सदक़ा और खैरात क्या है और इसकी फ़ज़ीलत क्या है-sadqa aur khairat ki fazilat

सदक़ा और खैरात क्या है और इसकी फ़ज़ीलत क्या है-sadqa aur khairat ki fazilat

दोस्तो आज हम बात करने वाले हैं कि सदक़ा और खैरात क्या है और सदक़ा खैरात करने से इंसान की परेशानियां और मुसीबतें किस तरह से खत्म हो जाती है यानी कि सदक़ा और खैरात करने वालो को अल्लाह तआला की तरफ से क्या इनाम मिलता हैसदक़ा और खैरात क्या है और इसकी फ़ज़ीलत क्या है-sadqa aur khairat ki fazilat
sadqa aur khairat ki fazilat
दोस्तों यह जानकारी आपके लिए बहोत खास है आप इसे पूरा ज़रूर पढ़े। दोस्तों ज़कात और फितरा के अलावा नफ्ली तौर पर इबादत की नियत से अल्लाह तआला की रज़ा के लिए अल्लाह के बंदों के लिए हम जो कुछ खर्च करते है उसे सदक़ा और खैरात कहा जाता है।
यही नहीं बल्कि इस्लाम में तो तकलीफ पहुंचाने वाली किसी चीज़ को रास्ते से हटा देने को भी सदक़ा कहा जाता है। सदक़ा की तौफ़ीक़ बंदों के लिए एक इनाम है क्यों कि इस बरक़त से अल्लाह तआला हमे बहोत सारी बलाओं से महफूज़ रखता है यानी कि बचाता है हमारी हिफाज़त करता है। यही नहीं बल्कि इससे बंदे के गुनाह भी माफ हो जाया करते है। अल्लाह के रसूल हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो तआला अलैही वसल्लम ने फरमाया है कि सदक़ा गुनाहों को इस तरह से बुझा देता है जिस तरह से पानी आग को बुझा देती है।
दोस्तो अल्लाह की दी हुई रोज़ी और दौलत को दूसरों पर खर्च करना कोई आसान काम नही है बल्कि बड़े दिल की बात है। इंसान के खुद के इतने काम और इतनी ज़िम्मेदारियाँ है कि उसे पूरा करना भी मुश्किल काम है फिर उसके ऊपर गरीब मज़दूरों की मदद करना ये और बड़ी बात है इंसान अगर अपना दिल बड़ा करके अल्लाह की राह में सदक़ा करता है और गरीबो की मदद करते रहता है तो उसके बदले अल्लाह तआला उसकी सारी ज़रूरतों को भी पूरी करता है और अल्लाह इसके बदले इतना बेहतर इनाम देता है कि उस सदक़ा देने वाले ने जिसके बारे में सोचा भी न होगा और उसके रिज़्क़ में और इजाफा भी करता है और जब उस शख्स के मौत का वक़्त करीब आता है तो उसकी रूह भी आसानी से क़ब्ज़ की जाती है।

और मौत के बाद जब वो अल्लाह की बारगाह में पेश किया जाएगा तो अल्लाह तआला उससे राज़ी होगा दोस्तों हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु तआला अन्हो का बयान है की एक गुनाहगार औरत थी वो एक कुवें के करीब से गुजरने लगी तो उसने देखा कि कुवें के करीब एक कुत्ता बैठा हुवा है जो प्यास से तड़प रहा था औरत को उसकी हालत पर तरस आ गया वो उस कुवें के पास गई और काफी मेहनत के बाद उसने कुँए से पानी निकाली और उस कुत्ते को पिलाया और उसकी प्यास बुझाई अल्लाह तआला को उस गुनाहगार औरत की ये नेक काम इतनी पसंद आई कि इस सदके के बदले अल्लाह ने उसके सारे गुनाहों माफ कर दिया और उसको बख्श दिया।

दोस्तों अल्लाह की बनाई हर मख़लूक़ चाहे वो इंसान हो या फिर जानवर सब के काम आना और उनकी ज़रूरते पूरी करना भी एक सदक़ा है इस्लाम मे इसे इबादत का दर्जा दिया गया है अल्लाह के नबी सल्लल्लाहो तआला अलैही वसल्लम ने गरीबों के काम आने और उनकी मदद करने का हुक्म दिया है हज़रत अबू सईद खुदरी रज़ियल्लाहु तआला अन्हो का बयान है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो तआला अलैही वसल्लम ने फरमाया है जो शख्स किसी की मदद करे जैसे उसे पहनने के लिए कपड़े न हो और उसे कपड़े दे अल्लाह तआला बदले में उसे जन्नती कपड़ा पहनाएगा और जो किसी भूखे को खाना खिलाएगा तो अल्लाह तआला उसे जन्नत के मेवे खिलाएगा और जो किसी प्यासे को पानी पिलाएगा अल्लाह उसे जन्नत की शर्बत पिलाएगा।

दोस्तो आज हमें गौर करने की ज़रूरत है कि अल्लाह ने अगर हमें दौलत दी है तो हम उसे किस तरह से खर्च करते है गरीबों पर एक रुपये खर्च करने में 10 बार सोचते हैं लाखों रुपए कमाते हैं मगर अल्लाह ताला की राह में खर्च करने में क़तराते हैं। ये सोचते हैं की ये जमा किया हुआ पैसा अच्छी ज़िन्दगी जीने में काम आएगा सोचो अगर जिंदगी ही ना रही या किसी खतरनाक बीमारी में सारा पैसा मिनटों में ही खत्म हो जाए ये कोई नहीं सोचता कि क्या हमने कभी यह सोचा है कि अल्लाह तआला हमारी हर छोटी-बड़ी ज़रूरतें पूरी करता रहता है। हमें पानी देता है, खाना देता है और सांस लेने के लिए हवा देता है जिससे हम ज़िन्दा रहते है। अल्लाह चाहे तो एक पल में बारिश को बंद कर दें, जिससे नदी और तालाब सूख जाए और खाना पानी मिलना बंद हो जाए। लेकिन अल्लाह तआला ने कभी ऐसा कुछ नहीं किया क्यों की वो तो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।

इसी तरह से इंसान को भी ये सोचना चाहिए अगर अल्लाह हमे इतना दे रहा है तो हम उसके बंदों को कुछ देने में क्यों पीछे रहें। अगर हम अपने रब की रज़ा के लिए किसी की मदद करेंगे तो हमारा रब भी बहोत खुश होगा और हमे दुनिया और आख़िरत की नेमते भी अता करता रहेगा बता दे कि अपने दौलत को अगर आप गरीबो पर खर्च करते है तो उससे आप की दौलत कम कभी नही होगी क्यों की अल्लाह तआला ने फरमाया है कि जो बंदा मेरी राह में खर्च करेगा उसे मैं उसके एक के बदले दस दूंगा।

तो दोस्तो इंसान की सोच गलत है की हम जो कमाते हैं ये सब मेरा ही है सिर्फ बल्कि ये सोचो की हमे अल्लाह रिज़्क़ दे रहा है। अगर इसने रिज़्क़ देना बंद कर दिया तो हम क्या करेंगे हमें चाहिए कि हम सबका हक अदा करने की कोशिश करें अल्लाह के प्यारे नबी सल्लल्लाहो तआला अलैही वसल्लम ने फरमाया है कि किसान खेती करता है उसकी फसल में से बहुत से दाने परिंदे खा जाते है इससे किसान को मायूस नही होना चाहिए क्यो की जो कुछ जानवर खा जाता है उसके बदले इंसान को सदके का सवाब मिलता है तो ये बहुत बड़ी नेकी है। इसलिए हमे सदक़ा और खैरात करते रहना चाहिए। अल्लाह तआला हम सबको सदक़ा और खैरात करने की तौफीक अता फरमाए आमीन।

हज़रत अली और हज़रत फातिमा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा और सदक़ा की फ़ज़ीलत –
सदक़ा और खैरात क्या है और इसकी फ़ज़ीलत क्या है-Sadqa Aur Khairat Ki Fazilat

अब दोस्तो आपको हज़रत अली और हज़रत फातिमा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा का एक ऐसा वाक़्या बताने वाले हैं जिससे आप अच्छी तरह से समझ जाओगे की सदक़ा और खैरात किस तरह से इंसान की परेशानियों को दूर करता है सदक़ा और खैरात किस तरह से इंसान की ज़िंदगी को बचाता है। दोस्तों एक मर्तबा हज़रत फातिमा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा बहोत बीमार हो गई तो हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो ने पूछा की दुनिया की चीजों में से तुम्हारा दिल किस चीज़ को खाने को करता है तो हज़रत फातिमा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा ने जवाब दिया की अनार को ये सुनकर हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो कुछ देर सोच में पड़ गए क्यों की उनके पास पैसे नहीं थे जिससे वो अनार खरीद सके फिर वो बाज़ार गए और किसी से एक दिरहम उधार लेकर आनार खरीदा और घर की तरफ आने लगे

रास्ते मे एक बीमार आदमी जो कि सड़क पर पड़ा हुआ था तो आपने देखा कि वो बहोत ही कमज़ोर और बीमार है तो आप उसके पास रुक गए और उससे पूछा कि तुम्हे किस चीज़ की ज़रूरत है तो वो बीमार शख्स बोला की ऐ अली पाँच दिन से मैं यहाँ भूखा पड़ा हुआ हूं ना जाने कितने लोग यहा से जाते है मगर किसी ने मेरा हाल नही पूछा ऐ अली आप पूछ रहे है तो मेरे दिल में अनार खाने की ख्वाहिश है। हजरत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो सोचने लगे की अगर अनार इसको खिला दिया तो फातिमा महरूम रह जाएगी और इसे ना दिया तो अल्लाह की ना फर्मानी होगी इसलिए हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो ने वो अनार उस बीमार आदमी को खिला दिया और वो बीमार उसी वक्त तंदुरुस्त होकर बैठ गया। और इस सदके की वजह से हज़रत फातिमा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा की सेहत भी अच्छी हो गई।

तो दोस्तो उसके बाद जब हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो ये सोचते हुए घर मे दाखिल हुए की फातिमा को क्या जवाब दूंगा तो हज़रत फातिमा उन्हें देख कर खड़ी हो गई हज़रत अली ने उन्हें सारा माजरा सुनाया तो हज़रत फातिमा बोली कि आप गमगीन क्यों होते हो अल्लाह तआला की इज़्ज़त और जलाल की कसम उधर आपने उस बीमार आदमी को अनार खिलाया और इधर अल्लाह ने मुझे शिफा दे दी और मेरे दिल से अनार की ख्वाहिश भी चली गयी दोस्तों हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो इस बात पर अल्लाह का शुक्र अदा किए।

तो इतने में एक शख्स ने दरवाजे को खटखटाया तो हज़रत अली ने फरमाया कि आप कौन हैं तो उस शख्स ने कहा की मैं सलमान फार्सी हूँ तो हज़रत अली ने दरवाज़ा खोला और देखा की सलमान फ़ारसी के हाथ में कपड़े से ढका हुआ एक थैला है और वो थैला हज़रत अली के सामने रख दिया तो हज़रत अली ने पूछा कि ये थैला कहाँ से आया तो सलमान फ़ारसी ने फरमाया की ये अल्लाह की तरफ से अल्लाह के रसूल को और अल्लाह के रसूल की तरफ से आपको दिया गया है जब हज़रत अली ने कपड़ा उठा कर देखा तो उसमें नौ अनार थे फिर हज़रत अली ने फरमाया की ऐ सलमान ये अनार आप ले जाओ क्यों की ये अनार मेरा नही है अल्लाह ने फरमाया है जो शख्स मेरी बारगाह में एक देगा बदले में मैं उसे दस दूंगा अगर ये मेरा होता तो ये नौ नही बल्कि दस होता। (सुब्हान अल्लाह)

तो सलमान फ़ारसी ये बात सुनकर मुस्कुरा दिए और अपनी आस्तीन में से दसवा अनार निकाल कर थैले में रख दिये और बोले की ऐ अली खुदा की कसम थैली में तो दस अनार ही थे लेकिन मैंने आपका इम्तिहान लेना चाहा तो दोस्तों देखा आपने किस तरह से सदक़ा और खैरात इंसान के जान और माल की हिफाज़त करती है और किस तरह से इंसान की ज़िन्दगी को बचाता है अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की बारगाह में दुआ है की अल्लाह हम सब को अपनी राह में खर्च करने की तौफ़ीक़ दे (आमीन)

कुंडे की नियाज़ और हज़रत इमाम जफ़र सादिक़ का वाक़िआ-Kunde ki Niyaz ki Fazilat

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