हज़रत अली ने फ़रमाया 3 ऐसे गुनाह जिसकी सजा दुनिया में मिल जाती है-Hazrat Ali Ka Farman

हज़रत अली ने फ़रमाया 3 ऐसे गुनाह जिसकी सजा दुनिया में मिल जाती है-Hazrat Ali Ka Farman

हज़रत अली रज़ियल्लाहू तआला अन्हो के फरमान के मुताबिक़ 3 ऐसे गुनाहों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन गुनाहों की सज़ा इंसान को दुनिया के अंदर मिल जाती है- हज़रत अली ने फ़रमाया 3 ऐसे गुनाह जिसकी सजा दुनिया में मिल जाती है-Hazrat Ali Ka Farman

दोस्तों ये अल्लाह तआला का फैसला है के अल्लाह तआला ने इंसान के आमाल पर सज़ा और जज़ा रख्खी है जहाँ नेक आमाल पर अल्लाह तआला ने जज़ा रखी है वहीं अल्लाह ताला ने गुनाहों पर सज़ा भी रख्खी है। अक्सर गुनाह तो ऐसे हैं जिनकी सज़ा तो इंसान को आखिरत में मिलेगी लेकिन कुछ गुनाह ऐसे भी हैं जिनकी सज़ा आख़िरत में मिलने के साथ-साथ इंसान को दुनिया मे भी काटनी पड़ती है तो आइए जानते है ये गुनाह कौन से हैं और इस बारे में हज़रत अली रज़ियल्लाहू तआला अन्हो का फरमान क्या है इस बारे में मुकम्मल मालूमात जानने के लिए आपसे गुज़ारिश है आप पूरा पढ़े।

दोस्तों याद रहे कि इंसान से बहोत से गुनाह होते है जिनमे शिर्क़ क़त्ल और ज़िना जैसे गुनाह भी शामिल है लेकिन इन गुनाहों की सज़ा को अल्लाह पाक टालता रहता है और बंदे को मोहलत देता रहता है और अल्लाह चाहे तो इन गुनाहों की सज़ा को क़यामत के दिनो तक भी रोक सकता है लेकिन कुछ गुनाह ऐसे है कि अल्लाह तआला इन गुनाहों की सज़ा बंदे को फौरी तौर पर इसी दुनिया में दे देता है इधर बंदा ये गुनाह करता है और उधर उसको इसका बदला मिल जाता है ये गुनाह कौन से हैं चलिए हज़रत अली रज़ियल्लाहू तआला अन्हो की वो हिक़ायत बताते है। कहते हैं कि एक शख्स हज़रत अली रज़ियल्लाहू तआला अन्हो की बारगाह में हाज़िर हुआ और अर्ज़ किया के क्या कोई ऐसा गुनाह है कि जिसकी सज़ा इंसान को इसी दुनिया में मिलेगी तो हज़रत अली रज़ियल्लाहू तआला अन्हो ने फरमाया के मैने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम से सुना है के 3 गुनाह ऐसे हैं कि जिसकी सज़ा इंसान को दुनिया में ही मिल जाती है।

हज़रत अली ने फ़रमाया 3 ऐसे गुनाह जिसकी सजा दुनिया में मिल जाती है-Hazrat Ali Ka Farman

  • 1 गुनाह माँ बाप को तक़लीफ़ पहुंचाना और उनके साथ ज़्यादती करना जो इंसान अपने वालिदैन को तकलीफ देता है तो उसकी अपनी औलाद उसको दुनिया में ही तक़लीफ़ पहुंचाती और वो दुनिया मे ही रुसवाई का सामना करेगा
  • 2 गुनाह ज़ुल्म करना है जो इंसान दूसरों पर ज़ुल्म करेगा तो उसकी इज़्ज़त लोगों के दिलों से निकल जाएगी और वो हर जगह सिर्फ रुसवा होकर ही रह जाएगा
  • 3 गुनाह लोगों की नेकी और भलाई की क़द्र न करना जो शख्स दूसरों की नेकी की क़द्र नहीं करता तो एक वक़्त ऐसा भी आता है कि उसकी क़द्र खत्म हो जाती है और वो रुसवा होकर रह जाता है

दोस्तो इस हिक़ायत मे आपने जान लिया कि वो कौन से 3 गुनाह है जिनकी सज़ा इंसान को दुनिया में ही मिल जाती है क्यों कि ये गुनाह अल्लाह को इन्तेहाई ना पसंद है जिसकी वजह से आख़िरत के अज़ाब के साथ-साथ इन गुनाहों की सज़ा अल्लाह तआला दुनिया में भी बंदे को दे देता है और हदीस शरीफ़ में भी इस बात की तस्दीक़ होती है कि इन गुनाहों की सज़ा आख़िरत के साथ दुनिया में भी होगी।

हज़रत अली ने फ़रमाया 3 ऐसे गुनाह जिसकी सजा दुनिया में मिल जाती है-Hazrat Ali Ka Farman 3 Aise Gunah Jiski Saza Duniya Me Mil Jaati Hai-

1 गुनाह – दोस्तो इन गुनाहों में पहेला और सबसे बड़ा गुनाह है माँ-बाप की नाफरमानी और उनको तक़लीफ़ पहुंचाना इस सिलसिले में नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम के चंद फरमान भी सुन लीजिये इस बारे में नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम का फरमान है कि हर गुनाह की सज़ा अल्लाह तआला टाल देता है जिसको चाहता है क़यामत के दिन तक सिवाय ज़ुल्म और वालिदैन की नाफरमानी के क्योंकि इसकी सज़ा अल्लाह तआला मौत से पहले गुनाहगार की ज़िंदगी में ही दे देता है और एक दूसरी जगह नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम का फरमान है तर्जुमा हदीस है कि 2 गुनाह ऐसे है कि जिसकी सज़ा दुनिया मे ही दी जाती है वो है ज़ुल्म और वालिदैन की नाफरमानी है।

एक और हदीस में नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम का फरमान है तर्जुमा हदीस है के ज़ुल्म और बेरहमी से बढ़कर कोई गुनाह ऐसा नहीं जिसकी सज़ा अल्लाह के तरफ से उसे जल्द सज़ा दी जाए और आख़िरत के लिए भी उसे बाग़ी रख्खा जाए दोस्तो सोचने की बात ये है कि आखिर क्या वजह है कि वालिदैन की नाफरमानी की सज़ा इस क़दर संगीन है कि दुनिया में भी ऐसे गुनाहगारो को मलऊल किया जाता है जबकि और भी संगीन गुनाह है मगर उनकी सज़ा फौरन नहीं मिलती इसका जवाब ये है कि माँ-बाप की नाफरमानी गुनाहे कबीरा है गुनाहे कबीरा में भी इतना बड़ा गुनाह की इसकी सज़ा दुनिया से ही शुरू हो जाती है जो आख़िरत तक चलती रहेगी। के बात वालिदैन के नाफरमानी से मुतालिक हदीस पर नज़र करने से मालूम होती है क़ुरआन में अल्लाह तआला ने अपनी इबादत के साथ वालिदैन की फरमाबरदारी का भी हुक़्म दिया है यानी हुक़ूकुल इबाद के बाद वालिदैन के हुक़ूक़ का दर्जा है।

हदीस में नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने वालिदैन की नाफरमानी को शिर्क़ के साथ ज़िक्र किया है इस हदीस से साफ मालूम होता है कि वालिदैन की नाफरमानी अल्लाह के नज़दीक बहोत बड़ा गुनाह है ऐसे गुनाहगार को अल्लाह तआला दुनिया मे सख्त सजा देता है ताकि माँ बाप भी नाफरमान औलाद की सज़ा देख लें दोस्तों नाफरमान औलाद की दुनयावी सज़ा में जहां औलाद के लिए सबक़ है वहीं वहीं उसमे दुनिया वालों के लिए भी एक दरसो नसीहत है ताकि कोई औलाद माँ बाप का हक़ ना ले उनकी खिदमत से मुंह ना फेरे उन्हें खिलाने-पिलाने और उनकी देख-रेख में कोताही ना करें।

खास तौर पर जब दोनों बूढ़े हो जाये चलने फिरने काम काज करने से माजूर हो जाए तो ऐसे वक्त में औलाद उनकी खिदमत करे सही वक्त पर खाने का इंतजाम करें जो खुद खाये वो उन्हें भी खिलाये बदन कपड़ा और जगह की सफाई का खयाल करे पेशाब-पखाना और ज़रूरियाते ज़िन्दगी पर उनकी मदद करें मगर आम तौर पर लोग अपने बूढ़े माँ बाप की खिदमत करने से पीछे हटते है और ऐसे शख्स से अल्लाह तआला नाराज़ होता है और उसे अपने माँ बाप के साथ बुरा बर्ताव करने की वजह से उसे दुनिया मे भी अल्लाह सज़ा दे देता है और आखि़रत में भी वो शख्स सज़ा का हक़दार होगा जैसे माँ बाप ने हमारी खिदमत की वैसे ही औलाद का भी फ़र्ज़ है की अपने माँ बाप की खिदमत करे और उनका हुक़्म माने जैसा की इब्ने माज़ा में रिवायत है की ये एक ऐसा गुनाह जिसकी सज़ा आखि़रत मे तो मिलेगी ही लेकिन वो इस लायक है की उसे दुनिया भी सख्त से सख्त सज़ा मिले।

2 ) दूसरा गुनाह जो हदीस मे भी बयान है किया गया है वो है ज़ुल्म करना याद रहे की ज़ुल्म और तक़ब्बुर अल्लाह की ज़ात को पसंद नहीं और अक्सर हदीस मे भी इस बात का ज़िक्र किया गया है की मज़लूम की बद्दुआ से बचो में क्यों की मज़लूम की आह सीधे अर्श पर जाती है और अल्लाह मज़लूम के साथ होता है इस लिए ज़ालिम शख्स को भी अल्लाह दुनिया मे ही ज़लील कर देता है मज़लूम की फरियाद उस तीर की तरह है जिससे ज़ालिम कभी बचा नही सकता नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने जब हज़रत मआस को यमन भेजा तो उनसे फरमाया की मज़लूम की बद्दुआ से बचना।

हज़रत अली ने फ़रमाया 3 ऐसे गुनाह जिसकी सजा दुनिया में मिल जाती है-Hazrat Ali Ka Farman

3 ) तीसरा गुनाह किसी की नेकी की क़द्र ना करना इसी लिए फरमाया गया की किसी की की हुई भलाई और नेकी की क़द्र करनी चाहिए न की एहसान फ़रामोशी का मुज़ाहिरा करना चाहिए अगर कोई शख्स एहसान फ़रामोशी करेगा तो उसको इसका खामियाज़ा दुनिया मे ही भुगतना पड़ेगा वैसे कहा जाता है की किसी मोमिन के दिल को तोड़ना खान-ए-क़ाबा को भी ढा देने से बड़ा गुनाह है अब खुद ही सोच लो की जब आप किसी की एहसान को फरामशी करते है  या किसी की नेकी को भुलाते हैं तो उस शख्स के दिल पर क्या गुज़रेगी।

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दोस्तों यही है वो 3 गुनाह जिसके बारे में हज़रत अली ने फ़रमाया हज़रत अली ने फ़रमाया 3 ऐसे गुनाह जिसकी सजा दुनिया में मिल जाती है-Hazrat Ali Ka Farman

अल्लाह तआला की बारगाह में दुआ है की अल्लाह हम सब को इन गुनाहों से बचने की तौफ़ीक़ दे और हमें ज़्यादा से ज़्यादा इन बातो पर अमल करने की तौफ़ीक़ दे।

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