दरिया ए नील का वाकया-darya e neel ka waqia

दोस्तों आज हम जानेंगे फिरौन और दरिया ए नील का वाकया-darya e neel ka waqia फिरौन बनी इसराइल का एक बादशाह था जो अपनी हुकूमत के समय बनी इसराइल के लोगों पर बहोत ज़ुल्म किया करता था। और लोग उसके ज़ुल्म को बर्दाश्त कर लिया करते थे। वो लोग कभी भी उसके खिलाफ आवाज़ नहीं उठाते थे क्यों की बनी इसराइल के पास इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था।  वो लोग मिश्र को छोड़कर कहीं और जा भी नहीं सकते थे.

इसी लिए वो लोग उसके हर ज़ुल्म को सह लिया करते थे। कभी भी उसके खिलाफ आवाज़ नहीं उठाया करते थे। फिरौन हर तरह के ज़ुल्म करता था ज़िंदा लोगों को दीवार में बांध कर उनके हाथों में किले मारता था। और ये सब कुछ वो उन्हें किसी गलती की सजा देने के लिए नहीं करता था बल्कि सिर्फ अपने दरबारियों और अपने दोस्तों को तमाशा दिखाने के लिए करता था.

उसके दोस्त और दरबारी ये सब देखकर बहोत खुश होते जब भी बनी इसराइल के किसी शख्स को दीवार में लटकाकर उसके हाथ में कीलें ठोंकी जाती थी तो उसकी चीख-पुकार से दरबार के लोग बहुत खुश होते थे। वो लोग ठहाके लगाकर ये सब देखकर हँसा करते थे। दोस्तों जब एक लंबे समय तक फिरौन ऐसा करता रहा और लोग उसकी किसी बात पर आवाज़ नहीं उठाया करते थे तो फिर उसने ये दावा कर दिया की वो मिश्र के लोगों का खुदा है। और उसने ये ऐलान करवा दिया की लोग फिरौन को अपना खुदा माने और उसे सज्दा करें क्यों की मिश्र पर उसकी हुक़ूमत है.

दरिया ए नील और फिरौन का वाकया-darya e neel aur firaun ka waqia

तो फिर लोग फिरौन के डर और खौफ की वजह से उसको अपना खुदा कहने लगे वो लोग उसको सज्दा करते और उसको अपना सबसे बड़ा खुदा मानते काफी दिन बाद फिर फिरौन के दिल में ये खयाल आया की कोई ऐसा काम कर के दिखाना चाहिए कि लोगों को उसकी खुदाई पर यकीन और बढ़ जाए। उसने ईद के दिन लोगों के सामने एक अजीबो-ग़रीब दावा किया। बनी इसराइल के लोगों की ईद एक अलग तरह की होती थी जिसे यौमुल-निरोज़ कहते थे इसका मतलब ये है एक नया दिन और खुशियाँ मनाने का दिन.

क्यों की इस दिन दरिया ए नील  पूरी तरह से भरी रहती थी और अपनी तेज़ लहरे मारा करती थी। उस दिन दरिया ए नील की लहरें सबसे तेज़ रहती थी इसी लिए वो लोग इस दिन ख़ुशी मनाया करते थे। दोस्तों उसी खुशी के दिन फिरौन ने सबके सामने ये ऐलान किया की दरिया का पानी मेरे हुक़्म से चलता है. उसने लोगों से कहा इस लिए तुम लोग मुझे शुक्र अदा करने के लिए मुझे सज्दा करो क्यों की मैंने तुम्हारे लिए दरिया ए नील का पानी जारी किया है। और इस दरिया ए नील को खुश करने के लिए मैं तुम्हें हुक़्म देता हूं कि एक कुवांरी खातून को दरिया ए नील के हवाले कर दिया करो इससे दरिया का पानी कभी कम नहीं होगा.

लोगों ने फिरौन की इस बात को मान लिया और फिरौन का शुक्र अदा करने के लिए उसे सज्दा करने लग गए और कहने लगे की फिरौन हमारा खुदा है और इसी ने हमारे लिए दरिया ए नील को पानी से भर दिया है 1 या 2 साल के बाद दरिया ए नील सूख गया उसका पानी ख़त्म हो गया जिसकी वजह से मिश्र में क़हर पड़ गया वहाँ के लोग पानी ना मिलने की वजह से बहोत परेशान होने लगे उनकी फसलें तबाह होने लगी और वो लोग बड़े ना उम्मीद होकर फिरौन के पास आए और फिरौन से कहा कि तुम हमारे खुदा हो तो दरिया ए नील को क्यों बंद कर दिए हो.

उसके बाद मिश्र के लोगों ने फिरौन से कहा क्या हमने तुम्हे नाराज़ कर दिया है अगर तुम हमारे खुदा हो तो हमें इस परेशानी से निकालो और दरिया ए नील अभी पहले जैसा ही पानी से भर दो फिरौन मिश्र के लोगों की इन बातों को सुनकर बहोत परेशान हो गया। सारी रात उसे नींद नहीं आई और वो अपने दरबार में टहलता रहा और सोचता रहा की अब लोगों को कैसे यकीन दिलाए की वो उनका खुदा है। आखिर उसके दिमाग में एक तरीक़ा आया और उसने एक सादा लिबास और सादी सी टोपी जो आम इंसान पहना करते हैं वो एक थैली में रख ली.

और अपने सभी वज़ीरों और दरबार के लोगों को कहा की मैं कल इस जगह पर अकेले जाना चाहता हूँ। कोई भी शख्स मेरे पीछे ना आए दोस्तों आपको बता दूँ ये जगह आज भी मक्यास के नाम से मशहूर है। अगले दिन सुबह होते ही फिरौन अपना थैला लेकर उस जगह पर पहुँच गया। वहाँ पहुँचने के बाद उसने अपने कपड़े बदले शाही लिबास उतारकर सादा लिबास और सादी सी टोपी लगाकर ज़मीन पर लोट-पोट होने लगा और दुआ मांगने लगा.

ऐ ज़मीन और आसमान के मालिक ऐ सारी क़ायनात को बनाने वाले रब मैंने तेरी बहोत नाफरमानी की है और तेरे बन्दों पर भी बहोत ज़ुल्म किया है लेकिन अब मेरी जान पर बन आई है ऐ मेरे रब अब लोगों में मेरी इज़्ज़त रख ले अब मुझे उन लोगों के सामने ज़लील और रुस्वा होने से बचा ले बेशक मैं जानता हूँ की असली खुदा तू ही है.

दोस्तों आप ये जानकार हैरान हो जाएँगे की फिरौन की दुआ क़ुबूल हो गई और दरिया ए नील फिर से पहले जैसा भर गया और अपनी तेज़ लहरें मारने लग गया फिर तरो-ताज़ा हो गया जैसे कभी सूखा ही नहीं था. और जैसे ही फिरौन शहर पहुंचा तो लोग उसको सज्दा करने लगे और लोगों को उसकी खुदाई पर यक़ीन और बढ़ गया की फिरौन ही हमारा खुदा है. फिरौन की बनाई हुई रस्म भी हमेशा के लिए तय कर दी गई और मिश्र के लोग हर साल एक लड़की को दरिया ए नील में डुबो देते थे.

दोस्तों इत्तेफ़ाक़ की बात देखिए की जब भी दरिया ए नील सूखने लगती तो उसके अंदर एक लड़की को डुबो देते तो वो दोबारा पहले जैसी पानी से भर जाती पहले जैसी ही लहरें मारने लगती। और मिश्र के लोगों में ये बात मशहूर हो गई की दरिया में बहोत बड़ा जिन्न और सय है जिसे हर साल एक कुवांरी लड़की की बलि चाहिए नहीं तो वो जिन्न और सय दरिया का पानी पूरा पी जाती है इसी तरह समय गुजरने के बाद जब फिरौन मर गया तब भी लोग फिरौन के बनाए क़ानून के हिसाब से ही चलते रहे हर साल दरिया ए नील में एक कुंवारी लड़की को डुबो देते.

दरिया ए नील और हज़रत उमर का वाकया-darya e neel aur hazrat umar ka waqia

दोस्तों उन लोगों की जहालत का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं की ये रस्म कई सौ साल तक चलती रही। और जब हज़रत उमर फ़ारूक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हो का ज़माना आया तब उन्होंने मिश्र में अपने एक खादिम को गवर्नर बना कर भेजा तो वहाँ के गवर्नर ये सब बातें जानकार बहोत नाराज़ हुवे और फिरौन के बनाये सभी नियमों को ख़त्म कर दिए और कहा की इस साल कोई भी मासूम लड़की दरिया में नहीं डाली जाएगी। अल्लाह की मर्ज़ी भी देखिए जैसे ही वो दिन क़रीब आया दरिया ए नील फिर सूखने लगा यहाँ तक की दरिया का पानी पूरा सूख गया.

लोगों में निराशा और ख़ौफ़ बढ़ गई की सदियों से चली आ रही रस्म को ख़त्म करने की वजह से वो जिन्न और सय नाराज़ हो जाएँगे और हम हमेशा के लिए पानी के मोहताज हो जाएंगे इसके बाद मिश्र के गवर्नर ने हज़रत उमर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को एक खत लिखा और खत में सारा मामला लिखा की हमारे यहाँ ये सब हो रहा है आप इसका कोई हल निकालें हज़रत उमर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने खत का जवाब लिखा और कहा इस तरह की ज़ुल्म करने वाली और जाहिलाना रस्म को तुरंत ख़त्म करो और साथ ही मैं एक और खत लिख कर दे रहा हूँ इसे दरिया ए नील में डाल देना.

हज़रत उमर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने इस खत में लिखा की ये खत अल्लाह के बंदे उमर की तरफ से दरिया ए नील के लिए है ऐ दरिया ए नील अगर तू अब तक अपनी मर्ज़ी से चलती थी तो हमें तेरे पानी की कोई ज़रुरत नहीं है। और अगर तू अब तक अल्लाह के हुक्म से चलती रही है तो मैं उमर अल्लाह का बंदा तुझे हुक्म देता हूँ की तू फिर से पहले जैसी पानी से भर जा क्यों की अल्लाह के मख्लूक़ को तेरे पानी की ज़रुरत है और वो सब पानी ना होने की वजह से परेशान है.

दोस्तों जैसे ही हज़रत उमर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का लिखा हुवा खत दरिया में डाला गया तो दरिया ए नील पानी से भर गया एक ही दिन में उसका पानी पूरी तरह से भर गया बल्कि वो पहले से भी ज़्यादा लहरें मारने लगी और इसी तरह से मिश्र के लोगों में से हमेशा के लिए वो जाहिलाना और ज़ालिमाना रस्म ख़त्म हो गई। दोस्तों इस पोस्ट से हमें 2 बहोत ही अहम सबक मिलते हैं.

1 सबक़ ये की फिरौन इतना बड़ा ज़ालिम और अल्लाह का नाफरमान था लेकिन जब उसने सच्चे दिल से अल्लाह की बारगाह में रोकर दुआ मांगी तो अल्लाह तआला ने उसकी दुआ क़ुबूल कर ली तो क्यों नहीं अगर हम भी अल्लाह तआला की बारगाह में सच्चे दिल से दुआ माँगेंगे तो क्या अल्लाह हमारी दुआ नहीं सुनेगा बेशक अल्लाह हमारी भी दुआ को क़ुबूल करेगा.

2 सबक़ ये है की दोस्तों हमारे समाज में कुछ ऐसे जाहिलाना रस्म भी हैं जिसे सिर्फ इस लिए की जाती है की ये रस्म कई सालों से चलती आ रही है लेकिन ये कोई अच्छी बात नहीं है की कोई गलत रस्म पहले से चलती आ रही हो और हम भी उसे जारी रखें हमारी शरीयत ये सिखाती है कि ऐसे बुरे कामों से फौरन तौबा कर लेनी चाहिए.

इसे भी पढ़ें – फिरौन और मूसा अलैहिस्सलाम का वाक़्या-Firaun aur hazrat moosa ka waqia

और अल्लाह पर भरोसा करते हुवे इस तरह के मुशरिकाना और जाहिलाना रस्मों को छोड़ देना चाहिए इससे किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है बल्कि सब कुछ अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की मर्ज़ी से होता है। अल्लाह तआला से दुआ है कि हमें हर किस्म की मुशरिकाना और जाहिलाना रस्मों से बचाए और हमें नेक काम करने की तौफ़ीक़ आता करे हर बुरे काम से बचाए अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे और लोगों तक शेयर करें अल्लाह हाफ़िज़.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *