शराबी पर अल्लाह की रहमत-Sharabi par Allah ki Rahmat ki story

दोस्तों, आज हम बात करेंगे शराबी पर अल्लाह की रहमत एक ऐसे शराबी शख्स के बारे में कि जिसके मरने के बाद कोई भी उसका जनाज़ा पढ़ने को भी तैयार नहीं था. दोस्तों एक शख्स था जिसका जनाज़ा सुबह से उसके आंगन में पड़ा हुआ था, गाँव भर में इसकी मौत का चर्चा हुआ लेकिन कोई भी इसके आखिरी दीदार के लिए नहीं आया और ना ही गाँव की किसी औरत ने इसकी बीवी से आकर उसका हाल मालूम की दिन मुकम्मल गुज़र गया और फिर जनाज़ा लेकर जाने का वक्त आया और एक और अनहोनी हो गई आखिर ये सब क्या माजरा था. आइये सबक़ देने वाले वाक़्या के बारे में जानते हैं.

शराबी पर अल्लाह की रहमत-Sharabi par Allah ki Rahmat ki story

एक रिवायत है कि बरसों पहले किसी गाँव में एक शख्स अपने खानदान समेत रहा करता था. वो बहुत बदजलन और बुरा इंसान था हर वक्त शराब के नशे में धुत रहता था, गाँव का कोई भी शख्स इसको पसंद नहीं करता था, वो शख्स मेहनत मज़दूरी करके जो कुछ भी कमाता उसका ज्यादातर वो अपनी शराब पीने की आदत पर लगा देता. इसके साथ-साथ उसके बीवी, बच्चे भी मुफलिसी की जिंदगी गुज़ार रहे थे. वक्त गुज़रता जा रहा था और उस आदमी के जिस्म में शराब खून की जगह ले रही थी.

वो अपने खानदान के लिए जिस कदर मेहनत करता जा रहा था, उसी कदर उसकी सेहत खराब होती जा रही थी. जैसे की इसको गाँव वाले बिलकुल पसंद नहीं करते थे इसी वजह से उसे कोई भी अपने यहाँ मजदूरी का काम नहीं देता था, हमेशा ही इसे काम के लिए किसी दूसरे गाँव की तरफ जाना  पड़ता था. उसकी बीवी कुछ ना कुछ सिलाई वगैरह करके उसका हाथ बंटाती थी, लेकिन अब वो बहुत ज्यादा बीमार रहने लगा और 1 दिन ऐसा आया कि वो बेचारा मर गया उसकी मैयत उसके आँगन में रखी गई थी.

उस शख्स के बच्चे और उसकी बीवी उसके पास बैठे अपने आखिरी सहारे को हसरत भरी निगाहों से देख रहे थे. कुछ भी हो बच्चों के लिए उनका बाप दुनिया का सबसे अहम शख्स होता है. लेकिन इससे भी बढ़कर तकलीफ देने वाली बात ये है कि गाँव में हर घर को पता चल चुका था कि इस आदमी की मौत हो गई है, लेकिन कोई भी उसके घर नहीं आया उसकी शराब पीने की आदत की वजह से. गाँव के लोग उससे नफरत करते थे लिहाजा उसकी बीवी को ही अब आखरी रस्म की जिम्मेदारी उठानी थी.

वो नेक औरत अपने मासूम बच्चों को अपने बाप की मय्यत के पास बिठाकर बाज़ार गयी उसके लिए कफन खरीदा और एक ग़ुस्ल देने वाले शख्स को बुला लाई जो उसे ग़ुस्ल दे सके. और गाँव के कब्रिस्तान में जाकर उसने क़ब्र खोदने वाले शख्स से उसकी कब्र को तैयार करने के लिए भी कहा उसके बाद वह घर वापस आ गई. बच्चे ग़म और परेशानी के आलम में माँ से लिपटकर रोने लगे और एक बार फिर इनका घर रोने धोने की आवाजों से भर गया. इसके बाद मय्यत को ग़ुस्ल दिया गया जबकि शाम ढलने को थी और मग़रिब का वक्त करीब था.

मग़रिब की नमाज़ के बाद उसका जनाज़ा लेकर जाना था, लेकिन गाँव का कोई भी आदमी उसका जनाज़ा उठाने के लिए नहीं आया. उस औरत ने कई घरों में जाकर जनाज़े के लिए मिन्नत की उनसे गिड़गिड़ाई लेकिन किसी के दिल में इंसानियत नहीं जागी आखिरकार उस औरत ने जो जमा पूंजी जमा कर रखी थी, उसमें से दो मजदूर मंगवाए जिन्हें जनाज़ा कब्रिस्तान तक ले जाने के लिए तैयार की और इस तरह अब उस आदमी का जनाज़ा कब्रिस्तान पहुँच गया लेकिन कब्रस्तान में उस आदमी की मय्यत का मंज़र रुला देने वाला था एक अकेली औरत मय्यत के पास खड़ी थी.

इंतज़ार कर रही थी कि कौन आएगा और इसका जनाज़ा पढ़ाएगा. रात का अंधेरा बढ़ता जा रहा था क़ब्रस्तान के करीब ही एक पहाड़ी थी, जिसपर एक बुजुर्ग रहा करते थे वो अल्लाह के नेक बंदे और वली थे गाँव के सभी लोग उनसे नसीहत लिया करते थे और उन्हें अपना पीर और मुर्शिद मानते थे. वो बुज़ुर्ग शख्स आज तक इस पहाड़ी से निचे नहीं उतरे थे, लेकिन आज उन्होंने पहाड़ी के किनारे पर खड़े होकर क़ब्रस्तान में देखा और वहाँ एक औरत को मय्यत के पास खड़ा पाया तो वो तेज़ी से पहाड़ी से नीचे उतरे ये एक गैर मामूली बात थी क्योंकि उन्होंने आज से पहले कभी ऐसा नहीं किया था.

उनके नीचे आने की खबर पूरे गाँव में फैल गई और देखते ही देखते सारा का सारा गाँव कब्रिस्तान पहुँच गया उन्होंने मय्यत के पास पहुँचकर उसकी बीवी से कहा कि बेटा तुम फ़िक्र मत करो, इसका जनाज़ा मैं खुद पढ़ाऊंगा जैसे ही उन्होंने नमाज़-ए-जनाज़ा पढ़ाने के लिए कहा तो गाँव के सारे मर्द एक-एक करके जनाज़े की नमाज़ पढ़ने के लिए उनके पीछे खड़े हो गए और इस तरह उन्होंने शराबी की नमाज़ जनाज़ा पढ़ाई दुआ के बाद पहाड़ी वाले बुजुर्ग गाँव वालों से फरमाने लगे के.

ऐ लोगों मग़रिब से कुछ वक्त पहले मैं अपनी इबादत गाह में बैठा था मेरी अचानक आँख लग गई और एक अनजान आवाज़ ने मुझसे मुखातिब होकर कहा, जाओ नीचे क़ब्रस्तान में एक औरत अपने शौहर के जनाज़े के साथ मौजूद है उस मय्यत का जनाज़ा पढ़ाने वाला कोई नहीं लिहाज़ा आप जाओ और उसकी नमाज़-ए-जनाज़ा पढ़ाओ अल्लाह पाक ने उसको माफ़ कर दिया है. उसके साथ ही अचानक से मेरी आँख खुल गई मैंने पहाड़ी के किनारे पर खड़े होकर जब कब्रिस्तान में देखा तो वही मंज़र पाया इसीलिए मैं इस काम के लिए नीचे उतरा हूँ.

इसके बाद उन्होंने उसकी बीवी की तरफ मोतवज्जो होकर पुछा ऐ नेक औरत तू मुझे ये बता की यह शख्स ऐसा कौन सा काम करता था जिसकी वजह से इस पर ऐसा ज़बरदस्त अल्लाह की रहमत नाज़िल हुई, वो औरत कहने लगी हज़रत ये तो हर वक्त शराब पीता रहता, दिनभर शराबखाने में बैठा रहता, लेकिन तीन काम ऐसे थे जो ये जरूर किया करता था. इनमें पहला ये कि मेरा शौहर हर रात शराब के नशे में रहता था और उसी हालत में सो जाता. लेकिन जैसे ही सुबह उसकी आंख खुलती वो नमाज़ अदा किया करता था.

उसकी दूसरी अच्छी बात ये थी कि उसने अपने बच्चों के साथ हमेशा दो यतीम बच्चों की परवरिश की हमारी चार औलाद में से दो बच्चे हमारे है, जबकि दो बच्चे यतीम है और तीसरी आदत ये थी कि जब भी इसका शराब का नशा उतर जाता तो वो रो रोकर अल्लाह तआला से माफ़ी माँगता रात में जब भी इसका नशा उतरता तो ये गिड़गिड़ा कर अल्लाह पाक से दुआ करता की ऐ अल्लाह तू ही मेरा मालिक है मेरा अपनी इस बुरी आदत पर क़ाबू नहीं मैं चाह कर भी इससे बच नहीं पा रहा हूँ.

यह भी पढ़ें – माँ की बद्दुआ से क़ब्र का अज़ाब-qabar ka azab waqia

पता नहीं तू मुझे इस बुरी आदत के बदले जहन्नम के किस कोने में मुझे डालेगा वो इन्ही लफ़्ज़ों के साथ रात भर अल्लाह तआला से फरियाद करता रहता ये सुनकर वो बुज़ुर्ग कहने लगे की अल्लाह तआला ने उसे माफ़ कर दिया है उसके बाद सब गाँव वालों ने मिलकर उसे दफ़्न किया दोस्तों ये थी शराबी पर अल्लाह की रहमत-Sharabi par Allah ki Rahmat ki story इसी लिए हमें भी चाहिए की किसी भी इंसान से हसद या नफरत उसकी किसी बुरी आदत की वजह से नहीं करनी चाहिए.

बल्कि उसके लिए दुआ करनी चाहिए की अल्लाह उसे उस बुरी आदत से बचाए अल्लाह तआला से दुआ है की हम सबको हर बुरे काम से बचने की तौफ़ीक़ अता फरमाए और ज़्यादा से ज़्यादा नेक काम करने की तौफ़ीक़ दे आपसे गुज़ारिश है इस वाक़्या को आगे और लोगों तक शेयर ज़रूर करें और इसी तरह की वाक़्यात या इस्लामी मालूमात हासिल करने के लिए हमारी वेबसाइट Bahareshariat.com को चेक करें.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *