हज़रत उस्मान ग़नी की सखावत का वाक़्या-Hazrat Usman Ghani ka waqia

हज़रत उस्मान ग़नी की सखावत का वाक़्या-Hazrat Usman Ghani ka waqia

अस्सलामु अलैकुम मोहतरम अज़ीज़ दोस्तो आज हम बात करने वाले है ख़लीफतुल मुस्लमीन इस्लाम के तीसरे खलीफा हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हो की सखावत का वाक़्या इसे पढ़कर आपका ईमान ताज़ा हो जाएगा और आपको मालूम हो जाएगा कि हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हो की सखावत का क्या आलम था ये वाक़्या है हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हो और हज़रत अबूबकर सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हो और एक ताजिर शख्स का.हज़रत उस्मान ग़नी की सखावत का वाक़्या-Hazrat Usman Ghani ka waqiaहज़रत उस्मान ग़नी की सखावत का वाक़्या-Hazrat Usman Ghani ka waqia

मोहतरम अज़ीज़ दोस्तों हज़रत अबूबकर सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हो के दौर में एक शख्स मुल्के शाम से सफर करता हुआ मदीना आया और हज़रत अबूबकर सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हो की बारगाह में हाज़िर हुवा और अर्ज़ करने लगा हुज़ूर आप मुसलमानों के सरदार है और मालदार भी है और कहने लगा हुज़ूर मेरे ऊपर कर्ज़ा चढ़ गया है मेरी मदद करे उसके बाद हज़रत अबूबकर सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हो उस शख्स को अपने घर लेकर गए वो शख्स कहता है कि बाहर से दरवाजा बहोत खूबसूरत था लेकिन घर के अंदर एक चारपाई भी नही था खजूर के दरख़्त की एक चटाई बिछी हुई थी और वो भी फटी हुई.

उसके बाद हज़रत अबूबकर सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हो ने उस शख्स को चटाई पर बिठाया और उस शख़्स से कहने लगे मैं तुम्हे एक अजीब बात बताऊ वो शख्स बोला जी बताइये हज़रत अबूबकर सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हो ने कहा तीन दिन से मैने एक अनाज का दाना नही खाया मैं कुछ खजूर खा कर गुज़ारा कर रहा हूँ वो शख़्स कहने लगा हुज़ूर मैं अब क्या करूँ मैं बहोत दूर से उम्मीद लगाकर आया हूँ उसके बाद आपने उस शख्स से कहा तुम उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हो के पास चले जाओ उस शख्स ने कहा मुझे तो बहोत सारे पैसे चाहिए.

उसके बाद हज़रत अबूबकर सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हो ने उस शख्स से कहा तुम्हारी सोच वहाँ खत्म होती है जहाँ से उस्मान की सखावत शुरू होती है उसके बाद आपने कहा तुम जाओ उनके पास वो ज़रूर तुम्हारी मदद करेंगे वो शख्स बोला क्या मैं वहाँ आपका नाम लूँ की मुझे अमीरुल मोमिनीन ने भेजा है आपने फरमाया इसकी जरूरत ही नहीं पड़ेगी सिर्फ इतना बताना की मैं क़र्ज़दार हूँ और रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का नौकर हूँ.

वो शख्स बोला कि वो सबूत मांगेंगे आपने कहा उस्मान मदद करते वक़्त दलील या सबूत नही माँगा करते उस्मान अल्लाह की राह में देते हुवे पूछताछ नही करते और सखावत करते वक़्त टटोलना उस्मान की आदत नहीं फिर वो शख्स वहां से पूछते-पूछते हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हो के दरवाज़े पर पहुँच गया और दरवाज़े पर दस्तक दी हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हो की अंदर से बोलने की आवाज़ आ रही थी.

वो अपने बच्चों को डांट रहे थे कि तुम लोग दूध के अंदर शहद मिलाकर पीते हो खर्चा थोड़ा कम किया करो इतना खर्चा करने की ज़रूरत नही दूध मीठा शहद भी मीठा तुम कोई बीमार थोड़ी हो ये सब बातें वो शख्स दरवाज़े पर खड़े सुन रहा था और सोचने लगा की अबूबकर सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हो तो बड़ी बातें बता रहे थे लेकिन ये तो अपने बच्चों को दूध में शहद मिलाने पर डाँट रहे हैं ये कैसे मेरी मदद करेंगे और मुझे तो कई हज़ार दीनार चाहिये क्या ये देंगे वो शख्स कहता है अभी मैं ये सब सोच ही रहा था की अंदर से दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई.

वो बाहर आये और मैने सलाम किया उन्होंने सलाम का जवाब दिया और वो समझ गए कि मोमिन हूँ वो मुझसे कहने लगे माफ करना बच्चों को समझा रहा था इस लिए आने में देर हो गई उसके बाद हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हो ने उस शख्स को घर के अंदर बिठाया और उसके बाद उस शख्स के सामने जो सबसे पहली चीज़ पेश की गई वो दूध में शहद डाल कर दिया गया और फिर खजूर का हलवा पेश किया गया वो शख्स कहता है कि मैं सोचने लगा कि ये क्या माजरा है.

अभी तो घरवालों को डाँट रहे थे की एक चीज़ इस्तेमाल किया करो और मेरे सामने तो तीन चीज़े पेश कर दिये लेकिन अभी भी उस शख्स के दिल मे शक था की मेरी ज़रूरत तो बहोत ज़्यादा है पता नही ये मेरी मदद करेंगे या नही वो शख्स कहता कि मेहमान नवाज़ी के बाद हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हो ने पूछा कि बताओ कैसे आना हुवा वो शख्स बोला की मैं मुसलमान हूँ और मुल्के शाम का रहने वाला हूँ और कुछ कारोबारी मुश्किलात की वजह से क़र्ज़दार हो गया हूँ मुझे कुछ पैसों की ज़रूरत है.

वो शख्स कहता कि मैंने कुछ पैसे कहा तो उन्होंने एक आवाज़ दी तो एक ग़ुलाम एक ऊँट पर सामान लदा हुवा लेकर हाज़िर हुवा वो शख्स कहता है कि मुझे तीन हज़ार अशर्फियाँ चाहिए ये बात अभी मैने उन्हें बताया नही था हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हो कहने लगे इस ऊँट पर तुम्हारे और तुम्हारे घरवालों के लिए कपड़े और खाने पीने का सामान और छह हजार अशर्फियाँ रखवा दी है और तुम पैदल आए थे अब इस ऊँट पर जाना वो शख्स कहने लगा मैं फौरन कहा हुज़ूर ये ऊँट वापस करने कौन आएगा.

हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हो कहने लगे वापस करने के लिए नही दिया मैने ये तोहफा तुम्हे दिया है तुम ले जाओ वो शख्स कहता है कि मैं कहाँ से चला था ढूँढता हुवा और फिर मदीने में आया और जब मदीने में आया तो अल्लाह ने मुझे मेरी उम्मीद से ज़्यादा अता कर दिया वो शख्स कहता है मेरी आँखों में आँसू आ गए और मैने कहा हुज़ूर आपने तो मुझे मेरी ज़रूरत से बहोत ज़्यादा दे दिया माफ़ी चाहूंगा मैं तो सोच रहा था कि दूध और शहद पर आप अपने घरवालों को डांट रहे है तो आप मेरी मदद नही करेंगे.

उसके बाद हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हो ने कहा कि अल्लाह ने जो दौलत उस्मान को दिये है वो इस लिए नही दिये कि उस्मान की औलादें ऐसो मस्ती की ज़िंदगी गुज़ारे मेरे अल्लाह ने मुझे दौलत दिया है ताक़ि मैं मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नौकरों की नौकरी करूँ वो शख्स कहता है मैं दरवाज़े तक गया तो मैंने कहा शुक्रिया आपका उस शख्स ने अभी बताया नही था कि मुझे हज़रत अबूबकर सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हो ने भेजा है.

हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हो कहते हैं की शुक्रिया अबूबकर सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हो का करना जिसने तुम्हे ये रास्ता दिखाया है वो शख्स कहता है कि हुज़ूर आपको तो मैंने बताया ही नही की मुझे किसने यहाँ भेजा है तो हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हो मुस्कुरा कर कहने लगे छोड़ो आपका काम हो गया इन सब बातों में न पड़े मोहतरम अज़ीज़ दोस्तों ये थी हज़रत उस्मान ग़नी रज़ियल्लाहु तआला अन्हो की सखावत और शान जिन्होंने अपनी दौलत और अपना सब कुछ अल्लाह और उसके रसूल की राह में क़ुर्बान कर दिया करते थे.

एक घमंडी मालदार शख्स का वाक़्या-Ek Ghamandi Ameer Aadami Ka Waqya

दोस्तों इसी तरह इमाम इब्ने जोज़ी रहमतुल्लाह अलैह ने एक बहोत ही सबक़ आमोज़ वाक़्या बयान किया है उस दौर का एक बहोत बड़ा रईस और मालदार शख्स अपनी बीवी के साथ दस्तरखान पर खाने के लिए बैठा हुवा था दस्तरखान अल्लाह की नेमतों से भरा हुआ था बहोत सी अलग-अलग किस्म के खाने उस दस्तरखान पर मौजूद थे उतने में एक फकीर दरवाज़े पर आकर आवाज़ दी कि अल्लाह के नाम पर कुछ खाने को देदो उस शख्स ने अपनी बीवी से कहा कि पूरा दस्तरखान इस फ़क़ीर को देदो.

औरत ने शौहर के हुक़्म के मुताबिक़ फ़क़ीर को जब खाना देने गई और दरवाज़ा खोली तो चीखते हुवे रोने लगी उसके शौहर ने उससे पूछा कि आपको क्या हुवा उसकी बीवी ने कहा जो शख्स फ़क़ीर बनकर हमारे दरवाज़े पर आया वो कुछ साल पहले इस शहर का सबसे मालदार और हमारी इस कोठी का मालिक और मेरा शौहर था कुछ साल पहले की बात है कि हम दोनों दस्तरख़्वान पर ऐसे ही बैठकर खाना खा रहे थे जैसा कि आज खा रहे थे कि इतने में एक फ़क़ीर ने आवाज़ दी थी की मैं दो दिन से भूखा हूँ अल्लाह के नाम पर मुझे कुछ खाने के लिए दे दो.

तो ये शख्स दस्तरखान से उठा और उस फ़क़ीर को बुरी तरह से पीटना शुरू कर दिया और उसे लहू लुहान कर दिया ना जाने उस फ़क़ीर ने क्या बद्दुआ दी कि इसके हालात बदल गए इसके सारे कारोबार बंद हो गए और ये शख्स बर्बाद हो गया और उसने मेरे साथ भी मारपीट शुरू कर दी और तलाक़ दे दिया कुछ साल गुज़रने के बाद मेरा निक़ाह आपसे हो गया शौहर बीवी की ये सब बातें सुनकर कहने लगा बेगम क्या मैं आपको इससे ज़्यादा ताज्जुब वाली बात बताऊँ बीवी ने कहा जी ज़रूर बताइये.

शौहर ने कहा जिस फ़क़ीर की आपके पहले शौहर ने पिटाई की थी वो कोई दूसरा नहीं बल्की मैं ही था गर्दिशे ज़माना का एक अजीब नज़ारा अल्लाह तआला ने उस बदबख्त शख्स से हर चीज़ माल घर यहां तक कि बीवी भी छीनकर उस शख्स को दे दिया जो फ़क़ीर बनकर उसके घर पर आया था और कुछ सालों बाद अल्लाह तआला ने उसे फ़क़ीर बनाकर उसी के दर पर ले आया तारीख ऐसे सबक़ आमोज़ वाक़्यात से भरी पड़ी है इस लिए अपने दौलत पर घमंड कभी न करना बल्कि दौलत को अल्लाह के हुक़्म के मुताबिक़ खर्च करना लोगो की मदद करने से कभी पीछे मत होना बदले में अल्लाह आपको बेहतर बदला देगा.

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