Hazrat Hasan Basri Aur Darwaish Ka Waqia-अल्लाह के वली की करामात और दरवेश का वाक़िआ

Hazrat Hasan Basri Rahmatullah Alaih Aur Darwaish Ka Waqia-अल्लाह के वली की करामात और दरवेश का

hazrat hasan basri aur allah ke wali waqya
Hazrat Hasan Basri Aur Darwaish Ka Waqia-अल्लाह के वली की करामात और दरवेश का वाक़िआ
सैयदना हसन बसरी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं – मैं एक मुत्तक़ी और परहेज़गार शख्स के जनाज़े में शरीक हुआ उसे बशरा के कब्रिस्तान में दफन किया गया ततफ़ीन के बाद लोग अपने-अपने घरों की तरफ चले गए और मैं क़रीबी जंगल की तरफ चला गया।  वहाँ अल्लाह के कुदरत में ग़ौरो फिक्र करता रहा। एक जगह बहोत घने दरख़्त थे मैने जब बगौर देखा तो उन दरख़्तों के पीछे एक गार नज़र आया। मैंने अपने दिल में कहां शायद ये ग़ार डाकुओं और लूटेरों का आवास गाह है। जब मैं उस ग़ार के क़रीब पहुंचा तो देखा वहां एक नूरानी चेहरे वाला हसीनों जमील नौजवान ऊन का जुब्बा पहने बड़े ख़ुसू ओ खुज़ू से नमाज़ पढ़ रहा था।
सैयदना हसन बसरी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं- मैं उसके क़रीब जाकर बैठ गया। उस नौजवान ने रुकू ओ सुजूद के बाद सलाम फेरा और मेरी जानिब मुतवज्जोह हुआ मैंने उसे सलाम किया उसने जवाब दिया। मैंने उससे पूछा ऐ मेरे भाई आप कहां के रहने वाले हैं? उसने कहा, मैं मुल्के शाम का रिहायशी हूं। मैंने पूछा आप शाम से बसरा किस मकसद के लिए आए हैं, उसने जवाब दिया। मैंने सुना था कि बशरा और उसके क़रीबी इलाकों में आपदीनो -ज़ाहिदीन और बाअमल उल्माए किराम बहोत ज़्यादा हैं। इसी लिए मैं शाम से बशरा चला आय ताकि मैं उन अल्लाह के नेक बन्दों से मुलाक़ात कर सकूँ और उनसे इल्मो अमल सीख सकूँ।
सैयदना हसन बसरी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं- मैंने उससे पूछा ऐ बंदए खुदा तुम्हारे खाने-पीने का इंतज़ाम किस तरह होता है यहां जंगल में तुम्हें खाना कैसे मिलता होगा उसने जवाब दिया जब भूख लगती है तो दरख़्तों के पत्ते खा लेता हूं और जब प्यास महसूस होती है तो जंगल में मौजूद तालाबों से पानी पी लेता हूं। मैंने कहा ऐ नौजवान मेरी ख्वाहिश है कि मैं तुम्हें उम्दा आटे की दो रोटियाँ पेश कर दिया करूँ ताकि तुम उसे खाकर इबादत पर क़ूवत हासिल कर सको तो वो नौजवान कहने लगा ऐसी बातें छोड़ो मैने कई सालों से खाना नहीं खाया पत्ते खाकर ही गुज़ारा कर रहा हूँ।
सैयदना हसन बसरी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं- मैंने कहा ऐ मेरे भाई अगर तुम हमारे खाने को कुबूल कर लोगे तो हमारी खुशकिस्मती होगी तो हमारी तरफ से कुछ ना कुछ क़ुबूल कर लो ताकि हमें बरकत हासिल हो वो नौजवान बोला अच्छा अगर तुम चाहते हो तो जाओ बग़ैर छाने आटे की दो रोटियां ले आओ और सालन की जगह नमक लाना। हजरत सैयद हसन बसरी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं फिर मैं उस नौजवान के पास चला आया और बग़ैर छाने आटे की दो रोटियां पाकवाई उस पर नमक रखा और वापस उसी जंगल की तरफ चल दिया।
सैयदना हसन बसरी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं- जब मैं ग़ार के करीब पहुंचा तो वहां का मंज़र देखकर मैं बहुत हैरान हुआ मैंने देखा कि खूंखार शेर ग़ार के दहाने पर बैठा हुआ है। मैंने दिल में कहा, ऐसा ना हो की इस खूंखार दरिंदे ने उस नौजवान को मार डाला हो। मैं बहुत परेशान हो गया था फिर मैं एक ऊँची जगह पर चढ़ा जहां से ग़ार का अंदरूनी हिस्सा नज़र आ रहा था।
सैयदना हसन बसरी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं- मुझे यह देख कर बड़ी खुशी हुई कि अल्हम्दुलिल्लाह वो नौजवान सही सलामत है। और अपने रब की  बारगाह में सजदा कर रहा है। मैंने बुलंद आवाज से उसे पुकारा ऐ मेरे भाई तुझे क्या हो गया है कि तो अपने आस-पास के हालात से बेखबर है। शायद इबादत ए इलाही में इतना डूब जाने की वजह से तुझे बाहर के हालात की खबर नहीं। मेरी आवाज सुनकर उस नौजवान ने नमाज़ में तकफीफ की और सलाम फेरने के बाद कहने लगा।
अल्लाह के वली ने कहा- ऐ अल्लाह के बंदे तुमने ऐसी क्या चीज़ देख ली जिसकी वजह से तुम इतने परेशान हो रहे हो? सैयदना हसन बसरी रहमतुल्लाह अलैह ने कहा वो देखो ग़ार के दहाने पर ही खूंखार शेर घात लगाए बैठा है और ऐसा लगता है कि वो अभी हमला कर देगा। उसने मुझे मुखातिब करते हुए कहा। ऐ खुदा के बंदे अगर तू उस ज़ात से डरता जिस ने इस शेर को पैदा किया है तो यह तेरे लिए बहुत बेहतर होता।
अल्लाह के वली ने शेर से कहा- फिर उस नौजवान ने शेर की तरफ तवज्जोह की और कहा। ऐ दरिंदे बेशक तू अल्लाह के कुत्तों में से एक कुत्ता है। अगर तुझे बारगाहे खुदावंदी से हुक़्म मिला है की तू मुझे कोई नुकसान पहुंचाए फिर मैं तुझे रोकने की कुदरत नहीं रखता। और अगर तुझे अल्लाह रब्बुल इजज़्ज़त की तरफ से हुक़्म नहीं मिला तो फिर मुझे तेरा कोई खौफ़ नहीं है। फिर तेरी बेहतरी इसी में है कि तू यहां से चला जा। तू बिना वजह मेरी और मेरे भाई की मुलाक़ात में दीवार बन रहा है।अभी इस नेक दिल नौजवान ने अपनी बात मुकम्मल भी न की थी कि वह शेर दहाड़ने लगा और दुम हिलाता हुआ वहां से भागा जैसे उसे अपना कोई शिकार नज़र आ गया हो।
हसन बसरी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं- जब शेर वहां से चला गया तो मैं उस नौजवान के पास आया और यह कहते हुए दोनों रोटियां उसके सामने रख दी। की ऐ मेरे दोस्त जिस चीज़ कि तूने तलब की थी वह हाजिर है। उसने रोटियाँ ली और उन्हें हसरत भरी निगाहों से देखने लगा। फिर वह रोने लगा रोते-रोते उसे हिचकियां आने लगीं फिर उसने रोटियाँ नीचे रख दि और आसमान की तरफ देखते हुए कहने लगा। ऐ मेरे पाक परवरदिगार मैं तुझे तेरे अर्शे अज़ीम का वास्ता देकर इल्तजा करता हूं। की अगर तेरी बारगाह में मेरा कुछ मर्तबा मक़ाम है और मैं तेरी बारगाह में मरदूद नहीं बल्कि मक़बूल हूं तो ऐ मेरे अल्लाह मुझे अपने क़ुर्ब खास में बुला ले और मेरी रूह क़ब्ज़ फरमाले।
हज़रत सैयदना हसन बसरी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं- अभी उस नौजवान ने यह दुआ मुकम्मल ही की थी की फौरन उसकी बेक़रार रूह इस दुनियवी क़ैद से आज़ाद होकर अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की बारगाह में परवाज़ कर गयी। मैं वापस अपने इलाके में आया चन्द मुत्तक़ी और परहेज़गार लोगों को जमा किया। ताकि हम उस नौजवान की तक़फीज़ो -तक़फीन कर सकूं। मैं अपने साथियों को लेकर ग़ार की तरफ चल दिया जब हम वहां पहुंचे तो देखा कि ग़ार में तो कोई भी मौजूद नहीं। जिस खुशनसीब नौजवान की लाश को मैं अभी-अभी यहां छोड़ कर गया था। अब वहां उसका नामोनिशान भी नहीं था।
सैयदना हसन बसरी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं- मैं बहुत हैरान परेशान था की आखिर अचानक उसकी लाश कहा गायब हो गई। अचानक मुझे एक ग़ैबी आवाज़ सुनाई दी कोई कहने वाला कह रहा था। ऐ अबू शईद ये हजरत सैयद हसन रहमतुल्लाह अलैह की क़ूनियत थी। अपने साथियों से कहो के वापस चले जाएं अब उस नौजवान का जिस्म कभी नही मिलेगी क्योंकि उसके जिस्म को यहां से उठा लिया गया है। मेरे अज़ीज़ दोस्तो अल्लाह ताला फरमाता है कि ऐ बंदे तू मेरा हो जा मैं तो तेरा हूँ। और ना ही अल्लाह की हराम की हुई कसी चीज़ का ख़याल करो और हर तरह के गुनाह से भी बचो जो शख्स गुनाह करे और अपने रब से माफी ना मांगे वो उसकी सज़ा पाकर ही रहेगा।
क़यामत के दिन उसका अज़ाब दुगना कर दिया जाएगा और ज़लील होकर उसमें हमेशा के लिए पड़ा रहेगा। सिवाए उन लोगों के जो तौबा करें, और ईमान लाए और नेक काम करें। ऐसे लोगों के गुनाहों को अल्लाह ताला नेकियों से बदल देता है। अल्लाह बख्शने वाला और मेहरबानी करने वाला है। और जो शख्श तौबा करें और नेक अमल करें तो वह हकीकतन अल्लाह ताला की तरफ़ चारुजु करता है। इब्ने क़य्यूम रहमतुल्लाह अलैह कहते है गुनाह से सच्ची तौबा करने वाला ऐसा ही है जैसे उसने गुनाह किया ही ना हो। बल्कि अल्लाह ताला ने शिर्क ज़िना जैसी गुनाहों से तौबा करने वालों के लिए ज़मानत लिख दी है। के उसके गुनाह को  नेकी में बदल देगा अल्लाह का ये हुक़्म किसी भी गुनाह से ताएब होने वाले के लिए आम है।
और वैसे भी अल्लाह ताला का फरमान है कि आप लोगों से कह दीजिए की ऐ मेरे बन्दों जिन्होंने अपनी जानो पर ज़्यादती की है अल्लाह की रहमत से मायूस ना होना। अल्लाह यक़ीनन सारे ही गुनाह माफ कर देता है क्योंकि वह बख्शने वाला और निहायत रहम करने वाला है। लिहाज़ा अल्लाह ताला ने ऐसे लोगों को भी क़ुरआने मजीद में अल मुत्तक़ी यानी गुनाहे सग़ीरा या गुनाहे कबीरा करने के बाद अपने रहीम पाक परवरदिगार की बारगाह में सच्ची तौबा करने वाला बताया और गफ्फार परवरदिगार को याद करके अपने गुनाहों की बख्शीश मांगने को कहा।
जो लोग गुनाह पर कायम नहीं रहते और नाहीं नाफरमानी पर इसरार करते हैं। और अपने परवरदिगार की बख्शीश और उसकी जन्नत की तरफ चलते हैं  जिसका अर्ज़ आसमानो और ज़मीन के बराबर है। जन्नत उन्ही लोगो को लिए है जो अल्लाह और उसके प्यारे नबी के बताए हुए रास्ते पर चलकर अपनी ज़िंदगी गुज़ारे लोगो की भलाई करे लोगो के साथ इंसाफ करे और लोगो को माफ करे और हर हाल में अपने पाक परवरदिगार का शुक्र करे। ऐसे ही नेक लोगों से अल्लाह मोहब्बत रखता है। ऐसे लोगों से जब कोई बुरा काम हो जाता है। या वो अपने आप पर ज़ुल्म कर बैठते हैं तो फौरन उन्हें अल्लाह याद आता है और वो अपने गुनाहों की माफी मांगने लगते हैं।
Top 5 Famous Dargah In India Hindi
और अल्लाह के सिवा और कौन है जो गुनाह माफ कर सकें, अल्लाह गुनाहों को माफ कर के ऐसे बाग़ में दाखिल करेगा जिसके नीचे नहरे बहती होंगी वो उसमे हमेशा रहेँगे ये अच्छे अमल करने वालो का अच्छा बदला है जो अल्लाह अता करेगा। ना फरमानी पर इसरार करने वाला वो शख्श है जो ग़ुनाह करे और फिर तौबा वो इस्तग़फ़ार के बिना फिर गुनाह में शामिल हो जाये। दुआ है कि अल्लाह ताला हमें गुनाहों से बचाए और नेकी की तौफीक अता फरमाए। आमीन या रब्बुल आलमीन
Hazrat Isa Alaihis Salam Ki Shaitan Se Mulaqat-हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की शैतान से मुलाकात
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