कफ़न चोर की कहानी-Kafan chor ki kahani

कफ़न चोर की कहानी-Kafan chor ki kahani

दोस्तों आज का हमारा वाक़्या एक कफ़न चोर का अजीब किस्सा है एक दिल दहला देने वाला वाक़्या है जब एक कफ़न चोर ने क़ाज़ी का कफ़न चुरा लिया इस वाक़्या को पूरा ज़रूर पढ़ें-कफ़न चोर की कहानी-Kafan chor ki kahani

कफ़न चोर की कहानी-Kafan chor ki kahaniकफ़न चोर की कहानी-Kafan chor ki kahani

अबू इब्राहिम रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं एक बार एक अँधा फ़क़ीर था मगर हैरत की बात ये थी की वो हर वक़्त अपनी आँखे छुपा कर रखता था और भीख मांगता था भिखारी तो कई होते हैं लेकिन उस भिखारी के सवाल करने का अंदाज़ कुछ अलग ही था वो सदा लगाकर कहता जो मुझे भीख में कुछ देगा उसे मै एक अजीब बात बताऊंगा और जो मुझे कुछ ज़्यादा देगा उसे मै अजीब चीज़ दिखाऊंगा उस फ़क़ीर का इस तरह सदा लगाकर भीख मांगना काफी मक़बूल होता जा रहा था लेकिन अभी तक मेरा उससे सामना नहीं हुवा था एक दिन मै बाज़ार से गुज़र रहा था की इतने में मैंने एक सदा सुनी कहने वाला कह रहा था मैं एक अँधा फ़क़ीर हूँ जो मुझे कुछ देगा उसे मै अजीब बात बताऊंगा और जो मुझे कुछ ज़्यादा देगा उसे मै कुछ अजीब चीज़ दिखाऊंगा

ये सुनकर मै आवाज़ की तरफ चल दिया इतने मेरी नज़र एक बूढ़े शख्स पर पड़ी जो हाथ फैला कर कुछ मांग रहा था एक राहगीर रुका और उस भिखारी के हाथ में कुछ सिक्के रख दिए जो उसके हिसाब से ज़्यादा थे मै ये देखकर और पास जाकर खड़ा हो गया की ये फ़क़ीर उसे क्या सुनाये और क्या दिखायेगा सिक्के हाथ में लेकर उस फ़क़ीर ने कहा मै तुम्हे एक अजीब चीज़ दिखता हूँ ये कहते हुवे उस अंधे फ़क़ीर ने अपनी आँखों पर से पर्दा हटा दिया मै ये मंज़र देख कर हैरान हो गया उसकी आँखे बिलकुल नहीं थी बल्कि आँखों की जगह सुराख थे जसिमे से आर-पार साफ़ दिखाई दे रहा था  फिर उस फ़क़ीर ने कहा मै तुम्हे एक अजीब बात बताता हूँ ये मेरी आँखों की दास्तान हैं मै एक तंदुरुस्त नौजवान हुवा करता था लेकिन मेरी बदबख्ती ये थी की मै एक कफ़न चोर था और कफ़न चोर भी बड़ा नामी गिरामी था

मेरे बारे में मेरे शहर के सभी लोग जानते थे की मै मुर्दे के दफ़न होते ही पहली रात में कफ़न चुरा लेता हूँ लोग इस वजह से मुझसे खौफ खाते और मुझे वहशत की नज़र से देखते थे लेकिन मुझे उस रोब और दबदबे पर बहोत नाज़ था की लोग मुझसे खौफ खाते हैं और जब मै चलता था तो तकब्बुर के साथ चलता लोग मुझे हिकारत की निगाह से देखते थे लेकिन इन सब का मुझ पर कुछ असर नहीं पड़ता था मुझे तो खुद कोई ख़ौफ़े खुदा न था और अगर कोई अल्लाह वाला मुझे समझाता या नसीहत करता तो करता भी कैसे वो सब मुझसे बहोत डरते थे उसकी एक बड़ी वजह ये थी की वैसे आम इंसान दिन की रौशनी में क़ब्रस्तान जाने से डरता है और मै रात  में जाता और वो भी एक ताज़ा दफ़न हुवे मुर्दे के क़ब्र में गुजरने वाली पहली रात में जिस वक़्त मामला हिसाब-किताब का होता है मै जाकर उसका कफ़न चुरा लिया करता था

क़फ़न चोर और क़ाज़ी की कहानी-Kafan chor aur kaazi ki kahani

और उस कफ़न को बेच दिया करता था बस यही वजह थी की सभी मुझे किसी शैतान से कम नहीं समझते थे और लोग मुझसे डरते भी थे जब भी किसी का कोई अपना दुनिया से रुखसत होता तो उन्हें इस बात का मुकम्मल यकीन होता था की दफ़न होते ही मैं उसका कफ़न चुरा लूंगा लोग कई-कई रातों तक अपने दफनाए हुवे मुर्दे का ख्याल करते थे क़ब्र पर बैठ कर रातों को पहरा देते  की कही मै आकर कफ़न ना चुरा लूँ और जब भी कोई मुर्दा क़ब्रिस्तान में दफ़न हो जाता था और पहली रात उसके पास कोई ना होता तो मै जाकर उसका कफ़न चुरा लेता था और हमेशा मै ऐसा किया करता था लेकिन एक बार कुछ ऐसा हुवा जिसके बाद से सब कुछ बदल गया हमारे शहर का क़ाज़ी बहोत बीमार हो गया बीमारी भी ऐसी की उसे खुद उसके बचने की कोई उम्मीद नहीं थी

क़फ़न चोर और क़ाज़ी की कहानी-Kafan chor aur kaazi ki kahani – एक रोज़ उस क़ाज़ी का खादिम मेरे पास आया और मुझे क़ाज़ी का पैग़ाम देते हुए कहने लगा कि क़ाज़ी साहब बहोत बीमार है मगर वो तुमसे मिलना चाहते हैं मैं अगले ही रोज़ क़ाज़ी साहब के पास पहुंच गया क़ाज़ी जानता था की मैं एक कफ़न चोर हूँ इस लिए क़ाज़ी ने मुझे 100 दीनार दिए और कहने लगा देखो मैं जानता हूं कि मेरा  वक़्त अब बहोत करीब है बस मैं इन 100 दीनारों के बदले अपने कफन को महफूज़ करना चाहता हूं मैं उसकी बात समझ गया और मैंने उससे वादा किया कि मैं इस रक़म के बदले उसके मरने के बाद उसका कफ़न नहीं चुराऊँगा काफी दिन गुज़र गए पहले तो क़ाज़ी शख्त बीमार रहा लेकिन फिर उसकी तबीयत में बेहतरी आना शुरू हो गई और वह ठीक हो गया
लेकिन फिर कुछ दिनों के बाद क़ाज़ी अचानक बीमार हो गया और उसकी मौत हो गई मुझे इस बात का पता चला पूरा शहर उसके जनाज़े में शामिल हुवा मैं भी गया मुझे उसका कफ़न चुराने का ख्याल आया मगर दिल में सोचा कि नहीं मैंने उससे कुछ वादा किया था और फिर उसने मुझे बदले में मुआवज़ा भी दे दिया था लेकिन फिर दिमाग पर शैतान सवार हो गया और मैंने सोचा कि ये तो उस वक्त की बात है जब वो पहले बीमार हुवा था और उस बार तो वो ठीक हो गया था अब वह दोबारा बीमार हुआ था और इसकी कीमत तो मुझे नहीं दी गई बस मैंने उसका भी कफ़न चुराने का इरादा कर लिया मैं रात होने का इंतजार करने लगा रात का तीसरा पहर था मैं दबे कदमों के साथ कब्रिस्तान पहुंचा और काजी की क़ब्र को हटाना शुरू कर दिया जल्द ही  मैंने मिट्टी हटा ली और जैसे ही मैंने उसकी क़ब्र खोली क़ब्र में अज़ाब के आसार ज़ाहिर थे

मैंने ऐसा इससे पहले कभी नहीं देखा था और वो क़ाज़ी अपनी क़ब्र में बैठा हुआ था और उसके बाल बिखरे हुए थे और उसकी आंखे आग के अंगारों की तरह सुर्ख हो रहीं थी अभी मैं यह मंजर देख ही रहा था कि अचानक मुझे अपने घुटनों में दर्द की शिद्दत हुई और तुरंत मेरी आंखों में उँगलियों जैसी कोई चीज़ तेज़ी से जाती हुई महसूस हुई यहाँ तक की वो मेरी आंखों के आर-पार हो गई और मैं उसी वक़्त अंधा हो गया कोई कहने वाला मुझसे कह रहा था ऐ खुदा के दुश्मन अल्लाह के राज़ों पर से क्यों पर्दा उठाना चाहता है बस ये मेरी सरकशी का इबरतनाक अंजाम था की मैं अँधा हो गया अब ये सदा मैं इसी लिए लगता हूँ ताकि जो कोई भी मुझे भीख दे मैं उसे अपनी दास्तान सुनाकर उसे सबक़ दे सकूँ क्यों की शैतान किस वक़्त किस पर ग़ालिब आ जाए कब शैतान किस को गुमराह कर दे ये कोई नहीं जानता

बस अल्लाह ने मुझे मेरे ही जैसों के लिए इबरत का निशान बनाकर रहती दुनिया तक के लिए मिसाल बना दिया मोहतरम अज़ीज़ दोस्तों वाक़ये से ये सबक़ मिलता है की अल्लाह के राज़ों को राज़ रहने दीजिये जिन कामों से अल्लाह तआला ने हमको मना किया है उन कामों से खुद को बचा कर रखिये अल्लाह की बनाई हुई इस क़ायनात में हज़ारों क़िस्म के राज़ हैं जो सिर्फ अल्लाह जानता हैं जब-जब इंसान अल्लाह के बनाए हुवे क़ानून के खिलाफ जाता है इंसान हमेशा नुकसान उठता है

दोस्तों अल्लाह तआला से दुआ है की अल्लाह हमसे वो काम ले जो अल्लाह और अल्लाह रसूल को पसंद हो अल्लाह हमें उन कामों से बचाए जो अल्लाह और अल्लाह के रसूल को नापसंद है उम्मीद है आपको हमारे ये पोस्ट कफ़न चोर की कहानी-Kafan chor ki kahani पसंद आई होगी आप अपनी राय निचे कमेंट में लिखकर ज़रूर बताये की आप क्या सोचते हैं

Jinnat ki kahani-जिन्नात की दुनिया का राज़

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