हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम का वाक़िआ-Hazrat Daud a.s Ki Adalat

हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम का वाक़िआ-Hazrat Daud a.s Ki Adalat

मोहतरम अज़ीज़ दोस्तों आज हम हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम और उनकी अदालत के इन्साफ के बारे में पढ़ेंगे की क्यों आज भी पूरी दुनिया मे हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम का इन्साफ मशहूर है आपको बता दें की हज़रात दाऊद अलैहिस्सलाम की अदालत लगा करती थी जहाँ हर कोई इन्साफ पाने के लिए आया किया करता था.

हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम का वाक़िआ-Hazrat Daud a.s Ki Adalat

दाऊद अलैहिस्सलाम अपनी ज़हनियत और अल्लाह के फ़ज़्ल से ऐसे-ऐसे फैसले किया करते थे जिससे लोग खुश भी होते और काफी हैरान भी हो जाते थे क्यों की आप जो भी फैसले करते वो सब अल्लाह की मर्ज़ी से होते थे आपको हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम की अदालत का एक ऐसा वाक़्या बताने वाला हूँ जिसे पढ़कर आपका ईमान ताज़ा हो जाएगा।

हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम की अदालत में एक बार दो शख्स हाज़िर हुवे और उसमे से पहले शख्स ने दूसरे शख्स पर ये इलज़ाम लगाया की इसकी सारी बकरियां रात में मेरे खेतों में घुस गई और उन बकरियों ने मेरे पूरे फसल को खा लिया मेरी आमदनी का अब कोई रास्ता नहीं बचा और अब इतनी जल्दी फसल भी तैयार नहीं कर सकता की जिससे मै अपना गुज़ारा कर सकूं अब आप ही इन्साफ करे.

उसके बाद हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम ने दूसरे शख्स की भी बात सुनी और ये फैसला किया की सब बकरियां उस खेत वाले शख्स को दे दिया जाए उन बकरियों की क़ीमत खेत के नुकसान के बराबर ही थी उसके बाद वो सभी बकरियां खेत के नुकसान वाले शख्स को दे दिया गया उसके बाद उसमे से दूसरा शख्स जिसकी बकरियां थी वो काफी मायूस हो गया और जब वो दोनों वहाँ से जाने लगे तब उनकी मुलाक़ात हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम से हुई.

जिसके बाद वो दोनों ने हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम को हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम का फैसला बताया जिसके बाद हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम ने कहा इस फैसले से बेहतर एक और फैसला है अगर तुम चाहो तो मै तुम्हे बता सकता हूँ उस वक़्त हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम की उम्र सिर्फ 11 साल की थी दोस्तों आपको बता दूँ हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम के वालिद हैं.

जब ये बात हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम को पता चली तो हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम ने अपने बेटे हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम को बुलाया और फ़रमाया की बेटा वो कौनसा फैसला है जो इस फैसले से भी बेहतर है हमें भी बताओ उस फ़ैसले के बारे में उसके बाद हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम ने बहोत ही अदब के साथ कहा की वो फ़ैसला ये है की जिसकी बकरी ने नुक़सान किया है वो तब तक उसी खेत में काम करे जब तक इसकी फ़सल उसी तरह न हो जाए जिस हाल में बकरियों ने खाई थी.

और तब तक ये शख्स जिसकी खेत का नुकसान हुवा है बकरियां अपने पास ही रखेगा और उनकी दूध को बेचकर अपनी ज़रूरतों को पूरा करेगा और जब इसकी खेती उसी हाल में पहुँच जाए तब इसकी खेती उसे वापस करके ये अपनी बकरियां उससे ले जाए यही फैसला बेहतर होगा दोनों के लिए जब हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम ने ये फैसला सुना तो आप भी मुस्कुराए और बोले ये बेहतर फैसला है और आपको ये फैसला काफी पसंद आया.

दोस्तों हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम और हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम के फैसले बहोत मशहूर थे जब हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम ने हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम का फैसला सुना तो आपने दोनों फैसलों को सामने रखकर हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम के फैसले को ज़्यादा पसंद फ़रमाया क्यों की इसमें किसी का भी नुकसान नहीं था अगर सभी बकरियां खेत वाले को दी जाती तब दूसरा शख्स जिसकी बकरिया थी वो अपनी आमदनी का जरिया खो देता.

जिसके बाद हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम ने ऐसा फैसला किया जिससे बकरियों वाला भी खुश था और खेत वाला भी जिसकी फसल का नुकसान हुवा था. और कुछ वक़्त के बाद बकरिया और खेती दोनों वापस उनके पास आ गई जिसके वो मालिक थे दोस्तों अल्लाह तआला ने अपने नबियों को ऐसी ताक़त और ज़हनियत अता फ़रमाई जिससे वो बड़े-बड़े फैसले चंद लम्हो में कर दिया करते थे और ऐसा फैसला करते थे जो एक आम इंसान की सोच से अलग होती है.

जिसमे सबकी भलाई होती है और किसी का नुकसान नहीं होता बेशक अल्लाह के नबियों की शान निराली है अल्लाह तआला अपने नबियों को बेपनाह ताक़तों क़ूवत के साथ दुनिया में भेजा जिससे वो इंसानो को सही राह दिखाते और बुराई और अच्छाई में फ़र्क़ बताते.

इस वाक़्या को भी पढ़ें- हज़रत हूद अलैहि सलाम और क़ौमे आद-hazrat hood a.s history in hindi

अल्लाह तआला से दुआ है अल्लाह तआला हमें अम्बिया अलैहिस्सलाम के रास्तों पर चलने की तौफ़ीक़ अत फरमाए और हमें बुराइयों से बचने की तौफ़ीक़ अता फरमाए और अच्छा और नेक इंसान बनने और सही रास्ते पर चलने की तौफ़ीक़ अता फरमाए (आमीन)

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