आज हम जानने वाले है दुनिया के एक ऐसे लानती शख्स के बारे में जिसपर अल्लाह की लानत है, तमाम फरिश्तों की लानत है, तमाम मख़लूक़ात की लानत है, इस दुनिया में सबसे बड़े ज़ालिमों में से एक यज़ीद की मौत का वाक़्या की जब इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हो को शहीद कर दिया गया। तो उसके बाद यज़ीद का क्या अंजाम हुवा और यज़ीद की मौत कैसे कैसे हुई और किस तरह से उसके किये ज़ुल्मों की सज़ा आख़िरत से पहले दुनिया में ही मिल गई.
मोहतरम अज़ीज़ दोस्तों जब यज़ीद ज़ालिम ने नवासे रसूल इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हो को शहीद करवा दिया और जब वो मलऊन ये सोचता था की इस जुल्म की वजह से अरब के सारे लोग मेरी बैअत कर लेंगे और मेरे सामने झुकेंगे और मुझे अपना बादशाह मान लेंगे। और वो ज़ालिम यही सोचता था कि कोई भी इमाम हुसैन के बाद मेरे खिलाफ कोई आवाज़ नहीं उठाएगा। लेकिन जब यज़ीद की फ़ौज रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की खानदान की बेटियों को क़ैद कर के कूफ़ा और शाम के बाज़ारों से गुजरने लगा तो रसूलल्लाह के खानदान की बेटियों और हज़रत इमाम सज्जाद रज़ियल्लाहो तआला अन्हो के ख़ुत्बे सुन-सुन कर लोगों के मुर्दा ज़मीर जागने लगे और फिर यज़ीद ज़ालिम के खिलाफ बग़ावत पैदा हो गई.
हर कोई अब यही सोचने और बोलने लगा के इस्लाम अल्लाह तबारक-व-तआला का दीन है। मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम अल्लाह के रसूल है और ये खानदान जिसपर यज़ीद बदबख्त ने ज़ुल्म किया है ये खानदान अल्लाह तआला का सबसे महबूब खानदान है और जिसने इस खानदान के साथ ज़ुल्म किया उसको बादशाह कहना सबसे बुरा काम है और फिर इसी तरह से मदीने वालों ने यज़ीद की बैअत करने से पूरी तरह इंकार कर दिया.
उसके बाद यज़ीद ज़ालिम ने एक और शर्मनाक काम किया उसने मदीना शरीफ पर हमला कर दिया। मोहतरम अज़ीज़ दोस्तों तारीख ने लिखा की तीन दिन तक यज़ीद ज़ालिम की फ़ौज ने मस्जिदे नबवी में अपने घोड़ो को बाँध कर अल्लाह तआला के घर की बेहुरमती करते रहे और कुछ वक़्त बाद मक्का शरीफ से भी यज़ीद के खिलाफ बग़ावत बढ़ने लगी। उसके बाद उस ज़ालिम शख्स ने खान-ए-काबा को भी नहीं छोड़ा.
उसने खान-ए-काबा पर भी हमला कर दिया। और खान-ए-काबा को आग लगा दी। मोहतरम अज़ीज़ दोस्तों तारीख में इस वाक़ये को वाक़ये हिरा के नाम से आज भी याद किया जाता है। हर कोई यज़ीद बदबख्त से नफरत करने लगा था लेकिन यह ज़ालिम यज़ीद जिसको भी अपने खिलाफ देखता तो उसका सर कलम करवा देता था। लेकिन अल्लाह तआला की अदालत में इंसाफ होता है और जब वो इंसाफ करता है तब कोई कुछ नहीं कर सकता.
यज़ीद की मौत कैसे हुई? yazeed ki maut kaise hui in hindi
इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हो और उनके खानदान पर ज़ुल्म करने के बाद अल्लाह तआला ने यज़ीद को एक बिमारी में मुब्तला कर दिया। यज़ीद को एक ऐसी बिमारी हो गई थी जिससे उसकी आंते जलने लगी थी। वहां के सारे बड़े से बड़े हकीम परेशान होने लगे थे कि ये कैसी बदतरीन बीमारी है की यज़ीद का पेट अंदर से अपने आप ही खत्म हो रहा है पेट अंदर ही अंदर सड़ रहा है। और उस बिमारी में यज़ीद को इतनी ज़्यादा प्यास लगती थी की ये बदबख्त पानी के लिए तड़पता था.
लेकिन जब उसे पानी पिलाया जाता तो यही पानी उसके पेट को जलाता था और उसके बाद वो ज़ालिम अपना सर पीटता रहता था और उसके महल के लोग यज़ीद की ये हालत देख कर कहते थे की ये अज़ाब इस ज़ालिम पर इमाम हुसैन और उनके पूरे खानदान पर पानी बंद करने की वजह से ही आया है। उसकी ये हालत देख कर महल लोग कहते थे की क्या फायदा ऐसी बादशाही हासिल कर के जो एक बूँद पानी को भी तरसता है.
एक दिन यज़ीद ने अपनी इस बिमारी की हालत में अपने बेटे माविया को बुलवाया और अपने बेटे माविया से कहने लगा बेटा ये बीमारी मेरी जान लेकर ही छोड़ेगी। ऐ मेरे बेटे मेरे बाद तुम को ही बादशाह बनना है तुम ही इस तख़्त के मालिक़ बनोगे जिसके बाद यज़ीद के बेटे ने अपनी नज़रों को उठाकर कहा इस तख़्त पर तो इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हो का खून लगा है क्या तुम ये चाहते हो की जैसे दुनिया तुम पर लानत कर रही है वैसे ही मुझ पर भी करें.
हरगिज़ नहीं नवासे रसूल के खून से आलूदा है ये तख़्त ऐसे तख़्त और बादशाही पर मै लानत करता हूँ। यज़ीद अब हैरत से अपनी ही औलाद को देख रहा था और यज़ीद के महल के लोग अब अफसोस कर रहे थे। दोस्तों आपको बता दूँ उस समय जब यज़ीद को ये बिमारी हुई तो यज़ीद के सामने बड़े से बड़े नसे की चीज़ लाई जाती थी ताकि यज़ीद पूरी तरह से नशे में रहे और उसको यह दर्द किसी भी तरह से महसूस ना हो और वो प्यास की वजह से तड़पे नहीं.
ऐसी ही नशे की हालत में एक दिन यज़ीद अपने सिपाहियों से कहने लगा मेरा वो बंदर कहां है जो मेरे साथ रहता है. तभी लोगों ने उसे समझाया और उससे कहा कि शायद वो जंगल की तरफ निकल गया होगा। यज़ीद ने कहा हम अभी जाएंगे और उसे ढूंढ कर लाएंगे। जैसे ही वह अपने बंदर को ढूंढने के लिए अपने सिपाहियों के साथ घोड़े पर बैठकर बाहर निकला तो घोड़े ने इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हो के इस कातिल को अपनी पीठ से गिरा दिया.
और यज़ीद का पैर घोड़े की रक़ाब में फस गया और उसके बाद वो घोड़ा दौड़ने लगा और यज़ीद जमीन पर गिरते गिरते ज़मीन पर तड़पता रहा और वो घोड़ा उसे काफी दूर तक घसीटते हुवे दौड़ता रहा तभी अचानक उसका सर एक पत्थर से टकरा गया, लेकिन उसके बावजूद भी वो घोड़ा रुका नहीं यहाँ तक कि यज़ीद मलऊन का पूरा का पूरा जिस्म ज़ख़्मी हो गया और जब वो घोडा रुका तो यज़ीद की फ़ौज ने देखा की यज़ीद की मौत हो चुकी है उसकी फ़ौज ने यज़ीद की लाश को देखा तो वो फौज खुद कहने लगी इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हो के कत्ल की यही सजा है.
यज़ीद की क़ब्र कहाँ है – Yazeed ki qabar kaha hai
इस तरह से यज़ीद की मौत हुई जिसे दुनिया में तो सज़ा मिली ही आख़िरत में भी मिलेगी और उसके बाद ज़ालिम यज़ीद को मुल्क़े शाम में दफ़न कर दिया गया. आज भी यज़ीद बदबख्त की क़ब्र मौजूद है और लोग उस कब्र को देखकर लानत करते हैं और इसी के बारे में इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हो ने फरमाया है कि क़ुफ्र की हुकूमत तो कायम हो सकती है, लेकिन ज़ुल्म की हुकूमत हरगिज़ नहीं चल सकती। मोहतरम अज़ीज़ दोस्तों यज़ीद आज पूरी दुनिया के लिए सबक़ बन गया के इस ज़मीन पर अगर कोई भी शख्स ज़ुल्म करेगा तो अल्लाह तबारक-व-तआला उसका नामोनिशान इस दुनिया से खत्म कर देगा.
और आने वाली नस्लों के लिए उसे सबक़ बना देगा की लोगों को ये मालूम हो जाए की ज़ुल्म कर के कुछ दिन के चैनो सुकून का अंजाम क्या होगा। जिस तरह यज़ीद मलऊन ने सय्यदना इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हो पर ज़ुल्म किया और उस खानदान पर ज़ुल्म किया जो अल्लाह तआला का सबसे महबूब खानदान था और उन पर ज़्यादती की तो अल्लाह तआला ने उस ज़ालिम को पूरी दुनिया के लिए इब्रत का निशान बना दिया.
दोस्तों अगर आप क़र्बला का पूरा वाक़्या पढ़ेंगे तो आपकी आँखों से आँसू निकल आएँगे यज़ीद ज़ालिम ने ज़ुल्म की इंतेहा को पार कर दिया था क़र्बला के मैदान में प्यारे नबी के खानदान पर बहोत ज़ुल्म और ज़्यादती किया उस ज़ालिम ने लेकिन अल्लाह के नवासे इमाम हुसैन उसे आखिर तक हक़ और सच की राह दिखाते रहे अगर इमाम हुसैन सिर्फ अल्लाह की बारगाह में उस ज़ालिम के लिए दुआ कर देते तो वो ज़ालिम और उसकी फ़ौज वही ख़ाक में मिल जाती. इमाम हुसैन की शान तो बहोत अज़मत और फ़ज़ीलत वाली है.
अगर इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हो की शान बयान करने लगे तो वक़्त ख़त्म हो जाएगा लेकिन उनकी शान और मर्तबे को बयान नहीं किया जा सकता बस एक अलफ़ाज़ में कह दूँ की तो बिना इजाज़त जिब्रईल भी उनके घर आते नहीं थे सुब्हान अल्लाहबी इमाम हुसैन की शहादत पर दुनिया के लिए एक सबक़ है की कभी भी ज़ुल्म के आगे न झुकना हमेशा सच और हक़ के साथ खड़े रहना.
मोहतरम अज़ीज़ दोस्तों इस पोस्ट में हमने पढ़ा की यज़ीद की मौत कैसे हुई यज़ीद की मौत बहोत ही ईब्रतनाक़ तरह से हुई ये बहोत बड़ी मिसाल है कि आज इस ज़माने में यज़ीद की कब्र को कोई नहीं जानता ना ही उस मलऊन के बारे में कोई बात नहीं करता है और इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हो का चर्चा हर घर में है। हर मोहल्ले में है और पूरी कायनात में है। और इमाम हुसैन के रौज़े मुबारक पर जाने के लिए करोड़ों अरबो लोग तरसते हैं। दोस्तों किसी शायर ने क्या खूब कहा है –
क़त्ले हुसैन अस्ल में मरगे यज़ीद है,
इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद.
कर्बला की जंग का अंजाम देखिए,
कर्बला की जंग का अंजाम देखिए,
बेघर यज़ीद हो गया, घर-घर हुसैन है.
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