हज़रत अली की अंगूठी और एक शेर का वाक़िआ-hazrat Ali aur ek sher ka waqia

हज़रत अली की अंगूठी और एक शेर का वाक़िआ-hazrat Ali aur ek sher ka waqia

अस्सलामु अलैकुम दोस्तों आज हम हज़रत मौला अली शेरे खुदा का एक ऐसा वाक़िआ पढ़ने वाले हैं जिसे पढ़कर आपका ईमान तो ताज़ा होगा ही साथ ही साथ मौला अली के चाहने वाले झूम उठेंगे ये वाक़िआ है हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु और एक शेर का शेरे खुदा और एक दुनियावी शेर का वाक़िआ जिसे पढ़कर आपकी रूह ताजा हो जाएगी मेरी आपसे गुजारिश है कि इस वाक़िआ को पूरा पढ़ें – हज़रत अली की अंगूठी और एक शेर का वाक़िआ-hazrat Ali aur ek sher ka waqia

हज़रत अली की अंगूठी और एक शेर का वाक़िआ-hazrat Ali aur ek sher ka waqiaहज़रत अली की अंगूठी और एक शेर का वाक़िआ-hazrat Ali aur ek sher ka waqia

प्यारे दोस्तों जैसा कि हम और आप सब जानते हैं कि हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु को शेरे खुदा भी कहा जाता है और मुश्किल कुशा भी कहा जाता है शेरे खुदा आपका लक़ब है और मुश्किल कुशा आपको आपके सभी अक़ीदतमंद और चाहने वाले पुकारते हैं क्यों की आप हर किसी की मुश्किल में काम आते हैं जहाँ उम्मीद ख़त्म होती है वहाँ अली की मोहब्बत काम आती है इसमें कोई शक नहीं है हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो के नाम से ही हम सब की मुश्किलें आसान हो जाती हैं हम सबके बिगड़े काम बन जाते हैं.

ये शान और मर्तबा है मौला अली का मोहतरम अज़ीज़ दोस्तों वैसे तो हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो का हर वाक़िआ ही ईमान को ताज़ा करती है और रूह को सुकून पहुँचाती है और ये वाक़िआ भी आपके रूह को ताज़ा कर देगी दोस्तों कि एक दिन सैयदनाहज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो तशरीफ़ फरमा थे तभी एक शख्स हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो की बारगाह में हाज़िर हुवा और अदब के साथ कहने लगा या अली मैं सफर में जाने वाला हूँ और रास्ते में एक जंगल से भी गुज़ारना है जंगल के शेर दरिंदे और जंगली जानवरों का खौफ है मुझे या अली मैं क्या करूँ.

उस शख्स की बात सुनकर मौला ए क़ायनात सय्यदना हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो अपनी दस्ते मुबारक में जो अंगूठी पहने थे उसे निकलकर उस शख्स को दे दिये और फ़रमाया ऐ शख्स अगर तुम्हारे सफर में कोई शेर या दरिंदा आए तो उसको तुम ये अंगूठी दिखा देना और उसे ये अंगूठी दिखाकर कहना की ये अंगूठी अली इब्ने अबी तालिब की है वो शख्स हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो की अंगूठी लेने के बाद सफर के लिये रवाना हो गया और सफर में जा रहा था तो वो जंगल भी रास्ते में आया जिसका उसे खौफ था वो जानता था जंगल के बारे में की यहाँ खूंखार जंगली जानवर है और जब वो जंगल में से गुजरने लगा तो रास्ते में उसके शेर आ गया.

जैसे ही वो शख्स शेर को अपने पास आता देखा तो दर गया और कहने और उसने ये समझ लिया की अब ये शेर मुझे ज़िंदा नहीं छोड़ेगा लेकिन उसे तुरंत हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो की वो बात याद आ गई और उसने उस अंगूठी को निकलकर उस शेर के सामने किया और कहा की ये अमीरुल मोमिनीन मौला ए क़ायनात सय्यदना हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो की है शेर ने जब उस शख्स की बात सुनी और मौला अली की उस अंगूठी पर उसकी नज़र गई तो शेर ने आसमान की तरफ अपना सर उठाया और ज़ोर से आवाज़ लगाई और फिर उस शेर ने ज़मीन की तरफ अपना सर किया और उसके बाद आवाज लगाई और फिर इसी तरह मशरिक और मग़रिब की तरफ उसने अपना मुँह करके आवाज़ लगाया.

और उसके बाद वो शेर भागत हुवा जंगल के अंदर चला गया तो और वो शख्स हज़रत अली की मुबारक अंगूठी ये करामत देख कर हैरान हो गया था और शेर का ये मामला भी देख कर हैरान हो चुका था आखिर माजरा क्या है दाएं बाएं और सभी और मुंह करके आवाज़ क्यों लगाई शेर ने और वह इस मुबारक अंगूठी को देख कर भाग कैसे गया उसके बाद उसने सफर मुक़म्मल करने का इरादा किया और इसके उसे रास्ते में कोई रुकावट नहीं मिली इसी तरह वो सफर वापस भी आया उसके बाद उसे अपने पूरे सफर में कोई भी खतरा नज़र नहीं आया और उसने आराम से अपना सफर पूरा कर लिया.

और जब वो सफर से वापस आया तो वो मौला ए क़ायनात सय्यदना हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो की बारगाह में हाज़िर हुवा उसने बड़े ही अदब के साथ हज़रत अली को सलाम करने के बाद उसने कहा या अली मेरे साथ ऐसा-ऐसा मामला पेश आया उसने शेर का पूरा वाक़िआ हज़रत अली को सुनाया और बताया की शेर ने हर तरफ अपना मुंह करके तेज़ आवाज़ें लगा रहा था अपने सफर का पूरा वाक़्या हज़रत अली को बताया उस शख्स की बात सुनकर हजरत इमाम अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो ने फरमाया ऐ खुदा के बन्दे क्या तुम्हे पता है कि शेर ने जो आवाज़ें लगाई उसमे उसने क्या कहा उस शख्स ने कहा या अली मुझे नहीं पता की शेर ने क्या कहा.

तो आप हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो ने इरशाद फरमाया ऐ शख्स उस शेर ने आसमान की तरफ जब अपना चेहरा किया तो उसने ये कहा था कि कसम है उसकी ज़ात की जिसने आसमान को क़ायम और उसके बाद जब उसने ज़मीन की तरफ अपना चेहरा किया तो उसने कहा उसने कहा कसम है उस ज़ात की जिसने इस ज़मीन को बिछाया और जब उसने मशरिक और मग़रिब की तरफ मुंह करके आवाज़ लगाई थी तो उसने यह कहा था कि कसम है वह ज़ात की जिसने मशरिक से सूरज निकाला और मगरी में डुबो दिया मैं उन शहरों में नहीं रहूंगा जहां पर मेरी शिकायत हज़रत मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो से की जाए (सुब्हान अल्लाह)

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ये शान है खुदा के शेर मौला ए क़ायनात फातहे खैबर सय्यदना हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो की जंगल का शेर भी जिससे लोग डरते हैं वो भी हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो का अदब और ताज़ीम करता है प्यारे दोस्तों ये शान है हज़रत अली की अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त से यही दुआ है अल्लाह तआला रसूले पाक सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के सदके में हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो की मोहब्बत में जिंदगी गुज़ारने की तौफ़ीक़ आता फरमाए और हज़रत अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हो के बताए हुए रास्तों पर चलने की तौफीक अता फरमाए आमीन या रब्बुल आलमीन.

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