Makhdoom Ali Shah Mahimi Dargah Waqia In Hindi-मखदूम अली शाह माहिमी

Makhdoom Ali Shah Mahimi Dargah Waqia In Hindi-मखदूम अली शाह माहिमी दरगाह का वाक़िआ

अस्सलामु अलैकुम दोस्तों आज हम हज़रत मखदूम अली माहिमी रहमतुल्लाह अलैह के बारे में पढ़ेंगे हज़रत मखदूम माहिमी की दरगाह से जुडी कुछ ख़ास बातें भी जानेंगे तो आप इसे पूरा ज़रूर पढ़ें – Makhdoom Ali Shah Mahimi Dargah Waqia In Hindi-मखदूम अली शाह माहिमी दरगाह का वाक़िआ

Makhdoom Ali Shah Mahimi Dargah Waqia In Hindi-मखदूम अली शाह माहिमीMakhdoom Ali Shah Mahimi Dargah Waqia In Hindi-मखदूम अली शाह माहिमी

जिक्र करते हैं दुनिया भर में मशहूर हज़रत मखदुम फकीह अली माहिमी की दरगाह का इतिहास का ज़िक्र करे तो हज़रत मखदूम फकीह अली माहिमी की पैदाइश अरब से आकर माहिम के एक तट पर आकर एक परिवार में सन 1372 ईस्वी  776 हिजरी में हुई थी हज़रत मखदूम माहिमी को उनके बहोत से करामात की वजह से भी याद किया जाता है लोगों का हज़रत मखदूम माहिमी में बेइन्तेहाँ अक़ीदत है जो उन्हें उनके दरबार तक खींच लाता है यह दरगाह पूरी एक साथ नहीं बनी थी इसे हिस्सों में बनाई गई थी मज़ार की तामीर सन 1674 में हुई थी और मज़ार के छोटे गुंबद कुछ सालों के बाद तामीर करवाई गई

Hazrat Makhdoom Ali Mahimi Rahmatullah Alaih Ka Urs Mubarak-हज़रत मखदूम अली माहिमी रहमतुल्लाह अलैह का उर्स मुबारक

माहिम दरगाह पर लगी रोशनी से सारा मुंबई शहर जगमगा उठता है माहिम के पुलिसवालों में हज़रत मखदूम माहिमी से एक ख़ास ही अक़ीदत और मोहब्बत है साथ ही कहा जाता है कि जहां अब माहिम पुलिस चौकी है वहां कभी बाबा मखदूम माहिमी का घर हुआ करता था इस दरगाह पर हर जात और धर्म के लोग आते हैं और सबकी मुरादें इस दर से पूरी होती हैं माहिम दरगाह में की जाने वाली दुआ दूसरी दरगाह जैसी ही है इस दरगाह में रोज रात को 10:00 बजे और जुमेरात को 11:00 बजे दरगाह बंद होने से पहले परेशान लोगों के लिए दुआ की जाती है

जिसमें सिर्फ परेशान और मुसीबत में मुब्तिला लोगो के लिए ख़ास दुआ की जाती है दरगाह की सफाई का भी बहोत ख्याल रखा जाता है दरगाह में लोग गुलाब के फूल और अलग-अलग फूलों की चादर चढ़ाने आते हैं और दरगाह में लोहबान जलाया जाता है पूरी दरगाह में यह लोहबान सभी लोगों के पास ले जाया जाता है ताकि उस लोहबान की बरक़त से उन्हें फैज़ हासिल हो सके दरगाह में हाज़िरी के लिए जुमेरात का दिन अहम है दरगाह में लोग पाक-साफ़ होकर साफ-सुथरे कपड़े पहन कर आते हैं

लोग अपने साथ फूल या चादर लेकर आते हैं दरगाह पर फूल और चादर चढ़ा कर लोग अपनी मुरादे माँगते हैं  दरगाह में आकर हर कोई अपनी दिली मुरादे हज़रत मखदूम माहिमी रहमतुल्लाह अलैह के सामने पेश करता है बच्चे परीक्षा में सफलता के लिए दुआ करते हैं तो पुलिस वाले किसी केस की सफलता के लिए दुआ करते हैं इसी तरह हर कोई अपनी नेक मुरादे हज़रत मखदूम माहिमी रहमतुल्लाह अलैह के सामने पेश करता है पिछले 30  सालों से बाबा मखदूम माहिमी की दरगाह का सालाना उर्स 13 दिसंबर से 22 दिसंबर तक इन 10 दिनों के बीच होता है इसमें तकरीबन हर साल 3 लाख  लोग शिरकत करते हैं

Hazrat Makhdoom Ali Mahimi Rahmatullah Alaih Ki Karamat-हज़रत मखदूम अली माहिमी रहमतुल्लाह अलैह की करामत

हज़रत मखदूम माहिमी रहमतुल्लाह अलैह को बकरियों से बहुत प्यार था एक बार जब आप कहीं बाहर गए थे तो उनके घर की बकरी का एक बच्चा मर गया लौटने पर जब Hazrat Makhdoom Mahimi को पता चला तो आप उस जगह पर पहुंचे जहां बकरे की लाश पड़ी थी हज़रत मखदूम माहिमी ने आसमान में हाथ उठा कर दुआ की और बकरे से बोले उठ इतना सुनते ही बकरा उठ कर खड़ा हो गया उस वक्त हज़रत मखदूम माहिमी की उम्र मुबारक 9 साल थी ऐसे ही एक जलसे में हज़रत मखदूम माहिमी रहमतुल्लाह अलैह मछली खाकर हाथ धोने पहुंचे और जब उनके हाथ पर पानी डाला गया तो हाथ में मौजूद मछली के कांटे एक जिंदा मछली में तब्दील हो गए

आज भी इस दरगाह पर जादू टोने या किसी भूत-प्रेत जिन्न ने परेशान कर रखा है तो वो लोग इस दरगाह पर आकर फैज़ पाते हैं लोगों की हर नेक मुरादे पूरी होती हैं  यहां के  पुलिस वालों की भी Hazrat Makhdoom Mahimi से बहोत ही अक़ीदत है आला अधिकारी दरगाह  में हाज़िरी ज़रूर लगाते हैं  यहां तक कि दिसंबर के दूसरे हफ्ते में शुरू होने वाले उर्स में माहिम दरगाह की पहली चादर माहिम पुलिस की ओर से चढ़ाई जाती है इसके पीछे तर्क है कि अंग्रेजी शासनकाल में कोई पुलिसकर्मी मुजरिम से तंग आकर (Hazrat Makhdoom Mahimi Rahmatullah Alaih) से उसे पकड़ने की मन्नत मांगा और उसकी मन्नत पूरी हो गई तभी से यह परंपरा चल पड़ी और तब से आज तक पुलिस वालों की बहोत सी मन्नते इस दरगाह से पूरी हुई है

Mahim Dargah Par Kaise Pahuche-माहिम दरगाह पर कैसे पहुँचे?

महिम दरगाह महाराष्ट्र के मुंबई शहर में मौजूद है मुंबई महाराष्ट्र के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है मुंबई तक रेल-रोड और हवाई सफर के ज़रिये किसी भी शहर से आसानी से पहुंचा जा सकता है रेल मार्ग से दिल्ली से मुंबई तक बहोत सी ट्रेने है जिनकी मदद से आप अपना सफर तय कर सकते हैं मुंबई शहर में दो मशहूर एयरपोर्ट है इंटरनेशनल एयरपोर्ट छत्रपति शिवाजी टर्मिनल एयरपोर्ट, और सहर एयरपोर्ट पर कई शहरों से हवाई सफर मुमकिन है माहिम दरगाह से सबसे नजदीकी स्टेशन है माहिम स्टेशन यहां पर आप मुंबई की लोकल ट्रेन द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं

मुंबई शहर में कई 3 Star और 5 Star होटल है जहां रहने का अच्छा इंतेज़ाम लोगों के लिए किया जाता है मुंबई शहर भारत की आर्थिक राजधानी होने की वजह से यहाँ आपको हर तरह के खान-पान और खरीदारी के सामान मिल जाएंगे लज़्ज़तदार वडा पाव इसे खाए बिना मुंबई का सफर आपका अधूरा है दरगाह का सालाना उर्स और 13 दिसंबर से 22 दिसंबर तक इन दस दिनों में मनाया जाता है उर्स में हर साल लाखों की तादाद में लोग शिरकत करते हैं और अपनी हाज़िरी देते हैं

उर्स के मौके पर दरगाह में नियाज़-फातिहा की जाती है क़ुरआन ख्वानी और नात शरीफ के प्रोग्राम का इंतज़ाम किया जाता है हज़रत मखदूम माहिमी रहमतुल्लाह अलैह की बारगाह में पहुँचते ही दिलो-दिमाग को सुकून मिलता है महसूस ये होता है जैसे अल्लाह अपने नेक वली की बारगाह में आने वाले हर बन्दे पर अपनी रहमत नाज़िल कर रहा है

दोस्तों मैंने बहोत कम अल्फ़ाज़ में वाक़्या बयान किया है वरना हज़रत मखदूम अली शाह माहिमी रहमतुल्लाह अलैह की शान बहोत ही बड़ी है आप अल्लाह के वली हैं आपने अपनी ज़िन्दगी में बहोत सी करामात दिखाई है लेकिन सब कुछ एक पोस्ट में लिखा नहीं जा सकता इसी लिए कुछ जानकारियां दरगाह से जुड़ी आपके सामने हमने पेश किया

अल्लाह तआला की बारगाह में दुआ है की अल्लाह हम सबको अपने नेक बन्दों से सच्ची मोब्बत करने की तौफ़ीक़ दे और हमें उनके नक़्शे क़दम पर चलने की हिदायत दे दोस्तों अगर हमारे लिखने या पढ़ने में किसी क़िस्म गलती या भूल हो गई हो तो अल्लाह हमारी गलतियों को माफ़ करे और हम सबको ज़्यादा से ज़्यादा नेक काम करने की तौफ़ीक़ दे आपको हमारी ये पोस्ट-Makhdoom Ali Shah Mahimi Dargah Waqia Hindi-मखदूम अली शाह माहिमी वाक़्या कैसी लगी निचे कमेंट में लिखकर ज़रूर बताएं और पोस्ट आगे लोगों तक शेयर करें

हज़रत मखदूम अशरफ का वाक़िआ हिंदी में-Hazrat makhdoom ashraf jahangir simnani history in hindi

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