Kunde Ki Niyaz Ki Haqiqat Aur Hazrat Imam Jafar Sadiq Ka Waqia-कुंडे की नियाज़ की हकीकत और हज़रत इमाम जफ़र सादिक़ का वाक़िआ
कुंडे की नियाज़ और हज़रत इमाम जफ़र सादिक़ का वाक़िआ-Kunde ki Niyaz ki Fazilat
मुसलमानों का कदीम एक ज़माने से तरीका रहा है कि वह 22 रजब को हज़रत इमाम जाफर सादिक़ रज़ियल्लाहू तआला अन्हो का फातिहा करते है जिसे हम कुंडे की नियाज़ कहते हैं। यहां पर दो बातें जानना बहुत ज़रूरी है। नंबर 1 हज़रत इमाम जाफर सादिक़ रज़ियल्लाहू तआला अन्हो कौन हैं? नंबर दो कुंडे की नियाज़ करना कैसा है तो हम आपको बता दें कि हज़रत इमाम जाफरे सादिक हज़रत इमाम मुहम्मद बिन बाक़र रज़ीयल्लाहु तआला अन्हुमा के बड़े साहब ज़ादे है। आपका नाम मुबारक जाफर है और कुन्नियत अबू अब्दुल्लाह और अबू इस्माईल है और लक़ब सादिक फ़ाज़िल और ताहिर है।
आप मदीना शरीफ में अब्दुल मलिक बिन मरवान के अहदे सल्तनत में रबी उल अव्वल के मुक़द्दस महीने में पैदा हुए और अबू जाफर मंसूर इबनुल-अब्बास असफ्फ़ाह के सल्तनत में आपका विसाल हुआ आप का मज़ार-ए-मुकद्दस मदीना शरीफ में है। अब हम आपको एक बहुत ही प्यारा वाक़या सुनाते हैं। के एक मर्तबा का वाक़्या है के एक रात खलीफा मंसूर ने अपने वज़ीर को हुक़्म दिया के जाओ और हज़रत इमाम जाफर सादिक को बुलाकर लाओ ताकि मैं उनको क़त्ल कर सकूं वज़ीर ने कहा कि क्या तुम ऐसे शख्स को क़त्ल करना चाहते हो जो गोसे में बैठे हैं और इबादत में मशगूल है दुनिया से कनारा किये हुए हैं।
आखिर ख़लीफ़ा जब बहुत बरहम हुआ तो वज़ीर आपको बुलाने के लिए गया मंसूर ने गुलामों को समझा दिया के जब इमाम जाफर सादिक आएं और मैं अपने सर से ताज उतार दूं तभी तुम इमाम जाफ़रे सादिक़ को शहीद कर देना लेकिन जब आप तशरीफ लाए तो उस वक्त का नज़ारा बिल्कुल अलग था। मंसूर उठ कर खड़ा हो गया और आपका इस्तकबाल किया आपको मकाने सदर पर बैठाया और खुद आजिज़ाना तौर पर आपके सामने बैठ गया यह देखकर उसके गुलामों को बहुत हैरत हुई मंसूर ने आपसे कहा आप क्या हाजत रखते हैं आप ने इरशाद फरमाया यही कि तू दुबारा अपने दरबार में मुझे ना बुलाओ।
खलीफा मंसूर ने इजाज़त दी और इज़्ज़ातों एहतेराम के साथ आपको रुख्सत किया आपके तशरीफ़ ले जाने के बाद खलीफा काँप रहा था और उसके बाद बेहोश हो गया और काफी देर तक बेहोश रहा और जब उसे होश आया और उससे पूछा गया कि माजरा क्या है तो उसने कहा जब हज़रत इमाम जाफरे सादिक़ दरवाज़े से अंदर दाखिल हुए तो मैंने देखा कि एक बड़ा अज़दहा उनके साथ है जिसका एक लब चबूतरे के नीचे और दूसरा लब ऊपर था और ज़बाने हाल से कह रहा था की अगर तूने इमाम को कोई नुकसान पहुंचाया तो मैं तुझको तेरे चबूतरे के साथ निगल जाऊंगा इसिलिए मेरी ये हालत हुई है।
सुब्हान अल्लाह ये है हज़रत इमाम जाफरे सादिक़ रज़ियल्लाहू तआला अन्हो की शान और सबसे अहम बात हम आपको बता दें कि हज़रत इमाम जाफरे सादिक़ रज़ियल्लाहू तआला अन्हो अहले बैते किराम में से हैं। नंबर 2 सबसे ज़रूरी और अहम बात के कुंडे की नियाज़ कराना कैसा है और उसका तरीका क्या है कुछ लोग कहते हैं कि 22 रजब को हज़रत इमाम जाफरे सादिक़ रज़ियल्लाहू तआला अन्हो की न तारीखे विलादत है न तारीखे वफ़ात तो फातिहा दिलाना भी दुरुस्त नही लेकिन अहले बैत के ग़ुलाम उन लोगों के बहकावे में न आएं और मुक़र्ररा तारीखों पर इसाले सवाब और फातिहा करते रहे।
अगर 22 रजब को इमाम जाफरे सादिक़ कि न तारीखे विलादत है ना तारीखे वफात तो भी यहां एक बात गौर करने वाली है के 11 रबीउल आखिर में मुसलमान ग्यारहवीं शरीफ की नियाज करते हैं 11 रबीउल आखिर हुज़ूर सैयदना सरकार गौसे आज़म रज़ियल्लाहू तआला अन्हो की न तारीखे विलादत है और न तारीखे विशाल लेकिन फिर भी मुसलमानों का अमल यही है कि 11 तारीख को सरकार गौसे पाक रज़ियल्लाहू तआला अन्हो की नियाज होती है।
तो अगर मुसलमान 22 रजब को हज़रत इमाम जाफरे सादिक़ के नाम की नियाज़ करते हैं तो उन्हें करने दिया जाए ना कि उन पर फतवा लगाया जाए। कुंडे की फातिहा जो खीर और पूड़ी पर होती है बिल्कुल जायज़ है और नेक काम है सुन्नियों को उसे ज़रूर करना चाहिए और अहले बैत की याद मनानी चाहिए उल्माए किराम इरशाद फरमाते हैं कि 22 रजब को हज़रत इमाम जाफरे सादिक़ रज़ियल्लाहू तआला अन्हो की फातिहा करने से के बहोत सी आनेवाली मुसीबतें टल जाती हैं अल्लाह तबारक वताला हम सब की जायज़ मक़सद को हुज़ूर सैय्यदना इमाम जाफ़रे सादिक़ रज़ियल्लाहू तआला अन्हो के सदके में पूरा फरमाए।
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