Hazrat Bahlol Dana Aur Ek Buzurg Ka Waqia-हज़रत बहलोल दाना और एक बुजुर्ग का दिलचस्प वाक़्या

Hazrat Bahlol Dana Aur Ek Buzurg Ka Waqia-हज़रत बहलोल दाना और एक बुजुर्ग का दिलचस्प वाक़्या

hazrat bahlol dana aurbuzurg ka waqia

कहते हैं कि एक बार एक बुज़ुर्ग  दरवेश सफर के इरादे से बगदाद रवाना हुए। उस दरवेश के कुछ मुरीद भी साथ थे दरवेश ने मुरीदों से पूछा, तुम लोगों को बहलोल का हाल मालूम है लोगों ने कहा हज़रत वो तो एक दीवाना है आप उससे मिलकर क्या करेंगे दरवेश ने जवाब दिया ज़रा बहलोल को तलाश करो मुझे उससे काम है। मुरीदों ने दरवेश के हुक़्म को अपने लिए सआदत समझी मुरीदों ने बहलोल को तलाश करना शुरू कर दिया कुछ वक्त के बाद उन्होंने बहलोल को एक सेहरा में ढूंढ लिया और दरवेश को अपने साथ लेकर वहां पहुंचे। दरवेश बहलोल के सामने गए तो देखा कि बहलोल सर के नीचे  एक ईंट रख कर आराम कर रहे हैं।

दरवेश ने सलाम किया तो बहलोल ने जवाब देकर पूछा कि तुम कौन हो तो दरवेश ने फरमाया मैं फलाँ-बिन-फलाँ हूँ बहलोल दाना रहमतुल्लाह अलैह ने कहा अच्छा तो तुम्ही वो दरवेश हो जो लोगो को बुज़ुर्गों की बातें सिखाते हो दरवेश ने कहा जी हाँ कोशिश तो करता हूँ फिर बहलोल दाना रहमतुल्लाह अलैह ने कहा अच्छा तो आप अपने खाने का तरीका तो जानते ही होंगे दरवेश ने कहा जी हाँ बिस्मिल्लाह पढ़ता हूं और अपने सामने की चीज़ खाता हूं छोटा निवाला बनाता हूं और आहिस्ता-आहिस्ता चबाता हूं दूसरों के निवालों पर नज़र नहीं डालता और खाना खाते वक्त अल्लाह की याद से ग़ाफ़िल नहीं होता।

दरवेश ने फिर दोबारा कहा जो लुकमा भी खाता हूं। अलहमदुलिल्लाह कहता हूँ खाना शुरू करने से पहले हाथ धोता हूं और खाना खाने के बाद भी हाथ धोता हूं। यह सुनकर बहलोल दाना रहमतुल्लाह अलैह उठकर खड़े हो गए और अपना दामन दरवेश की तरफ झटक दिया फिर उनसे कहा, तुम इंसानों के पिरो-मुर्शिद बनना चाहते हो और हाल ये है कि अब तक खाने पीने का तरीका भी नही जानते। यह कहकर बहलोल दाना रहमतुल्लाह अलैह वहाँ से जाने लगे दरवेश के मुरीदों ने कहा हज़रत ये शख्स तो दीवाना है दरवेश ने कहा इससे सच्ची बात सुनना चाहिए आओ उसके पीछे चलें मुझे इससे काम है।

बहलोल एक वीरान जगह पहुँच कर वहाँ बैठ गए। दरवेश भी उनके पीछे पहुंच गए बहलोल ने फिर सवाल किया कौन हो तुम? दरवेश ने कहा मैं हूँ वो दरवेश जो खाना-खाने का तरीका नही जानता। बहलोल दाना रहमतुल्लाह अलैह ने कहा तुम खाना-खाने के तरीके से ना वाक़ीफ हो तो गुफ़्तुगू का तरीका तो जानते ही होगे। दरवेश ने जवाब दिया जी हां जानता हूं तो बहलोल दाना ने कहा बताओ किस तरह बात करते हो दरवेश ने कहा मैं हर बात एक अंदाज़े के मुताबिक करता हूं बेवजह और बेहिसाब नही बोले जाता सुनने वालों की समझ का अंदाजा करके खलक़े खुदा को अल्लाह और उसके रसूल सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम के अहकाम की तरफ तवज्जोह दिलाता हूं ये खयाल रखता हूँ कि इतनी बातें ना कहूं कि लोग मुझसे बेज़ार हो जाएं। इसके साथ गुफ़्तुगू के आदाब से जुड़ी कुछ और बातें भी बयान कि।

बहलोल दाना रहमतुल्लाह अलैह ने कहा खाना-खाने के आदाब तो एक तरफ तुम्हें तो बात करने का ढंग भी नहीं आता। बहलोल दाना दरवेश से मुँह फेर कर एक तरफ चल दिये। मुरीदों से खामोश ना रहा गया उन्होंने कहा या हज़रत ये शख्स तो दीवाना है आप दीवाने से भला क्या उम्मीद रखते हैं। दरवेश ने कहा मुझे तो इससे काम है तुम लोग नहीं समझ सकते। उसके बाद दरवेश ने फिर बहलोल का पीछा किया। बहलोल ने मुड़कर देखा और कहा तुम्हें खाना-खाने और बात करने की आदाब नहीं मालूम सोने का तरीका तो तुम्हें मालूम ही होगा

दरवेश ने कहा जी हाँ मालूम है। बहलोल दाना रहमतुल्लाह अलैह ने पूछा अच्छा बताओ तुम किस तरह सोते हो दरवेश ने कहा जब मैं ईशा की नमाज़ और इबादत से फ़ारिग़ होता हूँ। तो सोने के कमरे में चला जाता हूं यह कहकर दरवेश ने सोने के वो आदाब बयान किये जो उन्हें दिनी तालीम से हासिल हुवे थे। बहलोल दाना ने कहा मालूम हुआ कि तुम सोने के आदाब भी नहीं जानते। यह कहकर बहलोल ने जाना चाहा तो दरवेश ने उनका दामन पकड़ लिया। और कहा हज़रत मैं नहीं जानता अल्लाह के वास्ते आप मुझे सिखा दीजिये।

कुछ देर बाद बहलोल ने कहा ये बातें तुमने जितनी कही सब बात की चीज़ें हैं असल बात मुझसे सुनो खाने का असल तरीका ये है कि सबसे पहले हलाल की रोज़ी होनी चाहिए। अगर खाने में हराम की मिलावट हो जाए तो जो आदाब तुमने बयान किये। उनके बरतने से कोई फायदा नही होगा और दिल रोशन होने की बजाय सियाह हो जाएगा। दरवेश ने ये सुनकर कहा अल्लाह आपका भला करें फिर बहलोल ने बताया गुफ़्तुगू करते वक्त सबसे पहले दिल का पाक और नियत का साफ होना ज़रूरी है और इसका भी ख्याल रहे की जो बात कही जाए अल्लाह की रज़ामंदी के लिए हो। अगर कोई गरज़ या दुनियावी मतलब का लगाव या बात फ़ुज़ूल किस्म की होगी तो बात कितने भी अच्छे अल्फाज़ में कही जाए तुम्हारे लिए वबाल बन जाएगी इस लिए ऐसे काम से खामोशी बेहतर है।

फिर सोने के मुताबिक बताया कि जो कुछ तुमने कहा वो भी असल मक़सूद नहीं है असल बात ये है कि जब तुम सोने लगो तो तुम्हारा दिल बुग़ज़ कींना और हसद से खाली हो। तुम्हारे दिल में दुनिया और माले दुनिया की मोहब्बत ना हो और नींद आने तक अल्लाह के ज़िक्र में मशऊल रहो बहलोल की बात खत्म होते ही दरवेश ने उनके हाथों को बोसा लिया और उनके लिए दुआ की दरवेश के मुरीद यह मंज़र देखकर हैरान रह गए। उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ और यह बात उनकी समझ में आ गई कि हर शख्स को चाहिए कि वह जो बात ना जानता हो उसे सीखने में ज़रा भी ना शरमाए।

प्यारे दोस्तों यह वाक़्या इंटरनेट से हासिल किया गया और बहुत सी मुस्तनीद वेबसाइट ने भी इस वाक़्या को नकल किया है। इस वाक़्या की असल क्या है वो तो नहीं मालूम अल्बत्ता ये वाक़्या दिलचस्प होने के साथ-साथ सबक़ आमोज़ भी है। बजाय तनक़ीद के इस वाक़्या से सबक हासिल करने में अपना कीमती वक्त सर्फ करें। शुक्रिया अल्लाह पाक हम सबका हामिओ नासिर हो आमीन सुम्मा आमीन।

Huzoor Tajushshariya Ki Zindagi-हुज़ूर ताजुश्शरिया मुफ्ती मोहम्मद अख्तर रज़ा खान अज़हरी की हालाते जिंदगी

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