हज़रत अली की पैदाइश का वाकिया-hazrat ali ki paidaish ka waqia

हज़रत अली की पैदाइश का वाकिया-hazrat ali ki paidaish ka waqia

अस्सलामू अलैकुम मेरे मोहतरम अज़ीज़ दोस्तों आज हम पढ़ने वाले है हज़रत अली की पैदाइश का वाक़िआ हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो कहाँ पैदा हुवे और उनकी पैदाइश की तारीख क्या किस दिन पैदा हुवे और आपकी शहादत कैसे और कहाँ हुई तो इस वाक़्या को पूरा ज़रूर पढ़ें – hazrat ali ki paidaish ka waqia.

हज़रत अली की पैदाइश का वाकिया-hazrat ali ki paidaish ka waqiaहज़रत अली की पैदाइश का वाकिया-hazrat ali ki paidaish ka waqia

दोस्तों हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो की पैदाइश 13 रजब यानी 15 सितंबर 601 ईस्वी जुमे के दिन क़ाबा शरीफ की चार दीवारी के अंदर हुई थी आपके वालिद का नाम अबू तालिब है और वालिदा का नाम फातिमा बिन्ते असद है हज़रत अबू तालिब मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के सगे चाचा हैं यानी की हज़रत अली रज़ियल्लाहो तआला अन्हो रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के चचेरे भाई और दामाद भी हैं आप हज़रत अली शेरे खुदा के नाम से मशहूर हैं और आप इस्लाम के चौथे खलीफा हुवे हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो ने 8 या 10 साल की उम्र में इस्लाम क़ुबूल किया.

बच्चों में सबसे कम उम्र में इस्लाम क़ुबूल करने वाले हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो है और इस्लाम क़ुबूल करने से पहले हज़रत अली ने कभी बुत परस्ती नहीं की क्यों की आप बचपन से ही अल्लाह के नबी सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की तरबियत और परवरिश में थे दोस्तों जब हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो की पैदाइश का वक़्त क़रीब आया तो तारिख में है की 11 रजब के दिन हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो की वालिदा बीबी फातिमा बिन्ते असद क़ाबा शरीफ के पास गई और क़ाबा के दीवार पर अपना हाथ रखकर कहने लगी ऐ अल्लाह अपने वली को नाज़िल फरमा जैसे ही उन्होंने ये जुमला कहा खान ए क़ाबा की दिवार हिलने लगी और उसके अंदर एक दरार आ गई.

और हज़रत अली की वालिदा क़ाबा शरीफ के अंदर दाखिल हो गई ये मंज़र अब्बास इब्ने अब्दुल मुत्तलिब दूर से खड़े होकर देख रहे थे जैसे ही आपने ये देखा की क़ाबा की दिवार फट गई और बीबी फातिमा बिन्ते असद उसके अंदर चली गई हैं तो उन्होंने आवाज़ लगाकर लोगों से कहना शुरू कर दिया की अबू तालिब की ज़ौजा खान ए क़ाबा के अंदर चली गई जिसके पेट में बच्चा भी है सब लोग आओ और खान ए क़ाबा का दरवाज़ा खोलकर उनको बाहर निकालते हैं उसके बाद ये बात पूरे मक्काह में फ़ैल गई और लोग दूर-दूर से आकर खान ए क़ाबा के पास जमा होने लगे दोस्तों उसके बाद लोग खान ए क़ाबा के दरवाज़े को खोलने की कोशिश करने लगे लेकिन किसी से भी अल्लाह के घर का दरवाज़ा नहीं खुला.

पूरे अरब में 2 लोग मुत्मईन थे 2 लोगों की बातों को ज़्यादा माना जाता पहले अल्लाह के नबी हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम और दूसरे अब्दुल मुत्तलिब तारीख में लिखा है की अरब की सरज़मीन पर इससे पहले कभी इतना बड़ा मजमा जमा नहीं हुवा जितना उस वक़्त हुवा था उस वक़्त 13 रजब और जुमे का दिन था लोग बाहर खड़े खान ए क़ाबा को देख रहे थे की इतने में क़ाबा शरीफ की दिवार हिलने लगी लोग ये नज़ारा देख कर हैरान हो गए उसके बाद हज़रत अबू तालिब फरमाने लगे ऐ मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम आप अंदर जाएँ और देखें की ये सब क्या हो रहा है उसके बाद अल्लाह के नबी हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम क़ाबा शरीफ के अंदर गए.

तो आपने देखा की बीबी फातिमा बिन्ते असद की गोद में एक बहोत ही खूबसूरत बच्चा है लेकिन आपने देखा की फातिमा बिन्ते असद बहोत परेशान नज़र आ रही हैं तो आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया आप इतनी परेशान क्यों हो तो बीबी फातिमा बिन्ते असद कहने लगी या मोहम्मद जब से ये बच्चा पैदा हुवा है तब से इसने न तो आँखें खोली है और न तो रोया है दोस्तों उसके बाद अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम मुस्कुराते हुवे बच्चे को अपनी गोद में उठाया तो उस बच्चे ने भी मुस्कुराते हुवे अपनी आँखें खोल दी सुबहानअल्लाह दोस्तों हज़रत अली की अभी तो सिर्फ पैदाइश हुई और इस बात से पता ये चलता है की हज़रत अली दुनिया में आते ही आपने सबसे पहले दोनों जहान के मालिको मुख्तार हम सब के आक़ा मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को देखना पसंद किया सुब्हानअल्लाह.

उसके अल्लाह के नबी ने अपनी ज़ुबान मुबारक बच्चे के सामने निकाली तो बच्चे ने ज़ुबान को चूसना शुरू कर दिया ये देखकर बीबी फातिमा बिन्ते असद बहोत खुश हुई और मुस्कुराने लगी उसके बाद अल्लाह के नबी हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने बच्चे को गोद में लेकर खान ए क़ाबा से बाहर निकले तो अरब के लोग उस बच्चे के नूर को देखकर खान ए क़ाबा के पास जमा होने लगे और लोग आपस में एक दूसरे से कहने लगे इस नूरानी बच्चे का नाम क्या रखा जाए उसके बाद अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ऐ लोगो ऐसा बच्चा इससे पहले कभी पैदा नहीं हुवा इस बच्चे की विलादत अफ़ज़ल और आला है इस लिये अल्लाह की मर्ज़ी यही है की इसका नाम अली रखा जाए इसका मतलब वो बुलंदी जिस बुलंदी पर आज तक कोई नहीं पहुंच पाया है.

बस इतना सुनना था की लोगों में या अली अली की सदाएं गूंजने लगी उसके बाद अबू तालिब हज़रत अली को अपनी गोद में लेकर घर की तरफ जा रहे थे की रास्ते में उन्हें एक मुनाफ़िक़ शख्स मिला वो कहने लगा ऐ अबू तालिब वो रस्म नहीं करोगे जो हर बचे के साथ की जाती है दोस्तों आपको बता दूँ की उस वक़्त मक्का में एक जाहिलाना  रिवाज़ था की पैदा होने वाले बच्चे पर साँप छोड़ा जाता था अगर सांप बच्चे को मार देता तो वो लोग कहते थे की ये बच्चा अपने बाप की औलाद नहीं थी लेकिन अगर वो सांप बच्चे को नहीं काँटता तो वो कहते ये बच्चा अपने बाप की ही औलाद है उसके बाद अबू तालिब ने बच्चे की तरफ देखा उसके बाद हज़रत अली को एक तरफ रख कर कहने लगे लाओ उस साँप को जिस पर तुम फख्र करते हो.

उसके बाद उस साँप को लाया गया और हज़रत अली पर छोड़ दिया गया जैसे ही वो साँप हज़रत अली के क़रीब आया तो हज़रत अली ने अपने नन्हे हाथों से उस साँप को पकड़कर दो टुकड़े कर दिये और उसे दूर फेंक दिया ये देखकर वहाँ मौजूद सभी लोग हैरान हो गए और कहने लगे इस बच्चे में ज़रूर कोई बात है वरना ये करना ना मुमकिन है और सब के सब कहने लगे ये तो कमाल  कर दिया इस छोटे से बच्चे ने तो साँप के दो टुकड़े कर दिये ये आवाज़ सुनकर हज़रत अली वालिदा बीबी फातिमा बिन्ते असद कहने लगी ये मेरा बच्चा हैदर है जिसने साँप के दो टुकड़े कर दिये.

तो दोस्तों ये है हज़रत अली की शान जिसने पैदा होते ही बड़े-बड़े करामात दिखाए जिसकी पैदाइश तो अल्लाह के घर में हुई और आपकी वफ़ात भी अल्लाह के घर में हुई अल्लाह के घर में ही आपको शहीद किया गया था अल्लाहु अकबर दोस्तों कितना अज़ीम और बुलंद मक़ाम है सय्यदना हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो का हज़रत अली वो हैं जो अल्लाह की प्यारी बेटी हज़रत फातिमा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा के शौहर और हज़रत इमाम हसन और इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हो के वालिद हैं और जिसके बारे में खुद अल्लाह के नबी ने इरशाद फ़रमाया है की जिसके दिल में अली की मोहब्बत नहीं होगी वो शख्स कभी जन्नत में नहीं जाएगा.

Hazrat Ali Murtza Ki Shahadat Ka Waqia – हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो की शहादत का वाक़िआ

दोस्तों जिस बदबख्त ने हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो को शहीद किया उसका नाम है अब्दुल रहमान इब्ने मुलाज़िम 19 रमज़ान के दिन जब हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो फज्र की नमाज़ पढ़ रहे थे तब उसने आपके सर मुबारक पर तलवार से हमला किया वो जानता था की अली का सामना कोई भी नहीं कर सकता है इस लिए उसने नमाज़ के वक़्त आपको शहीद करने मंसूबा बनाया था और 21 रमज़ान यानी लैलतुल क़द्र की मुबारक रात जो हज़ारों रातों से अफ़ज़ल है इस रात को हैदरे कर्रार फातहे खैबर सय्यदना हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो इस दारे फानी से दारे बक़ा तरफ कूंच कर गए (इन्ना लिल्लाहि व इन्ना लिल्लाहि राजेऊन)

मोहतरम अज़ीज़ दोस्तों हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो का मर्तबा बहोत अफ़ज़ल और आला है मैंने तो बहोत कम लफ़्ज़ों में ये वाक़िआ बयान किया है आपके सामने हज़रत अली की शान इनके बारे में अल्लाह के नबी ने कहा मैं इल्म का शहर हूँ और अली उसका दरवाज़ा जिसके नाम से ही शैतान काँपता है आज भी जब कोई मुश्किल आए तो अली का नाम लेकर देखो तुम्हारी मुश्किल आसान हो जाएगी अल्लाह तआला से दुआ है की अल्लाह हम सब को हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो से सच्ची मोहब्बत करने की और उनके बताये हुवे रास्तों पर ज़िन्दगी गुज़ारने की तौफ़ीक़ दे आमीन.

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