शद्दाद और उसकी जन्नत का वाक़्या-Shaddad Aur Uski Jannat Ka Waqia

शद्दाद और उसकी जन्नत का वाक़्या-Shaddad Aur Uski Jannat Ka Waqia

दोस्तों आज हम शद्दाद के बारे में जानेंगे कि शद्दाद कौन था और आज क्यो वो पूरी दुनिया के लिए सबक़ बन गया है दोस्तों ये शद्दाद और उसकी जन्नत का वाक़्या है क़ौमे आद में दो बादशाह गुज़रे एक नाम था शदीद और दूसरा शद्दाद आज हम आपको क़ौमे आद के बारे में बताएंगे ये ऐसी क़ौम गुज़री है जिसके बारे में अल्लाह तआला ने फरमाया है कि हमने इस जैसी क़ौम दुनिया मे दुबारा नही पैदा की क़ौमे आद यमन में आबाद था – शद्दाद और उसकी जन्नत का वाक़्या-Shaddad Aur Uski Jannat Ka Waqia

शद्दाद और उसकी जन्नत का वाक़्या-Shaddad Aur Uski Jannat Ka Waqiaशद्दाद और उसकी जन्नत का वाक़्या-Shaddad Aur Uski Jannat Ka Waqia

तारीख बयान करने वाले अक्सर उलमा ने हज़रत हूद अलैहिस्सलाम के बाद शद्दाद का बयान किया है। उनकी मौजूदगी में ये वाक़्या बयान किया गया है ताकि ईमान वाले इसे सुनकर सबक हासिल कर सकें और खुदा की कुदरतों का नज़ारा देखने से लोगों को नसीहत हो। आद कौम में “शदीद” और “शद्दाद” दो भाई थे। यह दौलत वाले, इज्जत वाले और बादशाह थे। शाम मुल्क में उनका मुक़ाबला था। दिन-रात हकूमत करना ही उनका काम था।

शदीद और उसके लोग अगरचे शिर्क की हालत में जीते थे, लेकिन वो बड़ा इंसाफ वाला था, उसके इंसाफ से शेर और बकरी एक जगह पानी पीते थे। कहा जाता है कि एक दिन उसकी अदालत में दो आदमी आये। उन 2 दोनों ने अजीब हलात सुनाये। एक बोला कि मैंने इससे जमीन का एक टुकड़ा लिया है कीमत देकर, और उस ज़मीन पर अब मेरा कब्जा है। मैंने उस ज़मीन में खजाना पाया है मैं इसको देना चाहता हूँ, इसलिए कि यह खज़ाना इसी का है।

दूसरा बोला, मैंने ज़मीन बेची है इसलिए उसमें जो कुछ है सब उसी का है इसलिए यह खज़ाना भी उसी का है। अब उसे लेना चाहिए लेकिन यह हीला-बहाना क्यों करता है, समझ में नहीं आता। शदीद ने पूछा कि तुम दोनों की कोई औलाद भी है। उन्होंने कहा हां है, एक के पास बेटी है और एक के पास बेटा। शदीद ने हुक्म किया कि इन दोनों का निकाह आपस में करके यह माल इन दोनों को दे दिया जाये। इस तरह शदीद ने एक ऐसा फैसला किया जो सबके लिए काबिले कुबूल था और उसके इंसाफ़ का जो नाम हुआ वो अलग।

हज़रत हूद अलैहिस्सलाम ने शदीद को भी ईमान की दावत दी थी, लेकिन उसने सब कुछ होने के बाद भी, इस पर ध्यान न दिया और शिर्क की हालत में ही मर गया। इसके बाद “शद्दाद” गद्दी पर बैठा हज़रत हूद अलैहिस्सलाम ने उसको भी ईमान लाने के लिए कहा। वह बोला, अगर मैंने तुम्हारा दीन अपना लिया, तो मुझे क्या फायदा होगा?

हज़रत हूद अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया की अल्लाह तआला तुम्हे इसके बदले में हमेशा-हमेशा के लिए जन्नत देगा और तुम पर अपनी रहमत और मेहरबानी करेगा शद्दाद बोला की मै भी जन्नत बनाऊंगा और दिन रात वहाँ ऐश से रहूँगा। फिर शद्दाद ने जन्नत बनाने का मजबूत इरादा कर लिया उसने मुल्क़ के कोने-कोने में आलिमों के पास पैग़ाम भेजा उन्होंने हुक्म के मुताबिक़ सोना चाँदी हीरे जवाहरात भेजे और हुक्म दिया की जितने मुश्क़-अम्बर और मवारिद उसके हाथ आए वो सब जमा करके उसके पास लाया जाए।

हर तरह का सामान जमा करने के बाद उसने एक खूबसूरत और मनमोहक जगह की तलाश शुरू की और उसे वो जगह भी मिल गई वो ऐसी जगह थी जहां की हवा भी जन्नत की हवा की तरह खुशबूदार थी उसने उस जगह पर तमाम हीरे जवाहरात जमा कराए। बड़े-बड़े तेज़ क़िस्म के कारीगर बुलवाए और इमारत की मज़बूत से मज़बूत नीव डलवाना शुरू कर दिया उसकी दीवारों की लम्बाई लोगों की सोच से ज़्यादा ऊँची थी और चौड़ाई उसके कारीगरों के हिसाब से उस वक़्त की सबसे चौड़ी थी दीवारे आसमान को छूती थी और उसकी चमक दमक चाँद सूरज से भी ज़्यादा थी।

जब से दुनिया क़ायम हुई ऐसा मक़ान कहीं नहीं बना था दीवारे उसकी सोने चांदी ईंटों से बनाई गई थी छत उसकी सोने के पत्तों से सजाई गई थी उसके सुतून खूबसूरत बिल्लौर से मज़बूत किये गए थे। हर चीज़ बेहतरीन तरीके से सजाई गई। वहाँ की नहरों में रेत के बजाए अनमोल मोती बिछाए गए और उसके पेड़ों को सुर्ख सोने के फलों से लाद कर मुश्क और अम्बर की खुशबू से भर दिया गया। जिस वक्त इन पेड़ों से होती हुई सूखी हवा चलती थी तो उस तरफ के रहने वालों के दिमाग को खुशबुओं से भर देती थी।

शद्दाद ने ज़मीन पर मिट्टी के बजाए मुश्क व अम्बर बिछवाया। उसके महलों के चारों तरफ लाल सोने से तर्तीब देकर सजाया गया। सिर्फ इतना ही नहीं कि दिखावे के लिए उस को बनवाया था, बल्कि उसमें रहने के लिए अपने मनपसंद माशूकों और परियों को भी इकट्ठा कर दिया। यह बाग और महल 12 वर्ष की मुद्दत में मुकम्मल हुआ। इसमें पूरी दुनिया के जवाहरात लग गये। जब यह बन कर पूरा हो गया तो शद्दाद को खबर दी गई कि उसकी जन्नत तैयार है।

शद्दाद की खुशी का ठिकाना न था। एक बड़ी फौज लेकर उस महल और जन्नत को देखने के लिए चला। वो अपनी जन्नत को देखने के लिए जा ही रहा था की उसने रास्ते में एक हिरन को देखा उसके पांव चांदी के हैं, सींग सोने के हैं, और आंखें याकूत की हैं। शद्दाद उस हिरन को देखकर हैरान रह गया। जी ललचा उठा, उसने सोचा इसे किसी भी तरह हासिल करूंगा। उसने बिना कुछ सोचे समझे उस हिरन के पीछे घोड़ा दौड़ा दिया। हिरन भागा और शद्दाद ने अपना घोड़ा उसके पीछे-पीछे दौड़ाया।

यह दौड़ बहुत दूर तक चली यहाँ तक कि शद्दाद की फौज बहुत पीछे रह गई। फिर उसे एक डरावने किस्म का घुड़ सवार मिला। उसने शद्दाद से कहा कि क्या इस इमारत जिसे तो जन्नत कहता है इसे बनाने से तुझे सुकून मिल जाएगा? शद्दाद उस घुड़ सवार की ये अलफ़ाज़ सुनकर कांप गया, पूछा तुम कौन हो? वो घुड़ सवार बोला, मैं मौत का फरिश्ता हूँ। शद्दाद ने बड़ी नर्मी और बे-चैनी से कहा कि मुझे अपनी जन्नत को एक मिनट देखने की मोहलत दे दो, फिर तुम मेरी जान निकाल लेना। मौत के फ़रिश्ते ने बोला, यह हुक्म दुनिया के पैदा करने वाले का है। उसके हुक्म के बाद मुझे इख्तियार नहीं कि मैं तुम्हें एक मिनट की भी मोहलत दे सकू।

फिर उसी वक्त मौत के फरिश्ते ने उसकी रूह कब्ज कर ली और उसका जिस्म रूह से खाली हो गया। शद्दाद के मरने के बाद वह आलीशान इमारत और खूबसूरत बाग लोगों की नजरों से गायब हो गया। तारीख की किताबों में लिखा है कि अल्लाह ने हज़रत इज़राईल अलैहिस्सलाम से पूछा कि ऐ इज़राईल तुम मुद्दतों से रूहों को निकालने में लगे हो और शुरू ही से तुम्हारा ये काम है। क्या कभी तुम्हे किसी पर रहम और तरस आया है? जान निकालते वक्त कुछ दया भी आई है?

हज़रत इज़राईल अलैहिस्सलाम ने बोला, ऐ खुदा मैं तो सब पर ही दया करता हूँ। अल्लाह तआला ने फ़रमाया, किस पर ज्यादा तरस तुम्हे आया? तब हज़रत इज़राईल अलैहिस्सलाम ने यह किस्सा सुनाया कि एक दिन एक नाव को आपके हुक्म के मुताबिक मैंने तोड़ दिया और उसके तख्ते अलग-अलग कर दिए। हवा का झोंका आया, नाव डूब गई और नाव वाले बिजली की तरह कुछ ही देर में खत्म हो गये। मगर एक औरत जिसके पेट में बच्चा था, उसको हुक्म के मुताबिक नाव के तख्तों को सहारा बना कर बचा लिया। वह तख़्ता फ़रिश्तों ने एक जज़ीरे में पहुंचा दिया। जिस वक्त एक लड़का उस औरत के पेट से पैदा हुआ, तो माँ बहुत परेशान हुई।

आपका हुक्म हुआ कि माँ की जान भी निकाल लो और अकेले उस लड़के को उसके पहलू में पड़े रहने दो। उस वक्त मैं रो दिया और मन में ख़याल आया की इस बच्चे का क्या हाल होगा? तड़प कर मरेगा या जंगली दरिन्दों के मुंह का लुक्मा बनेगा? ऐ खुदा, तू खूब जानता है कि मुझे उस बच्चे पर बहुत रोना आया और उसकी तन्हाई और बेकसी को सोच-सोच कर दिल भर आता था। और दूसरा शद्दाद पर मुझे बड़ी दया आई कि उसने कई बर्ष में इमारत बनवाई थी, फिर भी उसे एक नज़र देखने से महरूम रहा।

और दिल में हसरत और अफ़सोस लिए ही इस दुनिया से विदा हो गया। अल्लाह तआला ने फरमाया ऐ इज़राईल ये शद्दाद वही लड़का है  जिस पर तुमने पहले भी तरस खाया था और मैंने उसकी माँ के मरने के बाद सूरज और हवा को यूं हुक्म फरमाया था। कि तुम अपनी गर्मी और सर्दी से इसे मत सताओ, और हवा को हुक्म दिया की फूलों के पत्ते उड़ा कर इसके लिए फर्श बनाओ।

फिर उसके दोनों अंगूठों से दूध और शहद की नहर मैंने बनाई। कितनी मेहरबानियों के साथ मैंने उसकी जान बचाई, उसे दौलत दिया, बादशाह बनाया,दुनिया की साड़ी नेमतें उसे दी, फिर भी इन नेमतों का शुक्र अदा करने के बजाए खुदा होने का दावा कर दिया। उसका तो यह अंजाम होना ही था। (अल्लाह हम सब को अपने गजब से बचाये)

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दोस्तों ये थी शद्दाद और उसकी जन्नत का वाक़्या जिसे उसने अपने घमंड में बनवा तो लिया लेकिन अल्लाह की क़ुदरत को कुछ और ही मंज़ूर था अल्लाह ने उसे रहती दुनिया के लिए सबक़ बना दिया की दौलत शोहरत पर घमंड करके कुछ हासिल नहीं होने वाला हर किसी को उसके किए आमाल का बदला मिलेगा शद्दाद को भी अल्लाह ने बेशुमार दौलत और ताक़त अता की लेकिन वो खुद को खुदा के बराबर समझने लगा था और आज पूरी दुनिया के लिए वो नसीहत बन गया की कभी दौलत पर घमंड मत करना

दोस्तों अल्लाह तआला की बारगाह में दुआ है की अल्लाह तआला हम सब को अच्छे काम करने की तौफ़ीक़ दे और अपनी दौलत को सही काम में खर्च करने की तौफ़ीक़ दे हम सब को गुमराही से बचाए और ज़्यादा से ज़्यादा ने काम करने की तौफ़ीक़ दे (आमीन) शद्दाद और उसकी जन्नत का वाक़्या-Shaddad Aur Uski Jannat Ka Waqia

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