फिरौन और मूसा अलैहिस्सलाम का वाक़्या-Firaun aur hazrat moosa ka waqia

फिरौन और मूसा अलैहिस्सलाम का वाक़्या-Firaun aur hazrat moosa ka waqia

अस्सलामु अलैकुम दोस्तों आज हम फिरौन के महल और मूसा अलैहिस्सलाम के बारे में जानने वाले है आपको बता दूँ की मिस्र के सभी बादशाह को उस वक़्त फिरौन कहा जाता था लेकिन आज हम जिस फिरौन में के बारे में पढ़ेंगे वो हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के ज़माने में रह चुका फिरौन मिस्र का आखिरी बादशाह और आखिरी फिरौन है – फिरौन और मूसा अलैहिस्सलाम का वाक़्या-Firaun aur hazrat moosa ka waqia

फिरौन और मूसा अलैहिस्सलाम का वाक़्या-Firaun aur hazrat moosa ka waqiaफिरौन और मूसा अलैहिस्सलाम का वाक़्या-Firaun aur hazrat moosa ka waqia

ये वही फिरौन है जो मूसा अलैहिस्सलाम की तालीमात और उनके दीन और अल्लाह तआला की नाफ़रमानी की वजह से अपने पूरे लश्कर के साथ दरियाए नील में तबाह हुआ उसके बारे में बताने से पहले आपको ये भी बता दू आज मै आपको फिरौन के महल की कुछ अजीबो-ग़रीब  क़ायदे के बारे में भी आपको बताऊंगा हर बादशाह की तरह फिरौन ने भी अपनी हुक़ूमत में एक महल बनवाया जो बहोत आलिशान था लेकिन उसके ग़ुरूर और तकब्बुर की वजह से उसका महल तबाह हो गया ये सब क्यों और कैसे हुवा आइए इसके बारे में जानते हैं

फिरौन का ज़िक्र क़ुरआन शरीफ में बनी इस्राईल के ज़माने में आता है  फिरौन ने ग़ुरूर और तकब्बुर की सारी हदे पार कर दी मूसा अलैहिस्सलाम ने फिरौन को अल्लाह पाक की तरफ बुलाया लेकिन वो अपनी तकब्बुर की वजह से अपने आप को खुदा कहना शुरू कर दिया और यही वो वजह की अल्लाह तआला ने फिरौन को पूरी दुनिया के लिए इबरत का निशान बना दिया और वो अपने पूरे लश्कर के साथ दरिया में तबाह हो गया फिरौन की लाश आज भीं पूरी दुनिया के लिए एक सबक़ है आज हम तारीख की रौशनी में फिरौन की हक़ीक़त जानेंगे

क़ुरआन शरीफ में अल्लाह तआला ने फ़रमाया हैं और हम फिरौन की लाश को महफूज़ रखेंगे ताकि वो आने वाले लोगों के लिए एक सबक़ हो फिरौन की लाश 1898 में दरियाए नील में तबीसिया के क़रीब बादशाहो की आबादी के पास से मिला बादशाहो की आबादी उस जगह को कहा जाता है जहां मिस्र के लोग अपने फिरौन को दफनाते थे फिरौन की लाश को बादशाहों की आबादी से निकाला गया 19007 में जब प्रोफ़ेसर एलियट्स मिथ ने जब उसके जिस्म पर रिसर्च की तो उसके जिस्म पर बहोत नमक जमी हुई मिली जिससे ये पता चल रहा था की एक लम्बे वक़्त तक ये खारे पानी में रहा और इसकी लाश दरियाए नील में महफूज़ रही

प्रोफ़ेसर एलियट्स मिथ ने उसकी पूरी लाश के बारे में अपनी किताब हुनुदशुदा लाशों जो 1912 में लिखी उसमे लिखा है उसका कहना है भले फिरौन की लाश बहोत ही बोसीदा और शिकस्ता हाल में थी लेकिन फिर भी वो एक अच्छे तरीके से महफूज़ की गयी थी माहिरों के मुक़म्मल तफ़्सीर के बाद फिरौन की लाश को क़ाहिरा के अजाइब घर में दुनिया वालों के देखने और एक सबक़ के लिए रख दिया गया है क़ाहिरा का अजाइब घर इंसानी तहज़ीब का सबसे बड़ा अजाइब घर जाना जाता है इस अजाइब घर में क़ाबा शरीफ की सोने की चाभी और बहोत क़ीमती इस्लामी दीनार और क़ुरआन शरीफ के बहोत से हाथ के लिखे नुस्खे उस्मानिया दौर के ज़ुरूफ़ और भी बहोत से क़ीमती चीज़े शामिल है

ये तो रही फिरौन की लाश की बात जिसकी पेशेनगोई क़ुरआन शरीफ से मिलती है अब थोड़ा इस बारे में जानते हैं की क्या वजह थी की फिरौन आज भी इबरत का निशान बना हुवा है और साथ ही उसका महल भी इबरत का निशान बना हुवा है फिरौनो ने मिस्र में 3000 साल तक हुक़ूमत की और मिस्र पर कुल 33 फिरौन गुज़रे है हर फिरौन की हुक़ूमत एक सदी तक रही है जिसमे से हमारा आज का बयान आखिरी फिरौन के बारे में है ये वही फिरौन था जिसका मुक़ाबला ज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से हुवा जो पानी में तबाह हुवा और उसके डूबने के बाद से ही फिरौनो की हुकूमत हमेशा के लिए डूब गया फिरौनो की हुकूमत बहोत लम्बे अर्शे तक था

ये बादशाह सोने चाँदी हीरे जवाहरात और ख़ज़ानों के बहोत शौक़ीन थे और खिदमत के लिए लोग भी बहोत हुवा करते थे यही वजह थी की उन फिरौनो में अपनी दौलत का ऐसा ग़ुरूर और तकब्बुर था की ये अपने आप को खुदा बताते थे और आखिरी फिरौन भी इसी वजह से ज़लील होकर मरा और आज तक दौलत के नशे में चूर लोगो के लिए एक सबक़ बना गया है आखिरी फिरौन एक बहोत ही ज़ालिम और घमंडी बादशाह था उसने अपनी हुकूमत में लोगो पर हर तरह के ज़ुल्मो सितम ढाये और ये लोगो को अपने आप को खुदा मनवाने और अपनी इबादत करवाने को मजबूर करता था कुछ मिस्र के लोगो को ये लगता था की फिरौन उनके और उनके खुदा के बीच बाते पहुंचाने का एक जरिया है फिरौन ने अपनी क़ौम को दरियाए नील के ज़रिये गुमराह कर रख्खा था

जब दरियाए नील अपनी पूरी ताक़त के साथ लहरे मारता तो फिरौन आम लोगो में ये ऐलान करवा देता की दरियाए नील को फिरौन ने तुम्हारे लिए पुरजोश कर दिया है लिहाज़ा अब तुम फिरौन को सजदा करो तो लोग जहालत की वजह से ये गुनाह करते एक साल ऐसा आया की दरियाए नील का पानी बहोत कम हो गया और अल्लाह तआला ने उसे लहरे मारने की इजाज़त ना दी सूखा पड़ गया वहाँ के लोग और उनके जानवरों की भूख प्यास से हालत ख़राब होने लगी उसके बाद पूरी क़ौम फिरौन के पास गई और कहने लगी अगर तुम हमारे खुदा हो तो हम पर रहम करो और दरियाए नील को फिर से हमारे लिए भर दो फिरौन इसके बाद सोच में पड़ गया फिर उसके बाद उसने अपने साथ एक टोपी ऊनि लिबास और अपने एक हाथ में राख लिया और विरान जंगल की तरफ चल दिया

वो बिलकुल अकेला गया उसने अपनी क़ौम में सभी लोगो को मना कर दिया की कोई मेरे पीछे नहीं आएगा वो उस जंगल की तरफ गया और वहाँ पहुंच कर उसने अपना शाही लिबास उतारा ताज उतारा और ऊनी लिबास और टोपी पहनकर उस राख को अपने चेहरे पर मल लिया और ज़मीन पर लोट-पोट होने लगा उसके बाद उसने अपने सर को सजदे में रख कर रोने लगा और अल्लाह की बारगाह में दुआ करने लगा और कहने लगा ऐ दोनों जहान के मालिकों मौला मै अच्छी तरह जानता हु की तू ही पूरी क़ायनात का मालिक है तेरे इलावा कोई इबादत के लायक नहीं मै झूठा हूँ मैंने तेरी नाफरमानी की है मै आज तक अपनी क़ौम से अपने आपको खुदा कहलवाता रहा हुँ

लेकिन असली मालिक तो तू ही है मै तेरी नाफरमानी में इतना आगे बढ़ गया की खुद को तेरी जगह समझने लगा ऐ खुदा तू ही अव्वल और तू ही आखिर है मै तुझसे तौबा करता हूँ ऐ खुदा तू मेरी तौबा क़ुबूल करले और मुझे मेरी क़ौम में रुस्वा मत कर उसके बाद अल्लाह तआला ने फिरौन की दुआ फ़ौरन क़ुबूल कर ली और दरियाए नील को एक बार फिर से भर दिया और दरियाए नील को ये भी हुक्म दिया की फिरौन जहां जहां जाता है उसके साथ तू भी चल उसके बाद फिरौन जैसे-जैसे आगे बढ़ता रहा दरियाए नील उसके साथ-साथ चलता रहा फिरौन उसी हालत में अपनी क़ौम में गया उसके कपडे भी दरियाए नील की पानी से भीगते जा रहे थे और लोग अपने आस्तीनों को पानी और कीचड़ में डुबो कर एक दूसरे को मार रहे थे इसी वजह से मिस्र में खुसी मनाने का आज तक यही तरीका है और इस दिन को दरियाए नील की तुग़यानी का दिन भी कहते है

ये उस शख्स के तौबा की मक़बूलियत थी जो अल्लाह तआला का नाफरमान था उसकी तौबा वैसे ही क़ुबूल की गयी जैसा वो चाहता था और अल्लाह तआला ने उसके राज़ को ज़ाहिर नहीं किया लेकिन इतना कुछ होने का बावजूद कुछ वक़्त के बाद फिरौन फिर से अपने उसी घमंड और गुरूर में आ गया और वो फिर से खुदा होने का दावा करने लगा फिरौन का महल भी उसकी बदबख्ती का नतीजा निकला फिरौन ने अपने ख़ास वज़ीर हामान को महल तामीर करवाने का हुक्म दिया जैसे ही हामान को हुक्म मिला उसने महल बनाने के सामन का इंतज़ाम करना शुरू कर दिया  फिरौन की महल के लिए पूरी दुनिया से हर तरह के माहिर कारीगरों को बुलाया गया

कहा जाता है की कारीगरों के अलावा सिर्फ मज़दूरों की तादाद की बात की जाए तो उनकी तादाद 50000 के लगभग थी इस महल की तामीर बहोत ही महारत से की गयी सात साल के बाद महल की तामीर पूरी हो गई हैरत की बात ये है की उस महल की बुलंदी इतनी ज़्यादा थी की जब से ये दुनिया क़ायम हुई है उस महल की ऊंचाई की मिसाल नहीं मिली ये महल फिरौन की ख्वाहिश के मुताबिक़ बनाया गया था इस महल की ख़ुफ़िया राज़ और भी बहोत सी चीज़े अपने आप में एक मिसाल थी जब महल बनकर तैयार हो गया तो फिरौन अपने घमंड में आकर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से गुस्ताखी की मूसा अलैहिस्सलाम को ये सब कुछ नागवार गुज़रा अल्लाह तआला ने मूसा अलैहिस्सलाम पर वही नाज़िल की फ़रमाया ऐ मूसा आप इस बदबख्त को अपने ज़हन से निकाल दे और इसके बारे में ना सोचें मै इसके महल को एक लम्हे में बर्बाद कर दूंगा

फिरौन और मूसा अलैहिस्सलाम का वाक़्या-Firaun aur hazrat moosa ka waqia

फिर एक दिन फिरौन और उसके साथी महल के सबसे ऊंचाई पे चढ़कर आसमान की तरफ तीर चलाने लगे उनका सोचना था की वो मूसा अलैहिस्सलाम और उनके फ़रिश्तो को मार रहे है (माज़अल्लाह) उन लोगो ने आसमान की तरफ तीर चलाई जब तीर वापस आया तो उनमे खून लगे हुवे थे फिरौन और उसके साथी ख़ुशी से कहने लगे हमने मूसा अलैहिस्सलाम के खुदा को माज़अल्लाह क़त्ल कर दिया है ये फिरौन की बदबख्ती का आखिरी वक़्त था उसके बाद अल्लाह तआला ने हज़रत जिबरईल अलैहिस्सलाम को हुक्म दिया की इसको महल को तबाह कर दो हज़रत जिबरईल अलैहिस्सलाम ने अपने पर मार कर उस महल के 3 टुकड़े कर दिए

जिसमे से एक टुकड़ा समुन्दर में जाकर गिरा दूसरा टुकड़ा शुमाल और तीसरा मग़रिब में जाकर गिरा एक रिवायत में ये भी आया है की एक टुकड़ा फिरौन की लश्कर के ऊपर जाकर गिरा जिसके निचे दबकर लाखो फिरौनि मर गए इस तरह से अल्लाह तआला ने फिरौन को तबाह कर दिया जब फिरौन ने ये सब कुछ देखा तो उसको सब कुछ समझ आ गया ये सब उसकी बदबख्ती का ही नतीजा है तो उसने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से जंग शुरू कर दी अल्लाह तआला ने मोजज़ा के ज़रिये उसे समझाने की कोशिश की लेकिन फिरौन बाज़ नहीं आ रहा था और आखिरकार वो हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम का पीछा करते हुवे दरियाए नील में तबाह हो गया

इस वाक़्या से सबक़ हासिल होता है कभी भी दौलत और ताक़त का घमंड न करो सब का मालिक अल्लाह है वो जिसे चाहे दौलत दे जिसे चाहे इज़्ज़त और जिसे चाहे ज़िल्लत अल्लाह तआला ने फिरौन की लाश को दरियाए नील के अंदुरुनी तह में  महफूज़ रखा उसके बाद दरिया ने उसे किनारे पर उगल दिया आज भी फिरौन की लाश रख्खी हुई है ताकि लोग इससे इबरत हासिल कर सके अल्लाह तआला की बारगाह में दुआ है अल्लाह हम सब को घमंड और तकब्बुर से बचने की तौफ़ीक़ दे और हम सबको बेहतर ज़िनदगी गुज़ारने का तरीक़ा दे हमें दुनिया में हर तरह के गुनाह से बचने की तौफ़ीक़ दे (आमीन)

हज़रत ईसा और एक मुर्दा बादशाह का वाक़िआ-Hazrat Isa a.s story in hindi

नाज़रीन अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो

तो सदक़-ए-जारिया की नियत से ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक शेयर करें

3 Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *