हज के वक़्त शैतान को पत्थर क्यों मारते हैं? shaitan ko pathar marna in hajj

 हर मुसलमान की ये ख्वाहिश होती है की ज़िन्दगी में एक बार तो उसे हज करने का मौका मिले और वो हज करने जा सके और जब कोई हज के लिए जाता है तो उसे हज के सभी रस्म को पूरा करना होता है जिससे उनकी हज मुक़म्मल हो सके जिसमे से ये भी एक रस्म है की हज के लिए गए सभी हाजी शैतान को पत्थर मारे आज हम इसी बारे में जानेंगे की हज के वक़्त शैतान को पत्थर क्यों मारते हैं और इसके पीछे क्या वजह है.

इस्लाम में हज के दौरान हज के फ़र्ज़ को अदा करने के लिए शैतान को कंकरी यानी पत्थर मारने का हुक्म है। हज के वक़्त शैतान को पत्थर मारने को जमरात कहते हैं, सभी लोग मुजल्फा से कंकर लेकर मीना ( ये एक जगह है ) के लिए रवाना होते हैं। मदीना शहर में एक जगह है जहां 3 पिल्लर बने हुए हैं उन तीनों पिल्लरों में 7-7 कंकरिया मारना पड़ता है, इसी अरकान को शैतान को कंकर मारना कहते हैं.

शैतान को सबसे पहले पत्थर हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने मारा जब हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम अल्लाह के हुक्म से अपने बेटे हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम की कुर्बानी करने के लिए जा रहे थे। तब शैतान ने इस मंज़र को देखा कि हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम अल्लाह की रज़ा की खातिर अपने बेटे को कुर्बान करने के लिए जा रहे हैं तो शैतान के तन बदन में आग लग गई और फिर शैतान अपनी कोशिश में लग गया की वो किसी भी तरह से हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को इस काम से रोक सके.

शैतान नहीं चाहता था की हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम अल्लाह के हुक्म की पाबंदी करे इसी लिए वो हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को बहकाने में लग गया शैतान सबसे पहले हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के पास आता है और कहता है ऐ इब्राहीम तुम एक ख्वाब देख कर अपने प्यारे बेटे इस्माईल को कुर्बान करने जा रहे हो अल्लाह तआला को राज़ी करने के और भी तो बहोत सारे तरीके हैं.

तब हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने पत्थर उठाया और शैतान को मारा और फ़रमाया की हट जा मेरे रास्ते से अगर मेरे पास हज़ारों इस्माईल होते तो मैं एक एक करके अल्लाह तआला की बारगाह में सबको क़ुर्बान कर देता फिर शैतान हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम के पास गया वहां पर भी शैतान नाकाम रहा और फिर मायूस होकर शैतान हज़रत हाजरा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा के पास आया जो हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम की माँ है.

लेकिन शैतान वहां भी नाकाम हो जाता है दोस्तों जिस जगह पर शैतान को हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने पत्थर मारा था, उसी जगह पर हाजी शैतान को कंकरिया मारते हैं। और हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की इसी सुन्नत को अल्लाह तआला ने हज के लिए एक अरकान बना दिया है। जो भी हज के लिए जाता है उसे इस अरकान को पूरा करना होता है अगर हज के वक़्त कोई हाजी इस पिलर में कंकर नहीं मारता है तो उसका हज मुक़म्मल नहीं होगा।

इसलिए तमाम हाजी इस जगह पर इकट्ठा होकर हज के वक़्त शैतान को कंकरी मारते हैं और हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की सुन्नत को ज़िंदा करते हैं और इसी अरकान को ही शैतान को कंकर मारना कहते हैं. उम्मीद करते हैं इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको मालूम हो गया होगा की हाजी शैतना को पत्थर क्यों मारते हैं.

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अल्लाह तआला की बारगाह में दुआ है की अगर हमारे लिखने या पढ़ने में किसी भी तरह की गलती हुई हो तो अल्लाह अपने रहमों करम से माफ़ करे और हर मुसलमान को ज़िन्दगी में एक बार हज करने की तौफ़ीक़ अता करे और हमे ज़्यादा से ज़्यादा नेक काम करने की तौफ़ीक़ अता करे वो काम जो अल्लाह और उसके प्यारे रसूल को पसंद है. अल्लाह हमें सभी बुरे कामो से बचने की हिदायत दे (आमीन)

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