इसफ और नैला जिसने क़ाबा में गुनाह किया और पत्थर के बन गए-history Isaf & Naila

इसफ और नैला जिसने क़ाबा में गुनाह किया और पत्थर के बन गए-history Isaf & Naila

इसफ और नैला जिसने क़ाबा में गुनाह किया और पत्थर के बन गए-history Isaf & Naila – अस्सलामु अलैकुम दोस्तों आज हम दुनियावी तारीख का एक ऐसा वाक़िआ जानेंगे जिसे पढ़कर आपके होश उड़ जाएंगे जी हाँ जब दो इंसानो ने ज़िना किया और अल्लाह पाक ने उन्हें पत्थर का बना दिया एक ऐसा अजीबो-ग़रीब वाक़िआ जो आपके रोंगटे खड़े कर देगा मोहतरम अज़ीज़ दोस्तों ये वाक़िआ क्या था क्यों हुवा ये मर्द और औरत कौन थे जिन्होंने एक मुक़द्दस जगह पर ज़िना जैसा गुनाह किया और अल्लाह तआला ने उन्हें पत्थर का बना दिया इस वाक़्या को जानने के लिए हमें तारिख में पीछे जाना होगा.

इसफ और नैला जिसने क़ाबा में गुनाह किया और पत्थर के बन गए-history Isaf & Nailaइसफ और नैला जिसने क़ाबा में गुनाह किया और पत्थर के बन गए-history Isaf & Naila

इसके लिए हमें उस ज़माने में जाना होगा जब हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम और उनकी वालिदा बीवी हाजरा ज़मज़म के पानी के क़रीब अपनी ज़िन्दगी गुज़ार रहे थे उस दौर में अरब की ज़मीन पर पीने वाले पानी का मिलना एक नामुमकिन सी बात थी सेहरा और सूखे पहाड़ों की ज़मीन पर पानी की एक बूंद का मिलना मुहाल था अरब के लोग मीठे पानी के चश्मा और कुओं की तलाश में सेहरा और वादियों में मारे-मारे फिरते थे ये कुदरती पानी का चश्मा जो इस्माईल अलैहिस्सलाम की एड़ियां रगड़ने से अल्लाह की तरफ से जारी हुवा.

वो पानी का चश्मा जिसे हम आज आब-ए-ज़मज़म कहते हैं ये दुनिया की सबसे बड़ी नेमत है जिसे अल्लाह ने अपनी क़ुदरत से जारी किया था और एक कबीला जो बनी जरहम के नाम से तारीख में मशहूर है वह भी मीठे पानी की तलाश में जगह-जगह चक्कर लगा रहा था जब वो क़बीला सफा और मरवा पहाड़ी के क़रीब से गुजरने लगा यानी जहाँ हज़रत हाजरा और उनके बेटे हज़रत इस्माईल थे जहाँ अल्लाह ने हज़रत इस्माईल के एड़ियों के पास से आब-ए-ज़मज़म को जारी किया था तब उन लोगों ने वहाँ चारों तरफ से परिंदों को उड़ते देखा तो उनको हैरानी हुई.

क्यों की सेहरा में परिंदो का दिखना पानी होने की निशानी थी उसके बाद वो पूरा क़बीला उसी तरफ चल दिया उसके बाद वो लोग उस जगह पर पहुँच गए जहाँ अल्लाह ने अपनी क़ुदरत से आब-ए-ज़मज़म को जारी किया था उन्होंने देखा की एक खातून अपने छोटे से बच्चे के साथ वहाँ रह रही है और क़रीब में एक ठंडे और मीठे पानी चश्मा जारी है जिसका पानी बेहद साफ़ और मीठा है वो लोग इस बात से बहोत हैरान हो गए ऐसे इलाके में जहां पानी का नामोनिशान तक नहीं था अल्लाह की कुदरत से पानी के चश्मे को निकलता देखकर बेहद हैरान हो गए.

उन्होंने बीवी हाजरा से उस चश्मे के पास रहने की इजाज़त मांगी और बीवी हाजरा ने उनको रहने की इजाज़त देदी और साथ में ये भी कहा इस चश्मे का पानी ज़रूर इस्तेमाल करो लेकिन ये अल्लाह पाक की अमानत है इस पर किसी का कोई मालिकाना हक नहीं होगा क़बीले वालों ने उस शर्त को कबूल कर लिया और वहाँ रहने लगे वक़्त गुज़रने लगा बीवी हाजरा ने हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम की शादी उसी क़बीला जरहम के एक लड़की से कर दी और इस तरह रफ्ता-रफ्ता हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम की औलाद हुई वो उनकी औलाद वहाँ पली बढ़ी और इस तरह कुछ वक़्त के बाद.

मक्का जिसका नाम पहले बक़ा था वो एक बड़ी आबादी वाला शहर बन गया क़बीला जरहम वाले काफी अर्शे तक सीधे रास्ते पर रहे लेकिन फिर धीरे धीरे उनके अंदर बुराइयाँ पैदा होना शुरू हो गई अब उन्होंने क़ाबा शरीफ का इंतज़ाम संभाल लिया और हज के लिए आने वाले लोगों से मिलने वाला हदिया यानी रक़म खुद लेने लगे और अल्लाह की नाफरमानी करने लगे और इस तरह धीरे-धीरे वो लोग गुनाह करते  गए तब अल्लाह पाक ने उनको सजा देने के लिए उनसे ज़मज़म का पानी छीन लिया और ज़मज़म का पानी सूख गया.

वक्त गुज़रने के साथ-साथ ज़मज़म के नामों-निशान तक मिट गए अब किसी को मालूम नहीं था कि यहां पर कोई ज़मज़म का चश्मा हुआ करता था उसी क़बीले का एक शख्स जिसका नाम मजाज़न बिन अम्र था बहुत ही नेक और परहेज़गार शख्स था उसने वहाँ के लोगों को बहोत समझाया उन्हें अल्लाह के अज़ाब के बारे में बताया लेकिन उस क़ौम पर कोई असर न हुआ जब ये क़बीला अपने बुरे कामों से बाज़ नहीं आया तब एक रात मजाज़न ने सोचा की ये लोग जिस तरह क़ाबा शरीफ के पैसों को खाने लगे हैं किसी दिन ये लोग हज करने के लिए आने वालों की तरफ से चढ़ाए गए क़ीमती सोने चांदी को भी चुरा लेंगे.

मजाज़न ने रात के वक़्त अपने बेटे को साथ लिया और क़ाबा के अंदर मौजूद सोने के क़ीमती हदिये को लेकर जिस जगह ज़मज़म का चश्मा हुआ करता था उसी जगह खुदाई करके ये सब क़ीमती हदिये वहाँ पर छुपा दिए अब जैसा की अल्लाह तआला किसी क़ौम के बिगड़ने पर उस क़ौम को किसी दूसरी क़ौम के हाथों अज़ाब देता है अल्लाह ने उस क़ौम को भी अज़ाब देने का फैसला कर लिया और एक क़बीला जिसका नाम बनी खज़ा था अल्लाह ने उसको उन लोगो पर मुसल्लत कर दिया बनी खज़ा वालों ने बनी जरहम के लोगों को मार-मार कर मक्का से निकाल दिया उनके क़बीले के बड़ी तादाद में लोगों को क़त्ल कर दिया.

इसफ और नैला जिसने क़ाबा में गुनाह किया और पत्थर के बन गए-history Isaf & Naila

और इस तरह अपनी जान बचा कर बनी जरहम के लोग यमन में आबाद हो गए उसी ज़माने में उस क़बीले में एक लड़के और एक लड़की ने जन्म लिया लड़के का नाम इसफ बिन यला था और लड़की का नाम नायला बिन्ते ज़ैद था दोनों जब जवान हुवे तो एक दूसरे के इश्क़ में गिरफ्तार हो गए और उन्होंने आपस में नाजायज़ ताल्लुक़ात क़ायम कर लिए एक बार ये दोनों हज के लिए एक काफिले के साथ मक्का शरीफ गए खान-ए-क़ाबा में उनको तन्हाई मिली तो उन्होंने आपस में गुनाह करने का इरादा कर लिया.

जैसे ही उन्होंने आपस में गुनाह  (ज़िना) किया अल्लाह का अज़ाब उन पर तुरंत नाज़िल हो गया ये दोनों फ़ौरन पत्थर के बुत बन गए उन दोनों ने जिस जगह पर गुनाह किया था वो ज़मीन का सबसे मुक़द्दस जगह था यानी खान-ए-क़ाबा जैसे ही उन्होंने गुनाह किया उसी वक़्त उनके जिस्म पत्थर के बन गए उनकी रूहें क़ब्ज़ कर ली गई और गोश्त-गोश्त के जिस्म पत्थर के बनते चले गए उस वक्त उनके करीब कोई नहीं था इसलिए जो कुछ उनपर गुज़री होगी वो उनके सिवा कोई नहीं जानता ये तारीख का इन्तेहाई अजीबो-ग़रीब और खौफनाक वाक़्या था.

दो ज़िंदा इंसान जिनमें से एक मर्द था और दूसरी औरत थी अज़ाबे इलाही के तहत पत्थर के बन गए थे लेकिन इससे आगे जो हुआ वो आपके रोंगटे खड़े कर देगा कुछ देर गुज़री तो उधर से किसी का गुज़र हुवा उसने उनको देखा और पहचान लिया ये भी मालूम हो गया कि उन्होंने उस मुक़द्दस और बरक़त वाली जगह पर कैसा घिनौना काम किया था जिसकी फौरी तौर पर पकड़ हो गई और अल्लाह ने इनपर अज़ाब भी नाज़िल कर दिया लोगों का दुख और गुस्से से बहोत बुरा हाल हो गया इन दोनों पत्थर के बुतों को इबरत का निशान बनाने के लिए उस ज़माने के कुछ इल्म वाले और नेक लोगों ने उनको उस मुक़द्दस जगह से उसी इलाके में एक-दूसरे से काफी लंबे रास्ते पर आमने सामने कर दिया.

इसफ और नैला जिसने क़ाबा में गुनाह किया और पत्थर के बन गए-history Isaf & Naila

उसके बाद इस मुक़द्दस मुक़ाम पर आने वाले लोगों के लिये ये ज़रूरी कर दिया गया की इन दोनों बुतों को जूते मारते हुवे गुज़रा जाए ताकी देखने वाले लोगों के ज़हन में इनका किया हुवा गुनाह ताज़ा रहे और लोग इससे सबक़ हासिल करते रहें और जो भी उस उस मुक़द्दस मुक़ाम पर आता वो उनको जूते मारते हुवे वहाँ से जाता वक्त गुजरता गया 100-150 साल तक यही सिलसिला चलता रहा उसके बाद कुछ वक़्त गुज़रा तो नई आने वाली नस्लों ने धीरे -धीरे उन बुतों को जूतों से मारना छोड़ दिया शैतान ने उमके दिमाग में ये बात डाली की ये तो इबादत का हिस्सा नहीं.

तो इन्हे जूतों से मारना ज़रूरी भी नहीं बल्कि उसके बजाए इनको थप्पड़ मारकर गुज़रा जाए जिससे ये पता चलता रहे की हम उनसे नफरत करते हैं और उनके किये हुवे गुनाह का ख्याल भी लोगों के दिमाग़ में मौजूद रहेगा वक़्त के साथ-साथ ये थप्पड़ भी हलकी सी चपत में तब्दील होने लगी और फिर अलामती तौर पर उन बुतों को सिर्फ छू कर गुजरने का सिलसिला शुरू हो गया शैतान ने एक बार फिर लोगों को बहकाया अब लोग उन बुतों को इस नीयत से छूते की वो उनसे नफरत करते हुवे थप्पड़ मार रहे हैं लेकिन साथ ही साथ अपने लिए उन बुतों से दुआ भी माँगते.

शैतान ने उनके दिमाग में ये बात बैठा दिया अगर तुम इन बुतों को नफरत से छूते हुवे दुआ मांगोगे तो तुम्हारी दुआएँ जल्दी क़ुबूल होंगी यहां पर शैतान की मक्कारी देखिए की कैसे धीरे-धीरे लोगों के दिमाग़ को गुनाह की तरफ बदल देता है जब लोगों के साथ कुछ अच्छा हो जाता तो शैतान उनको समझाता की तुम्हारा ये काम इसी वजह से हुवा की तुमने बुत को  छू कर दुआ की थी वक़्त गुज़रने के साथ-साथ आने वाली नस्लों की सोच बदलती चली गई और अब वो बुतों को छूकर दुआ ज़रूर माँगते लेकिन उनके अंदाज़ में उन बुतों के लिये अक़ीदत और एहतराम आने लगा था.

और फिर वो वक़्त भी जल्द आ गया जब एक बदबख्त ने उस बुत के आगे उसे अपना खुदा मानकर उसी से दुआ मांगने लगा जूते मारने से शुरू होने वाली दास्तान थप्पड़ मारने से अक़ीदत से छूती हुई बाक़ायदा इबादत तक चली गई अब इन दोनों बुतो की बाक़ायदा इबादत की जाने लगी उनसे मन्नतें और मुरादें मांगी जाने लगीं इतने बड़े गुनाह के अंजाम में गिरफ्तार दोनों बुतों को खुदा बना लिया गया उन बुतों को सजदे किये जाने लगे उनके सामने कुर्बानी की जाने लगी और उनको बड़े बुतों में शामिल किया जाने लगा.

फिर ये अँधेरी रात और ज़्यादा गहरी होती चली गई फिर अल्लाह ने हिदायत का सूरज तुलु किया जिससे वो पूरा शहर जगमगा उठा हुज़ूर पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की विलादत-ए- पाक हुई आपने दीने तब्लीग़ का काम शुरू किया इस्लाम अरब में फैलता चला गया यहाँ तक की इस्लाम कुफ्र पर ग़ालिब हो गया हुज़ूर पाक सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने सबसे पहले मक्का को फतह किया आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम मक्का के अंदर गए तमाम बुतों को तोड़ा आप बुतों को तोड़ते जाते और फरमाते जाते हक़ आ गया और बातिल भाग गया बातिल तो है ही मिटने वाला.

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अल्लाह के नबी सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने तमाम बुतों के टुकड़े-टुकड़े कर दिए जो अपने गुनाह की वजह से पत्थर के बना दिये गए थे उनको टुकड़े-टुकड़े कर दिया जो अपनी गुनाह की वजह से पत्थर के बना दिये गए थे और तमाम बुतों को तोड़कर मक्का से बाहर फेंकवा दिया इस तरह पूरा अरब दीने इस्लाम से जगमगा उठा.

history Isaf & Naila – दोस्तों मैं उम्मीद करता हूँ वाक़्या आप दोस्तों को पसंद आई होगी अल्लाह तआला हम सबको गुनाह से बचने की और इबादत करने की तौफ़ीक़ दे लोगो के काम आएं और गरीबों का ख्याल रखे अल्लाह इसका बदला आपको बेहतर देगा (इसफ और नैला जिसने क़ाबा में गुनाह किया और पत्थर के बन गए-history Isaf & Naila)

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