Huzoor Tajushshariya Ki Zindagi-हुज़ूर ताजुश्शरिया मुफ्ती मोहम्मद अख्तर रज़ा खान अज़हरी की हालाते जिंदगी

Huzoor Tajushshariya Ki Zindagi-हुज़ूर ताजुश्शरिया मुफ्ती मोहम्मद अख्तर रज़ा खान अज़हरी की हालाते जिंदगी

huzoor tajushshariya ki halate zindagi

हुज़ूर ताजुश्शरिया मुफ्ती मोहम्मद अख्तर रज़ा खान अज़हरी भारत के शहर बरेली मोहल्ला सौदाग्रान में 2 फरवरी 1943 को पैदा होने वाले एक मुसलमान आलिमे दीन और आपके नाम की बात करें तो अक़ीक़ा के वक्त उनका नाम मोहम्मद रखा गया और मोहम्मद इस्माइल रज़ा भी उनका नाम है। इस वक्त वो मोहम्मद अख्तर रज़ा खान अज़हरी बरेलवी के नाम से जाने जाते है और आपके सिलसिले नसब की बात करें तो अख्तर रज़ा का सिलसिला नसब अहमद रज़ा खान तक कुछ यूं है-
  • मोहम्मद अख्तर रज़ा खान
  • बिन मोहम्मद इब्राहीम रज़ा खान
  • बिन मोहम्मद हामिद रज़ा खान
  • बिन अहमद रज़ा क़ादरी

आपकी की मक़बूलियत की बात करें तो इस्लामी सोसायटी की तरफ से दुनिया मे सबसे ज़्यादा बाअसर मुसलमानों की फेहरिस्त की दरजाबन्दी में आपको यानी हुज़ूर ताजुशरिया को 25 वे नंबर पर माना गया है। हुज़ूर ताजुशरिया बरेलवी मर्तबे फ़िक़्र से ताल्लुक रखते हैं और भारत में आप हुज़ूर ताजुश्शरिया के नाम से मशहूर हैं। हुज़ूर ताजुश्शरिया की मुबारक ज़िन्दगी हमारे लिए एक दर्स है जो लोग इज़्ज़त और शोहरत की खातिर शरीयत को नज़र अंदाज करते हैं ऐसे लोगों को देखना चाहिए कि इस्लाम और शरियत पर सख्ती के साथ साबित कदम रहकर भी इज़्ज़त मिलती है ये तो ऐसी इज़्ज़त है जो आखिरत में भी रुसवाईयों से बचाएगी और हुज़ूर नबी-ए- करीम सल्लल्लाहो तआला अलैही वसल्लम का क़ुर्ब खास आता करके अल्लाह पाक के फ़ज़्ल और रहमत का उम्मीदवार बनाएगी।

हुज़ूर ताजुश्शरिया का दुनिया के करोड़ों मुसलमानों में से 5 सौ नामवर शख्सियत के इंतेखाब में जगह पाना और फिर उसमें भी 100 ज़्यादा बावक़ार हस्तियों में शामिल होना ये भी बहोत बड़ा एज़ाज़ है। लेकिन उनके रब ने उन पर जो एहसान किया उसने आपको इससे भी ज्यादा बलन्दी बख्शी आपका शुमार इस फहरिस्त की ऐसी 50 मुमताज़ शख्सियत Top 50 में 25 वे नंबर पर हुआ जो सारे जहान में मशहूर भी हैं और दुनिया के मुसलमानों पर जिनका असर भी है। हुज़ूर ताजुश्शरिया मुफ्ती मोहम्मद अख्तर रज़ा खान अज़हरी आपकी विलादत एक ऐसे खानदान में हुई जिसको इज़्ज़त और शोहरत ही अल्लाह के हबीब हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम की सच्ची गुलामी और मोहब्बत के तुफैल हासिल हुई यही वह सबब है जिसकी वजह से दुनिया के करोड़ों मुसलमान इस खानदान से वलिहाना मोहब्बत रखते हैं।

ताजुश्शरिया के वालीदे गिरामी मौलाना इब्राहिम रज़ा खान ने पूरे आलम में मुफ़स्सिरे आज़म के नाम से शोहरत पाई। आपके नाना मुफ़्ती आज़म अल्लामा मोहम्मद मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी को अज़ीम दीनी खिदमात और अपने इल्मो फ़ज़्ल और ज़ोहदो-तक़वा के सबब आलिमि सतह पर उल्माए दीन और मुस्लिमीन में यकसां तौर पर मक़बूलियत हासिल हुई। आपके दादा जान अल्लामा हामिद रज़ा खान को हुज्जतुल इस्लाम के नाम से उल्माए इस्लाम और मुसलमानों ने याद किया। आप के परदादा आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान को सरकारे दो आलम सल्लल्लाहो तआला अलैही वसल्लम के सच्चे आशिक़ और इस्लाम के मुजद्दीद की हैसियत से दुनिया भर में जाना गया पहचाना गया और माना गया।

ताजुश्शरिया हज़रत अल्लामा मुफ्ती मोहम्मद अख्तर रज़ा खान ने अपने खानदान के इन बुज़ुर्गों के नक्शे कदम पर चलते हुए इस्लाम की ऐसी खिदमात अंजाम दी कि जिसका चर्चा मुल्क और बाहर के मुल्क़ों में भी होता रहा। 40 वर्षों के बाद आपको अपने मादरे इल्मी जामिया अज़हर मिस्र बुलाया गया जहां अज़ीमुश्शान तक़रीब में आपकी खूब आपकी इज़्ज़त अफज़ाई की गई और इस बात का इज़हार भी किया गया कि जामिया अज़हर मिस्र को अपने इस तालिबे इल्म पर बड़ा नाज़ है।

कि अरबो-अरम में अज़हर के इस तालिबे इल्म ने अपनी बेपनाह दीनी व इल्मी खिदमात और ज़ोहदो तक़वा से खूब इज़्ज़त शोहरत और मक़बूलिइयत पाकर जामिया अज़हर का नाम सारे जहान में रौशन किया है। दुनिया भर में फैले हुए इस जामिया के फरीक़ीन अज़हर पर नाज़ करते हैं। मगर जामिया अज़हर अपने एक तालिबे इल्म हुज़ूर ताजुश्शरिया मोहम्मद अख्तर रज़ा खान पर नाज़ कर रहा है। उनको ख़िदमत में फ़ख़रे अज़हर अवार्ड पेश कर रहा है जो आला तरीन अवार्ड है और आज तक हमारे मुल्क भारत में किसी भी शख्स को यह अवार्ड हासिल नहीं हो सका। यह बात हमारे मुल्क के लिए भी बाईसे फख्र है और उन तमाम मुसलमानों के लिए भी बाईसे फख्र है।

हुज़ूर ताजुश्शरिया मुफ्ती मोहम्मद अख्तर रज़ा खान अज़हरी का विसाल (इंतेक़ाल) कब हुआ था और किस तऱीके से हुआ था – हुज़ूर ताजुश्शरिया क़सरते तक़वा व तहारत सफर की वजह से हज़रत की सेहत पर काफी ज़ोफ तारी हो चुका था यानी काफी कमज़ोर हो चुके थे मगर उस दिन बरोज़ जुमा 20 जुलाई 2018 को हुज़ूर ताजुश्शरिया अलैहिर्रहमतो वररीज़वान ने असर की नमाज़ अदा करने के बाद नमाज़े मग़रिब के लिये वज़ू फ़रमाया और अज़ान का इंतज़ार करने लगे उस वक़्त आपके फ़रज़न्द जानशीने हुज़ूर ताजुश्शरिया हज़रत अल्लामा मुफ़्ती असजद रज़ा खान क़ादरी आपके क़रीब बैठ कर कीताब का मुताला कर रहे थे

उधर अज़ान का वक़्त क़रीब हुवा तो कुछ देर में ही हज़रत को सांस लेने में तक़लीफ़ महसूस होने लगी जैसे ही दरगाह आला हज़रत की मस्जिद से अल्लाहु-अकबर की सदा बुलंद हुई तो हज़रत ने अपनी जुबान मुबारक से फ़रमाया अल्लाहू-अकबर अल्लाहू अकबर और ये कहते हुवे आपकी रूह दुनियए फानी से कूंच कर गई और दुनियए सुन्नियत और दुनियए सुन्नियत का ये अज़ीम इमाम अपने रब्बे हक़ीक़ी से जा मिला। इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजेऊन

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