अल्लाह ने इस दुनिया को किस तरह से बनाया-Ye Duniya Kaise Bani हिंदी
अस्सलामु अलैकुम मेरे मोहतरम अज़ीज़ दोस्तों आज हम जानेंगे की अल्लाह ने इस दुनिया को किस तरह से बनाया तो आपसे गुज़ारिश है की इसे पूरा ज़रूर पढ़ें – अल्लाह ने इस दुनिया को किस तरह से बनाया-Ye Duniya Kaise Bani हिंदी
मुहम्मद बिन इस्माईल बिन आजर बुखारी रह० रिवायत करते हैं कि हजरत इमाम जाफर सादिक बिन इमाम मुहम्मद बाकर बिन इमाम जैनुल आबिदीन बिन इमाम हुसैन रजि० से अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली बिन अबी तालिब ने फरमाया कि एक दिन मैं प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सेवा में बैठा था कि हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्लाह अन्सारी ने हज़रत सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से अर्ज़ किया।
ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! मेरे मां-बाप आप पर कुर्बान! फ़रमाया कि अल्लाह तआला ने सबसे पहले किस चीज़ को पैदा किया? अल्लाह के प्यारे नबी ने फ़रमाया, तमाम चीजों से पहले उस खालिक (पैदा करने वाले यानी खुदा) ने मेरा नूर पैदा किया। फिर हजारों वर्ष तक मेरा नूर अल्लाह की कुदरत से, उसकी बड़ाई देखने और उसकी तस्बीह और सज्दे में लगा रहा।
अल्लाह ने इस दुनिया को किस तरह से बनाया-Ye Duniya Kaise Bani हिंदी
इब्ने अब्बास की रिवायत है कि वो नूरे मुहम्मदी बारह हज़ार साल तक खुदा की इबादत में लगा रहा। फिर अल्लाह तआला ने उस नूर से एक मोती पैदा किया उस मोती पर अपनी जलाली नज़र डाली, तो वो मोती अल्लाह के रोब के असर से पानी-पानी हो गया, फिर हजार वर्ष तक बहता रहा। बाद में अल्लाह ने उसके दस हिस्से किए।
(1) पहले हिस्से से अर्श बनाया, उसके चार हज़ार सुतून किए। एक सुतून से दूसरे सुतून तक चार हजार वर्ष की राह है। उसके बाद चार फरिश्ते पैदा किए, एक आदमी की शक्ल में, दूसरा ऊंट की शक्ल, तीसरा करगस के रूप में, चौथा गाय के जिस्म की शक्ल में, इनके पांव तहतस्सरा (सबसे निचला हिस्सा) से और मोंढे अर्श से लगे हुए हैं इनको अल्लाह ने हुक्म दिया कि अर्श को उठा लो। उन्होंने बहुत ताक़त लगाया, मगर उनसे उठ नहीं सका। फिर अल्लाह की तरफ से इरशाद हुआ कि हमने तुमको सात जमीन व आसमान का ज़ोर दिया, उठा लो।
फिर उन्होंने ताकत लगाकर उठाना चाहा, मगर न उठ सका। इसके बाद हुक्म हुआ कि यह तस्बीह पढ़ कर उठा लो – (सुब्हान ज़िल मुल्कि वल् मलकूति, सुब्हान ज़िल इज्जति वल अज्मति वल हैबति वल् कुद्रति कल् कमालि वल जमालि वल किब्रियाए वल जबरूति, सुव्हानल मलिकिल हय्यिल लजी ला यनामु, वला यमूतु सुब्बूहुन कुद्दुसून रब्बुना व रब्बुल मलाइकति वर्रूह) जब फ़रिश्तों ने यह तस्बीह पढ़ी अल्लाह की कुदरत से अर्श उठा लिया।
(2) दूसरे हिस्से से कलम बनाया। उसकी लम्बाई पांच सौ साल राह की और चौड़ाई चालीस साल राह की है।
(3) तीसरे हिस्से से लौहे महफूज़ (हिफाज़त की हुई तख्ती) बनाया। उसकी ऊंचाई सौ साल की और चौड़ाई सौ साल की है। उसके चारों तरफ याकूत जड़ा है फिर कलम को हुक्म हुआ लिख। अर्ज़ किया मौला क्या लिखू अल्लाह का हुक्म हुवा लिख मेरा इल्म मेरी खिल्कते (सृष्टि) में अर्ज किया मौला शुरू किस तरह से करूँ?
अल्लाह का फरमान हुआ, शुरू कर ‘बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम’। फिर कलम ने बिस्मिल्लाह को हजार साल में पूरा किया। इसके बाद अल्लाह का फरमान हुआ, लिखो, ‘मैं माबूद हूं, मेरे अलावा कोई इबादत के लायक नहीं। मुहम्मद मेरे रसूल हैं, जिसने मेरे फैसले पर भरोसा किया, मेरी भेजी मुसीबत पर सब्र किया, मेरी नेमतों पर शुक्र किया और मेरे हुक्म पर राजी हुआ, और मेरे सब नबियों में सबसे अफ़ज़ल और बढ़कर होगा मेरा महबूब होगा मैं उसके सदक़े में गुनहगारों की बख़्शिश करूँगा।
और जिसने मेरे फैसलों पर भरोसा न किया, मेरी बला पर सब्र न किया, मेरी नेमतों पर शुक्र न किया, और मेरे हुक्म पर राजी न रहा, उसे भी चाहिए कि मुझे ही माबूद चुने। फिर कलम ने लिखा और लिखती चली गयी, यहाँ तक कि लिख डाला वर्षा की बूंदों को, पेड़ों के पत्तों को, रेगिस्तानों के रेतों को और कियामत तक जो-जो होने वाला है। लिखते-लिखते जब कलम ने मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का नाम सुना तो अर्ज किया कि ऐ खुदा!
तेरे जैसा और तेरे बराबर का कोई नहीं, फिर यह किस बुजुर्ग का नाम है। आवाज़ आई कि ये नाम मेरे हबीब का है, वह मख्लूके खास है मेरी सारी मख्लूक़ में सबसे अफ़ज़ल और बड़ा है (सुब्हानल्लाह) अगर मैं उसे पैदा न करता तो मेरी कुदरत जाहिर न होती। कलम ने जब यह आवाज़ सुनी तो हैबत से उसका सीना फट गया। रिवायत किया जाता है कि लौह हरकत में आई कि मेरे जैसा कोई नहीं है, क्योंकि मुझ पर खुदाई इल्म लिखा गया है। आवाज़ , आई, अल्लाह ही है जिसे चाहता है मिटाता है और जिसे चाहता है रखता है और उसी के पास असल किताब है।
- चौथे हिस्से से सूरज।
- पांचवें हिस्से सेचाँद ।
- छठे हिस्से से जन्नत।
- सातवें हिस्से से दोजख ।
- आठवें हिस्से से फरिश्ते।
- नवें हिस्से से कुर्सी
- दसवें हिस्से से नूरे मुहम्मदी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को पैदा किया और इस नूर मुबारक को दाहिनी तरफ अपनी तस्बीह व तक्दीस में मशगूल रखा।
रिवायत है कि कुर्सी के नीचे याकूत का एक दाना पैदा हुआ। ऊंचाई और चौडाई उसकी पांच सौ वर्ष की राह है। उस दाने पर अल्लाह ने नज़र डाली हैबत से वह खुद-ब-खुद पिघल कर पानी हो गया। इसके बाद दक्खिनी-उत्तरी हवा को पैदा करके हुक्म दिया कि तुम चारों कोनों पर इस पानी के मौज करो, झाग निकालो फिर उसकी कुदरत से आग पैदा हुई। वह पानी पर गयी उसका धुवां निकल कर कुर्सी और पानी के बीच में हवा पर लटक गया। इस धुएं को अल्लाह ने सात पारा किया।
- एक पारे से पानी का आसमान
- दूसरे से तांबे का आसमान
- तीसरे से लोहे का आसमान
- चौथे से चांदी का आसमान
- पांचवें से सोने का
- छठे से मरवारीद का
- और सातवें से याकूत का आसमान हुआ
एक आसमान से दूसरे आसमान का फ़ासिला पांच सौ साल का रास्ता है। फिर अल्लाह तआला ने अपनी कुदरत से इस पानी के झाग से लाल मिट्टी की पीठ पैदा की, उसी जगह, जहाँ अब खान-ए-काबा है। अल्लाह ने अपनी क़ुदरत से फरिश्तों को पैदा किया उसके बाद हज़रत जिब्रील, मीकाईल, इस्राफील और इज़ाईल अलैहिमुस्सलाम को हुक्म हुआ कि चारों कोने इस मिट्टी को फैला दो। इसके फैलाने से यह ज़मीन पैदा हुई। रिवायत है कि एक दिन अब्दुल्लाह बिन सलाम ने हज़रत रसूले खुदा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से अर्ज़ किया ऐ अल्लाह के रसूल
जमीन को किस चीज से करार है? फरमाया काफ पहाड से जमीन और आसान की हरियाली इसी का साया है। काफ पहाड़ की ऊंचाई पांच सौ वर्ष की राह है और काफ पहाड, के उस पार सात जमीनें मुश्क की, सात काफूर की और सात चांदी की है। सत्तर हजार अलम (झंडे) हैं, हर अलम के नीचे सत्तर हजार फरिश्ते हैं। रिवायत करने वाले ने फिर अर्ज किया, ऐ अल्लाह के प्यारे रसूल इसके बाद क्या है? फरमाया एक अजगर है, उसकी लम्बाई दो हजार साल राह की है।
फरमाया कि सातवीं ज़मीन पर फरिश्ते, छठी ज़मीन पर शैतान और उसकी औलाद और पांचवीं ज़मीन पर देव और चौथी पर सांप और तीसरी पर जानवर तक्लीफ पहुंचाने वाले और दूसरी पर परियां और पहली ज़मीन पर सब आदमी हैं। और सातवें आसमान के नीचे एक गाय है, उसके चार हजार सींग हैं। एक सींग से दूसरे सींग तक पांच सौ साल राह की दूरी है। और यह सात मोहरा-ए-तब्के जमीन के उसके सींगों के दर्मियान हैं और वह गाय खड़ी है एक मछली के पुश्त पर और यह मछली पानी पर है। उस पानी की गहराई चालीस साल की राह है।
और वह पानी हवा पर लटका हुआ है हवा अंधेरे पर है, अँधेरा दोजख पर है, दोजख आसमान के एक पत्थर पर है, पत्थर फरिश्ते के सर पर है, फ़रिश्ता हवा पर है, हवा अल्लाह की कुदरत से लटकी हुई है और उसकी कुदरत बहुत ज्यादा है। अब्दुल्लाह बिन अब्बास फरमाते है कि तहतस्सरा नाम ताज़ा गुलाब का है, जो सातवीं ज़मीन के नीचे है और उसके नीचे दोजख है। उसमें एक फरिश्तों का सरदार है उसका नाम मालिक है। उन्नीस फरिश्ते मालिक के ज़िम्मेदारी में हैं। हर फरिश्ते के दाहिनी तरफ सत्तर हजार हाथ और बायीं तरफ भी सत्तर हज़ार हाथ हैं।
हर हाथ पर सत्तर हजार हथेलियां और हर हथेली पर सत्तर हजार उंगलियां और हर उंगली पर एक-एक अजगर है और हर अजगर के सर पर एक सांप है कि उसकी सत्तर हजार साल की लम्बाई है और हर सांप के सर पर एक बिच्छू है। अगर वो दोजखियों को एक डंक मारे तो सत्तर वर्ष तक दर्द से लोटते रहेंगे। बायें हाथ की उंगलियों पर एक-एक सुंतून आग का है। अगर एक सुतून हश्र के मैदान में डाला जाए और सब जिन्न व इन्सान मिल कर उसे हिलाना चाहें तो हिला नसकेंगे। इन फरिश्तों को हुक्म हुआ कि तुम दोजख के अन्दर जाओ, उन्होंने अर्ज की कि खुदाया ऐसी जलती आग में किस तरह जाएं।
हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम ने अल्लाह के हुक्म से एक अंगूठी जन्नत से ला कर उनके माथे पर उस से दाग दिए अंगूठी पर लिखा था – ‘ला इलाहा इल्लल्लाहु मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह‘ ये सब इसलिए किया गया, ताकि दोज़ख की आंच उन पर असर न करे। तब वे उन्नीस फरिश्ते दोजख में गये और कियामत तक वहीं रहेंगे। दोजख के सात दरवाजे हैं हर दरवाज़े के लिए उनमें से एक गिरोह तकसीम किया गया है।
दोज़ख के सातों दरवाज़ों के नाम दोज़ख़ का पहला दरवाजा- Jahannam Ke 7 Darwazo Ke Naam
- जहीम है
- दूसरा जहन्नम
- तीसरा सकर है
- चौथा सईर है
- पांचवां नता है
- छठा हाविया है
- और सातवां हुतमा है
रिवायत है कि एक दिन हज़रत जिब्रील ने प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में वह्य भेजी थी कि यकायक जलजले के सदमे से ज़मीन व पहाड़ हिल गए और उसके साथ हौलनाक आवाज़ आई प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रत जिब्रील से पूछा किये कैसी आवाज थी। जिब्रील ने अर्ज किया कि ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम आदम अलैहिस्सलाम के आगे सात हजार वर्ष से एक पत्थर दोजख में डाला गया है आज तक वह नीचे चला जाता था अभी वह कअरे हुतमा में पहुंचा। यह उसकी आवाज़ थी।
हज़रत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पछा वह किस की जगह है? अर्ज की कि मनाफिकों की छठे दर्जे में कुश्रिक रहेंगे, पांचवें दर्जे में बुत परस्त रहेंगे, चौथे दर्जे में शराब पीने वाले, तीसरे दर्जे में तरसा, दूसरे दर्जे में यहूदी और पहले दर्जे में आपकी उम्मत के गुनहगार रहेंगे। दोजख के एक दरवाजे से दूसरे दरवाजे तक सत्तर वर्ष की राह है एक सरपोश संगीन कि जिसकी चौड़ाई पचास साल की राह है, दोज़ख़ के मुँह पर रखा है दोजख के नीचे एक पत्थर है उसके नीचे एक फ़रिश्ता मच्छर के पेट पर खड़ा है।
उसके नीचे एक मछली ऐसी बड़ी है कि दुम उसकी सातवें अर्श से लगी है। और एक गाय फिरदौस की सत्तर हज़ार उसके सींग हैं और जमीन में गड़े हैं, उस मछली के पेट पर खड़ी है। अगर वह हिले. डुले तो तमाम दुनिया तहस-नहस हो जाए। रिवायत है अब्दुल्लाह बिन अब्बास से कि हर आसमान पर अनगिनत फरिश्ते हैं। वे सब अल्लाह तआला के हुक्म से तस्बीह) तक्दीस, तहलील, तह्मीद, तम्जीद, तक्बीर) में लगे हुए हैं। अगर एक पल अल्लाह की याद से गाफिल हों, तो अनवारे इलाही की तजल्ली से जल-भुनकर खाक हो जाएं।
यह फरिश्ते कुछ गाय की शक्ल के हैं, कुछ सांप की शक्ल के है, कुछ गिध की शक्ल के हैं कुछ का आधा बदन बर्फ का है कुछ का आँग का, कुछ कियाम में हैं, कुछ रुकूअ में हैं, कुछ सज्दे में हैं और कुछ कुसूद में हैं। वे कियामत में, इस इबादत के बावजूद माफी की दरख्वास्त करेंगे। फिर खुदा ने इतवार के दिन अर्श उठाने वालों को पैदा किया, पीर के दिन आसमान के सात तबक़ पैदा किए, मंगल को जमीन के सात तबक पैदा किए, बुध को अंधियारा पैदा किया, जुमेरात को ज़मीन के मुनाफे, जुमा को सूरज चाँद और तारों को और सब आसमानों को हरकत दी और सनीचर के दिन पूरी कायनात पैदा करके फरागत हासिल की।
एक रिवायत है कि अल्लाह तआला ने रेत को पैदा करके हवा को हुक्म दिया तो एक हिस्सा उसका ज़मीन पर और एक हिस्से को जमीन के अन्दर ले गयी। इसके बाद बे-धुएं की आग पैदा करके उस से जिन्नों की कौम पैदा की, जिन्नों से दुनिया भर गयी। उन पर एक पैगम्बर युसुफ नाम का भेजा। जिन्नों ने उस पैगम्बर की बात न मानी, बल्कि उसे मार डाला। जमीन पर जुल्म करने लगे, तब अल्लाह तआला ने हज़रत इजाईल को और फ़रिश्तों के साथ भेजा उन्होंने सबको मार कर उनकी गंदगी से दुनिया को पाक किया।
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