में पूरी एक सूरह है जिसका नाम है सूरह यूनुस। आप का नाम यूनुस है और आपके वालिद का नाम मत्ता बिन सत्ता है और आप हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की नस्ल से थे।

बहोत से हज़रात ने उनकी वालिदा का नाम बताया है जैसा की इब्ने कसीर ने फरमाया है इस सूरत में उनकी निस्बत माँ की तरफ होगी। जैसे हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की निस्बत उनकी वालिदा हज़रत मरयम की तरफ है। हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम को अल्लाह तआला ने शहर नैनवा के लोगों की हिदायत के लिए रसूल बनाकर भेजा।

नैनवा ये एक बहोत बड़ा शहर था यहां के लोग अल्लाह की नाफरमानी और कुफरो शिर्क किया करते थे हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम ने उन लोगो को ईमान लाने और बुत परस्ती छोड़ने का हुक्म दिया। मगर उन लोगों ने मकरो-फरेब से अल्लाह के रसूल को झुठला दिया और ईमान लाने से साफ इनकार कर दिया।

हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम ने उन लोगों को खबर दी कि तुम लोगों पर अन करीब अल्लाह का अज़ाब नाज़िल होने वाला है। यह सुनकर शहर के लोगों ने आपस में मशवरा किया की यूनुस अलैहिस्सलाम ने कभी झूठ नहीं बोला इसलिए यह देखो कि अगर वो रात को शहर में है तो समझ लो कि कोई अज़ाब नहीं आने वाला है और अगर उन्होंने इस शहर में रात नही गुजारी तो यकीन कर लेना कि अल्लाह का अज़ाब जरूर आने वाला होगा।

रात को लोगों ने देखा की हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम शहर से बाहर तशरीफ ले गए और जैसे ही सुबह हुई अज़ाब के आसार नज़र आने लगे चारों तरफ से काले बादल आने लगे और हर तरफ से धुआं उठ कर शहर पर छा गया। यह मंज़र देखकर शहर के लोगों को यकीन हो गया कि अज़ाब आने वाला है। लोगों ने हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम की तलाश शुरू कर दी की अब हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम पर ईमान लाएंगे। मगर हज़रत यूनुस उन लोगों को दूर-दूर तक कहीं नज़र नही आए अब शहर वालों को और ज्यादा खतरा और डर हो गया।

चुनांचे शहर के तमाम लोग खुदा के खौफ से डर कर कांप उठे और सब के सब अपनी औरतों बच्चों और जानवरों को अपने साथ लेकर और फटे पुराने कपड़े पहनकर रोते हुए जंगल की तरफ निकल आए और रो-रो कर सच्चे दिल से यूनुस अलैहिस्सलाम पर ईमान लाने का इकरार और ऐलान करने लगे शौहर बीवी से माँ बच्चों से अलग होकर सब के सब तौबा अस्तग़फ़ार करने लगे

और दरबार ए इलाही में गिड़गिड़ा कर रोने लगे और तौबा करना शुरू कर दी, जो ज़ुल्म आपस में किए थे एक दूसरे को माफ कर दिए और जितनी हक़ तल्फ़ी की थी सब के सब आपस में माफ कर दी। और सच्ची तौबा करके अल्लाह से ये अहद कर लिया के यूनुस अलैहिस्सलाम जो खुदा का पैग़ाम लाए हैं हम उनपर सच्चे दिल से ईमान लाते हैं।

अल्लाह तआला को शहर वालों की बेकरारी और इस तरह से तौबा करने पर रहम आ गया और अज़ाब उठा लिया गया। अज़ाब के जितने भी आसार ज़ाहिर हुए थे वो सब हटा दिए गए और तमाम लोग फिर से शहर में आकर अमन और चैन के साथ रहने लगे। इन सब वाक़्या का ज़िक्र करते हुए अल्लाह तआला ने कुरान-ए-मजीद में इरशाद फरमाया है जिसका मतलब है की जब किसी कौम पर अज़ाब आता है तो अज़ाब आ जाने के बाद ईमान लाने से कोई फायदा नही होता अज़ाब आने के बाद किसी कौम की तौबा क़ुबूल नहीं होती।

हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम और मछली का वाक़्या-Hazrat yunus alaihis salam aur machli ka waqia

मगर यूनुस अलैहिस्सलाम की कौम पर अज़ाब की बदलियां आ जाने के बाद जब वो लोग ईमान लाए तो उनपर से अज़ाब उठा लिया गया। अज़ाब टल जाने के बाद जब हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम शहर के करीब आए तो आपने शहर में अज़ाब का कोई असर नहीं देखा लोगों ने अर्ज़ किया की आप अपनी क़ौम में तशरीफ़ ले जाइए आप ने फरमाया मैं किस तरह अपनी क़ौम में जा सकता हूं मैं तो उन लोगों को अज़ाब की खबर देकर शहर से निकल गया था। मगर अज़ाब नहीं आया तो अब वो लोग मुझे झूठा समझ कर मुझको कत्ल कर देंगे क्योंकि उन लोगों की रिवायत थी कि जो कोई झूठी गवाही देता या जो कोई झूटी बात कहता और अगर वह सच साबित ना होती तो उसको कत्ल कर दिया जाता।

आप अलैहिस्सलाम ये फरमाकर और गुस्से में शहर से पलट आए और एक कश्ती में सवार हो गए। कश्ती रवाना होकर जब समुंदर के बीच में पहुंची तो ठहर गई ना तो कश्ती आगे बढ़ती और ना ही पीछे जाती कश्ती वालों ने ऐलान कर दिया। हमारी कश्ती में कोई ज़ालिम गुनाहगार या भागा हुआ ग़ुलाम सवार है इसी लिए ये कश्ती आगे नही बढ़ रही है। वो शख्स जो भी हो वो सामने आए और खुद को ज़ाहिर कर दे ताकि उसकी वजह से सब पर मुसीबत ना आए।

फिर हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम बोल उठे कि वह भागा हुआ ग़ुलाम और गुनाहगार मैं हूं क्योंकि अपने शहर से निकलकर कश्ती में सवार होना ये एक खौफ की वजह से था अल्लाह के हुक्म से नहीं था और अल्लाह के हुक्म के बगैर इस तरह शहर छोड़ना हज़रत युनुस अलैहिस्सलाम की पैगम्बराना शान ने एक गुनाह करार दिया क्योंकी पैग़म्बर का हर काम अल्लाह के मर्ज़ी से होती है बग़ैर अल्लाह की मर्ज़ी से वो कुछ नही करते।

उसके हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम ने फरमाया मुझे दरिया में डाल दो तो तुम सब इस अज़ाब से बच जाओगे मगर कश्ती वाले उनकी इस बात पर तैयार ना हुए आपस में बातें करने लगे की हसीन नौजवान है ये कभी झूट नही बोलता ये पाक दामन नौजवान है ये बेगुनाह नौजवान है इसको कैसे समुन्दर में डाल सकते है

उसके बाद उन लोगों ने क़ुरआन दाज़ी की जिस में यूनुस अलैहिस्सलाम का नाम निकला लोगों को इस बात पर ताज्जुब हुआ और कई मर्तबा क़ुरआन दाज़ी की गई हर मर्तबा आप अलैहिस्सलाम का ही नाम आता एक तरफ क़ुरआन दाज़ी में नाम निकलने पर आप अलैहिस्सलाम को दरिया में डाले जाने का सामान हो रहा था। दूसरी तरफ एक बहुत बड़ी मछली अल्लाह के हुक़्म से कश्ती के करीब मुंह खोले मौजूद थी। की आप अलैहिस्सलाम को अपने पेट में जगह दे दे आखिरकार कश्ती वालों ने आप अस्सलाम को उठाकर पानी में डाल दिया और इसी दौरान एक बहुत बड़ी मछली ने आप अलैहिस्सलाम को निगल लिया।

हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम 40 साल तक मछली के पेट में क़ैद रहे मगर उस हालत में हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम ने एक आयते करीमा की तिलावत की (ला इलाहा इल्ला अंता सुब्हानका इन्नी कुन्तु मिनज़्ज़ालिमीन) यूनुस अलैहिस्सलाम 40 साल तक मछली के पेट में इस आयत की तिलावत करते रहे। इस आयत की बरक़त से अल्लाह तआला ने उन्हें उस अंधेरी कोठरी से निजात दी और मछली ने किनारे पर आकर आपको उगल दिया।

मछली के पेट की गर्मी से उनके बदन पर कोई बाल नहीं बचा था। अल्लाह ताला ने उनके करीब एक दरख्त उगा दिया जिसके पत्तों का साया आप अलैहिस्सलाम के लिए राहत का सबब बन गया। और एक जंगली बकरी अल्लाह के हुक्म से सुबह शाम आपके पास आकर खड़ी होती और आप उसका दूध पी लेते।

रसूलल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलैही वसल्लम ने फरमाया जब अल्लाह तआला ने यूनुस अलैहिस्सलाम को मछली के पेट में डाला तो मछली को अल्लाह ने हुक़्म दिया कि इनको अपने पेट मे रखना मगर इनके गोश्त पर तेरा हक़ नही है। क्योंकी ये तेरी ख़ुराक़ नहीं है जब मछली हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम को लेकर समुंदर की इन्तेहाई निचली सता में पहुंची तो हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम ने कुछ आहटें सुनी अल्लाह तआला ने उनपर वही नाज़िल की ये समुंद्री जानवरों की तस्बीह है इस मौके पर हज़रत  यूनुस अलैहिस्सलाम ने भी तस्बीह की।

जब फरिश्तों ने हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम की तस्बीह सुनी तो अल्लाह की बारगाह में अर्ज़ करने लगे ऐ हमारे परवरदिगार हम ये कमज़ोर सी आवाज़ किसी अजनबी से सुन रहे हैं। अल्लाह ने फरमाया यह मेरा बंदा यूनुस है फरिश्तों ने अर्ज़ किया। वो तो नेक बंदे हैं और उनकी तरफ से हर रात आपके पास नेक आमाल पहुंचते हैं।

अल्लाह ने फरमाया हाँ ये मेरी बहोत अच्छी तस्बीह करते हैं फिर फरिश्तों ने अल्लाह की बारगाह में हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम की सिफारिश की अल्लाह ने मछली को हुक्म दिया और उसने हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम को समुंदर के किनारे पर डाल दिया।जब हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम की सेहत बेहतर हुई तब हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम अपनी क़ौम में तशरीफ लाए और सब लोग इंतेहाई मोहब्बत और एहतराम के साथ पेश आकर आप पर ईमान लाए।

मोहतरम अज़ीज़ दोस्तों जाते-जाते छोटी सी गुजारिश हैअगर कोई वाक़्या कहानी या तहरीर अच्छी लग जाए तो पढ़ लेने के बाद थोड़ी सी ज़हमत फरमाकर अपने दोस्तों के साथ उसको शेयर कर दीजिएयकीन कीजिए इसमें आपका बमुश्किल एक लम्हा जाएगा लेकिन हो सकता है उस एक लम्हे की उठाई हुई तकलीफ से आपकी शेयर करदा तहरीर हजारों लोगों के लिए सबक आमोज़ साबित हो। अपना ढेर सारा ख्याल रखिएगा और मुझे अपनी दुआओं में याद रखिएगा।

जश्ने ईद मिलादुन्नबी कब और क्यों मानते है-jashne eid milad un nabi kab aur kyo manate hai

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